बढ़ती गर्मी को देखते हुए, तांबे वाले एसी ज़्यादा बेहतर साबित हो रहे

बढ़ती गर्मी को देखते हुए, तांबे वाले एसी ज़्यादा बेहतर साबित हो रहे

May 11, 2025 - 01:38
 0  3
बढ़ती गर्मी को देखते हुए, तांबे वाले एसी ज़्यादा बेहतर साबित हो रहे

लखनऊ(हिन्द भास्कर):- जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है, एयर कंडीशनर (एसी) अब घरों, दफ्तरों, अस्पतालों, दुकानों और स्कूलों की ज़रूरत बन गया है। पहले जो चीज़ सिर्फ़ अमीरों के लिए लग्ज़री मानी जाती थी, वह अब हर किसी के लिए गर्मी से राहत पाने का ज़रिया बन गई है। लेकिन एसी के बढ़ते इस्तेमाल से बिजली का बिल भी बढ़ जाता है। ऐसे में अगर सही एसी चुना जाए, तो बिना आराम से समझौता किए बिजली के खर्च को कम किया जा सकता है।

गर्मी के मौसम में बिजली का बिल कम करने का एक आसान तरीका है कम बिजली खर्च करने वाला एसी लगाना। भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय के अधीन ऊर्जा दक्षता ब्यूरो की स्टार रेटिंग प्रणाली से यह पता लगाया जा सकता है कि कौन-सा एसी ज़्यादा बिजली बचाता है। 5-स्टार वाला एसी, 1-स्टार एसी की तुलना में बहुत कम बिजली खर्च करता है और बेहतर कूलिंग देता है।

अगर कोई उपभोक्ता 1-स्टार से 5-स्टार एसी पर स्विच करता है, तो वह साल भर में 10,000 से 14,000 तक की बचत कर सकता है (अगर एसी साल में 275 दिन, हर दिन 8 घंटे चलता है)। इससे थोड़ी ज़्यादा कीमत वाला 5-स्टार एसी भी कुछ ही समय में अपनी लागत निकाल देता है। जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए, बीईई ने 2026 से कुछ नए नियम लागू करने का ऐलान किया है। इन नियमों के अनुसार, जो एसी आज 5-स्टार हैं, वे नए मानकों में 4-स्टार बन जाएंगे।

इसका मतलब यह है कि एयर कंडीशनर कंपनियों को और भी ज़्यादा बिजली बचाने वाले उत्पाद बनाने होंगे। यह बदलाव इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान के तहत किया जा रहा है, जिससे सभी को सस्ती और टिकाऊ ठंडक मिल सके। सिर्फ स्टार रेटिंग ही नहीं, एसी के अंदर जो पुर्ज़े लगते हैं, उनका भी इसमें बड़ा हाथ होता है। इन दिनों कंपनियां ऐसे एसी बना रही हैं जो पर्यावरण के लिए बेहतर गैस का इस्तेमाल करते हैं, ज़्यादा टिकाऊ होते हैं और कम बिजली खाते हैं। तांबे का इस्तेमाल एसी में बहुत अहम हो गया है।

हीट एक्सचेंजर और एसी की पाइपिंग में जो तांबे की ट्यूब लगती हैं, वो अच्छी कूलिंग देने के साथ-साथ बिजली की खपत भी कम करती हैं। तांबा बहुत अच्छी तरह से गर्मी को बहार निकालता है, मुड़ने में आसान होता है और जल्दी खराब भी नहीं होता। इसलिए आज के बदलते मौसम और बढ़ती गर्मी को देखते हुए, तांबे वाले एसी ज़्यादा बेहतर साबित हो रहे हैं। जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा की बचत के नए नियमों ने बाजार में बेहतर एसी की मांग को बढ़ा दिया है।

नई तकनीक में अब तांबे की पतली और छोटी ट्यूब का इस्तेमाल हो रहा है, जिससे एसी की ठंडक बढ़ती है, गैस कम लगती है और बिजली भी कम खर्च होती है। पहले जहां इन ट्यूबों का साइज 9.52 मिमी था, अब ये घटकर 5 मिमी हो गया है। तांबा जंग नहीं लगने देता, इसलिए भारत जैसे देश में जहां मौसम जल्दी-जल्दी बदलता है, वहां यह और भी ज़्यादा फायदेमंद है। इंटरनेशनल कॉपर एसोसिएशन इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, एल्युमिनियम वाले एसी में हर 3 साल में लीक की दिक्कतें आने लगती हैं, जबकि तांबे वाले एसी में ऐसी समस्या 7 साल बाद ही आती है।

इतना ही नहीं, तांबे के पार्ट्स को रिपेयर करना आसान होता है, जबकि एल्युमिनियम में पूरी यूनिट ही बदलनी पड़ती है। तांबे की मजबूती और लचीलापन इंस्टॉलेशन को भी आसान बनाते हैं। ये पाइप मुड़ते वक़्त नहीं टूटते, जिससे सेटअप के दौरान नुकसान की संभावना कम हो जाती है। तांबा पूरी तरह से रिसायकल हो सकता है, यानी जब आप एसी को बदलते हैं, तब इसके तांबे के पार्ट्स को दोबारा इस्तेमाल कर सकते हैं या बेच भी सकते हैं। इससे आपकी पुरानी मशीन से भी कुछ पैसा वापस मिल सकता है। याद रखें, एसी सिर्फ़ एक बार की खरीद नहीं, बल्कि एक चलने वाला खर्च होता है। इसलिए अगर आप कम बिजली खर्च करने वाला एसी, और वह भी 100प्रतिशत तांबे वाले पुर्ज़ों वाला एसी चुनते हैंकृतो यह आपके लिए एक समझदारी भरा फैसला होगा। यह न सिर्फ आपकी जेब पर हल्का पड़ेगा, बल्कि कई सालों तक आपको चौन की ठंडी हवा भी देगा।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow