सुदामा भगवान की सुंदर भक्ति भाव भरा मित्र- डॉ ब्रह्मानंद

Apr 19, 2025 - 22:54
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सुदामा भगवान की सुंदर भक्ति भाव भरा मित्र- डॉ ब्रह्मानंद

हिन्द भास्कर 

मिर्जापुर। 

श्रीमद्भागवत गीता सप्ताह के अंतिम दिन व्यासपीठ से आचार्य डॉक्टर ब्रह्मानन्द शुक्ल ने श्रीकृष्ण के विविध स्वरुपों, लीलाओं का वर्णन करते हुए सुदामा-चरित्र पर प्रकाश डाला और सुदामा को भगवान की सुंदर भक्ति भाव भरा मित्र बताया। उन्होंने कहा कि सुदामा को अत्यंत गरीब और भिखारी बताना पूर्णतया गलत है। जब भगवान श्रीकृष्ण से कुछ नहीं मांगा तो सामान्य व्यक्ति से कुछ मांगने की बात कहना गलत है। डॉ शुक्ल ने कहा कि पत्नी के कहने पर मित्र कृष्ण से मिलने गए थे। लौटने पर जो सुदामा का महल बना वह कुबेर के यहां बना महल था। भगवान प्रेम एवं भक्ति में वह सबकुछ दे देते हैं जिसकी कल्पना भक्त नहीं करता है।

    नगर के तिवराने टोला स्थित डॉ भवदेव पाण्डेय शोध संस्थान में चल रहे भागवत-सप्ताह की पूर्णाहुति पर डॉ शुक्ल ने 'ब्राह्मण के धन केवल भिक्षा' धारणा का खंडन किया तथा कहा कि ब्राह्मण हमेशा दान की मुद्रा में रहता है। उसके पास सबसे बड़ा धन ज्ञान का धन होता है। वह अधिक से अधिक ज्ञान बांटने में आगे रहता है।

   डॉक्टर शुक्ल ने भागवत को भगवान की भक्ति का मर्म बताते हुए कहा कि उत्तम जीवन के लिए जप, यज्ञ, सन्ध्योपासन, गुरु-दीक्षा लेनी चाहिए। उन्होंने गुरुदीक्षा के बारे में सजग करते हुए कहा कि राह चलते या किसी का सुंदर प्रवचन सुनकर दीक्षा नहीं लेनी चाहिए। 'गुरु कीजे जानकर' का मार्ग बताते हुए आचार्य शुक्ल ने कहा कि भले समय लग जाए लेकिन गुरु के बारे में विधिवत जानकारी ले लेनी चाहिए, वर्ना पश्चाताप तक करना पड़ता है।

   मनुष्य शरीर की सार्थकता पर बल देते हुए डॉ शुक्ल ने कहा कि मनुष्य शरीर पाकर उत्तम कार्य करने चाहिए वरना खाने-पीने और सोने में जानवर मनुष्य से आगे है लेकिन मनुष्य से जानवर डरता भी खूब है।

   कथा की समाप्ति के बाद पुरोहित योगेश शुक्ल एवं अजय कुमार मिश्र द्वारा विष्णु सहस्रनाम से हवन कराया गया। इसके बाद भजन एवं भक्ति का दौर देर रात तक चलता रहा।

अंतिम दिन जगदगुरु रामभद्राचार्य के बड़े भाई रमापति मिश्र, मिर्जापुर के ADM (F&R) शिवप्रताप शुक्ल एवं ज्योतिषचार्य नर्मदा शंकर त्रिपाठी ने सम्मानपत्र देकर डॉ शुक्ल का अभिनन्दन किया।

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●सलिल पाण्डेय

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