अमृतवाणी
अद्भिर्गात्राणि शुद्ध्यन्ति
मन:सत्येन शुद्ध्यति।
विद्यातपोभ्यां भूतात्मा
बुद्धिर्ज्ञानेन शुद्ध्यति।।
(मनुस्मृति -०५/१०९)
अर्थात - जल से शरीर शुद्ध होता है,सत्य से मन शुद्ध होता है,विद्या और तप से मनुष्य की आत्मा शुद्ध होती है तथा ज्ञान से बुद्धि शुद्ध होती है।
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