श्रीमद भागवत: भगवान का वाङ्मय स्वरूप - डॉ प्रज्ञा भारतीय

हिन्द भास्कर
सोनभद्र। श्रीमद भागवत भगवान का वाङ्मय स्वरूप है। यह पंचम वेद है। यह समस्त वेदों और उपनिषदों का सार है। सभी पुराणों में सर्वोपरि है, इसीलिए 'श्रीमद्' शब्द के तिलक से इसे अलंकृत किया गया है। यह अमृत वचन बुधवार को महंत डॉ प्रज्ञा भारतीय जी प्रवचन के दौरान व्यक्त कर रही थीं।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति को शांति एवं समाज को क्रांति देने वाला धर्मशास्त्र है श्रीमद भागवत। श्रीमद भागवत नर को नारायण पद प्राप्त कराने के लिए उत्तम सोपान है। कथा का श्रवण, मनन एवं चिंतन भक्ति प्रदाता है। यह काल के भय से मुक्त कराने वाला ग्रंथ है। यह परम सत्य को अनुभूति कराने वाला शास्त्र है।
मिर्जापुर जनपद के मड़िहान क्षेत्र का बसही गांव श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ से आस्था का स्थल बना हुआ है। प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी ज्ञान, भक्ति और धर्म की त्रिवेणी का संगम बना विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय मंत्री और प्रवक्ता अम्बरीष जी का आवास श्रद्धालुओं के जुटान से सनातन के उदय के उत्सव की भांति प्रतीत हो रहा है। इस आध्यात्मिक आयोजन में चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर, सोनभद्र जनपदों समेत छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश आदि स्थानों से श्रद्धालुओं के आने का क्रम जारी है।
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