अमृतवाणी

May 28, 2024 - 12:37
 0  63
अमृतवाणी

न पित्र्यमनुवर्तन्ते

मातृकं द्विपदा इति।

ख्यातो लोकप्रवादोऽयं

भरतेनान्यथा कृतः।।

(वा. रामायण, अरण्य का. १६/३४)

अर्थात् - (श्रीराम से लक्ष्मण का वचन) मनुष्य प्रायः माता के गुणों का अनुवर्तन करते हैं, पिता के गुणों का नहीं ; यह लौकिक उक्ति है, भरत ने अपने तपस्यापूर्ण जीवन से इस लोकोक्ति को मिथ्या प्रमाणित कर दिया है। (अर्थात राष्ट्रहित और समाजहित में तपस्या पूर्ण जीवन जीते हुए लोकोक्ति को अन्यथा सिद्ध किया जा सकता है।)

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow