प्रकृति की गोद में प्राकृतिक चिकित्सा
जगद्गुरूत्तम सेवा समिति का समग्र कायाकल्प केंद्र
अशोक कुमार मिश्र
परम पूज्य जगदगुरु श्री कृपालू जी महाराज की प्रेरणा से जगद्गुरूत्तम सेवा समिति द्वारा ऋषिकेश व वृंदावन में समग्र कायाकल्प केंद्र नाम से प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र शुरू किया गया है. महाराज श्री के शिष्य श्री राधेश्याम कथूरिया जी द्वारा शुरू किया गया यह केंद्र अद्भुत है. इस प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र में लोगों का उपचार प्राकृतिक ढंग से किया जाता है, वह भी निशुल्क.
इस केंद्र के माध्यम से प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारा जाता है। केंद्र के प्रमुख डॉ एस शिवा कुमार जी के साथ चिकित्सक डॉ बलजीत आर्य जी व डॉ करुणा त्रिपाठी जी शुगर और ब्लड प्रेशर को रोग ही नहीं मानते हैं. वह योग व आहार के माध्यम से कुछ ही दिनों में इसको ठीक करने का दावा करते हैं. इनका कहना है कि प्राकृतिक आहार के साथ एनिमा, गीली पट्टी व कुंजल से किसी भी रोग को ठीक किया जा सकता है. यह बताते हैं कि प्राण सूक्ष्म शरीर में मन और इन्द्रियों के साथ रहता है. पूर्ण प्राणशक्ति से युक्त व्यक्ति के शरीर में हल्कापन और आदर्श मानसिक स्वास्थ्य का अनुभव होता है। स्वास्थ्य की स्थिति में सदा रहने की कला ही प्राकृतिक रोधक्षमता है, जो किसी प्रकार की दवाइयों से व्यक्ति को प्रदान नही की जा सकती। सभी जीवों के स्वास्थ्य की रक्षा और रोग निवृत्ति के लिए पंचभूत (आकाश, वायु, जल, अग्नि और पृथ्वी) ही औषधि हैं. सोशल मीडिया पर नेचुरपैथी के तमाम वीडियो देखे होंगे, जिसमें समझाया जाता है कि इससे कैसे इलाज किया जाये. असल में ये कोई ट्रीटमेंट करने का तरीका नही है. ये एक जीवन जीने की शैली है। जीवन कैसा होना चाहिए, जिसे आर्ट ऑफ़ लिविंग कहते हैं. एक सिंपल उदाहरण से समझिए, अगर कोई मूर्ति मिट्टी से बना है, और उसका कोई हिस्सा खराब हो जाएं तो क्या आप उसे लोहे से जोड़ने की कोशिश करेंगे. क्या वह काम करेगा. वह जिस चीज़ से बना है, उसी मटेरियल से ही हमें उसे ठीक करना होगा।
हमारे हिंदू ग्रंथो व वेदों आदि के बाद अब तो साइंस ने भी सिद्ध कर दिया है कि हमारी बॉडी पंच महाभूतो से बनी है, और इन्ही पंच महाभूतो से ही ही ठीक हो सकता। कोई और चीज़ उसे दबा सकती है, पर पूरी तरह रोग मुक्त नहीं कर सकती। किसी भी तरह की दवाई का सेवन करने से हमें तुरंत फायदा तो मिल जाता है पर उसके साइड इफेक्ट बहुत होते हैं. डब्लू एच ओ के अनुसार पूरी दुनिया में ADR (adverse drug reactions and its side effects) से मरने वाले लोगों की संख्या 30% है। कोई भी पैथी जब किसी एक बिमारी को खत्म करती है तो उसी के साथ कोई दूसरी बिमारी को पैदा कर देती है, फिर उसके लिए एक नई दवाई खाते है, उससे फिर कोई नई बिमारी। कुल मिलाकर हम सब का हाल अभिमन्यु की तरह हो गया।अभिमन्यु अर्जुन के पुत्र जिसको कौरव ने महाभारत के युद्ध में अपने चक्रव्यूह में फंसा दिया था। ठीक उसी तरह इन सो कॉल्ड ट्रीटमेंट्स के चक्रव्यूह में हम फंसे है ।
एक सर्वे के अनुसार पूरे वर्ल्ड में 70% लोग लाइफ स्टाइल डिजीज के शिकार हैं. इस बात को तो मेडिकल साइंस ने भी माना हैं की जितनी भी लाइफ स्टाइल डीजीज हैं उन सब का कनेक्शन प्वाइंट ब्रेन हैं. मतलब एक बहुत बड़ी लिस्ट उन बीमारियों की है जो मेन्टल स्ट्रेस के कारण होती है। अगर ये स्ट्रेस खत्म हो जाए तो हमारी लाइफ से 70% डीजीज से हम बच सकते हैं ।
बॉडी नेचुरल तत्वों से बनी है, किसी प्रकार की कोई प्रॉब्लम आ जाए तो उसे नेचुरपैथी से ही ठीक करना चाहिए. स्ट्रेस की दूसरी कैटेगरी को कौन सी थेरेपी ठीक करेगी, विचारों की शक्ति अपने आप में एक महा शक्ति है, उस पर काबू पाने के लिए उससे अधिक शक्ति शाली शक्ति, यानी ईश्वरीय शक्ति, आसन शब्दों में कहें तो अध्यात्म ही केवल और केवल हमारे स्ट्रेस को ठीक कर सकता है। पूर्ण स्वास्थ के लिए इन दोनों पर काम करना ही होगा तभी ट्रीटमेंट कम्पलीट होगा ।
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