जल संचय और सुरक्षा सामूहिक कर्तव्य-संजय स्वामी

मोतिहारी। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, पर्यावरण शिक्षा, उत्तर बिहार प्रांत के तत्वाधान में व्याख्यान श्रृंखला के अंतर्गत जल संरक्षण पर एक ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। व्याख्यान की मुख्य वक्ता प्रो. शहाना मजूमदार, वनस्पति विज्ञान विभाग, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय थी। विशिष्ट वक्ता संजय स्वामी, राष्ट्रीय संयोजक, पर्यावरण शिक्षा, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली और कार्यक्रम संयोजक प्रो. प्रणवीर सिंह, संयोजक, पर्यावरण शिक्षा, उत्तर बिहार प्रान्त थे। प्रो. शहाना मजूमदार ने रामायण, महाभारत और वेदों का हवाला देते हुए जल संरक्षण के इंजीनियरिंग प्रावधानों के लिए पूर्व-वैदिक, वैदिक और ऐतिहासिक काल के लोगों द्वारा किए गए उपायों पर प्रकाश डाला है। उन्होंने वैश्विक स्तर के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर और बिहार राज्य, विशेष रूप से उत्तर और दक्षिण बिहार में प्राकृतिक जलभृतों, आर्द्रभूमि, जलग्रहण क्षेत्रों के नुकसान का हवाला देते हुए वर्तमान समय में जल संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि संजय स्वामी, राष्ट्रीय संयोजक, पर्यावरण शिक्षा, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने गांवों और शहरी क्षेत्रों में जल संचय और संरक्षण की महत्ता और उपायों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा की धार्मिक स्थलों, नदियों में प्रदूषित जल पर ध्यान देने की आवश्यकता है। यह समझना होगा कि जल हमारे जीवन का आधार है इसकी सुरक्षा हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। कार्यक्रम संयोजक प्रो. प्रणवीर सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए जल संरक्षण के उपायों को रेखांकित करते हुए इस दिशा में जागरूकता लाने की बात की। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से डॉ. दयानंद मेहता, प्रांत संयोजक, उत्तर बिहार, डॉ. अतुल भार्गव और शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।