श्रीकृष्ण मिश्र,हिन्द भास्कर
फरेन्दा महराजगंज
शक्ति की भक्ति का पर्व शारदीय नवरात्रि आज से शुरू हो रहा है। स्थानीय फरेन्दा क्षेत्र के दुर्गा मंदिरों को फूलों से खूबसूरत ढंग से सजाया गया है। शारदीय नवरात्र के दौरान साधना के लिए पहुंचने वाले साधकों के लिए मंदिर समितियों व प्रशासन द्वारा विशेष तैयारी की गई है। हिंदू पंचांग के अनुसार, अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ होता है। नवरात्रि के नौ दिनों में माता के 9 रूपों की पूजा की जाती है। इस बार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर से होने जा रही है और समापन 24 अक्टूबर को होगा। पूरे भारत में नवरात्रि का त्योहार बेहद खास माना जाता है। पितृ पक्ष के खत्म होते ही 15 अक्टूबर, रविवार से शारदीय नवरात्र आरंभ हो रहे हैं। हिंदू धर्म में नवरात्र का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन माता कैलाश पर्वत से धरती पर अपने मायके आती हैं। इस वर्ष मां हाथी पर सवार होकर आ रही हैं, ऐसे में इस बात के प्रबल संकेत मिल रहे हैं कि, इससे सर्वत्र सुख संपन्नता बढ़ेगी। नौ दिनों तक भक्तों पर बरसेगी अमृत कृपा। साथ ही देश भर में शांति के लिए किए जा रहे प्रयासों में सफलता मिलेगी। संपूर्ण देश के लिए यह नवरात्रि शुभ साबित होने वाली है। वैसे तो नवरात्रि साल के माघ, चैत्र, आषाढ़ और आश्विन माह में 4 बार पड़ती है। आश्विन की नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि के वातावरण से तमस का अंत होता है, नकारात्मक माहौल की समाप्ति होती है। शारदीय नवरात्रि से मन में उमंग और उल्लास की वृद्धि होती है। दुनिया में सारी शक्ति नारी या स्त्री स्वरूप के पास ही है, इसलिए नवरात्रि में देवी की उपासना ही की जाती है। और देवी शक्ति का एक स्वरूप कहलाती है, इसलिए इसे शक्ति नवरात्रि भी कहा जाता है। आचार्य अर्जुन मिश्र ने बताया कि पंचाग के अनुसार इस वर्ष शारदीय नवरात्रि आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पहली तिथि 14 अक्टूबर शनिवार को रात्रि 11 बजकर 24 मिनट से शुरु होगी। यह तिथि 15 अक्टूबर को रात्रि 12 बजकर 32 मिनट तक रहेगी। चूंकि सूर्य उगने की तिथि के विधान है ,अत: शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर रविवार से शुरु होगी। शारदीय नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना होती है, जिसके लिए दिन में 11 बजकर 44 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक सिर्फ 46 मिनट का मुहूर्त रहेगा। कलशस्थापना के लिए सप्त धान्य (7 तरह के अनाज), मिट्टी का एक बर्तन, मिट्टी का कलश, गंगाजल (उपलब्ध न हो तो सादा जल), पत्ते (आम या अशोक के), सुपारी, जटा वाला नारियल, अक्षत, लाल वस्त्र, पुष्प आदि पूजन सामग्री की आवश्यकता होती है।
