तिब्बत की प्रकृति, संस्कृति व स्वभाव को नष्ट कर रहा चीन: आलोक कुमार।

Feb 6, 2025 - 22:47
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तिब्बत की प्रकृति, संस्कृति व स्वभाव को नष्ट कर रहा चीन: आलोक कुमार।

तिब्बत स्वतंत्र होगा तो कैलाश मानसरोवर मुक्त होगा:  इंद्रेश कुमार

हिन्द भास्कर।

महाकुंभ नगर, प्रयागराज। विश्व भर के अनेक देशों से महाकुंभ यात्रा में आए सभी बौद्ध भिक्षुओं ने प्रयागराज तीर्थ में सनातन बौद्ध धर्म के जयकारे के साथ स्नान कर तिब्बत की संस्कृति, प्रकृति एवं व्यवस्था को जिस तरह से चीन द्वारा निरंतर स्वरूप को परिवर्तित कर रहा है। इसके विरोध में बौद्ध धर्म के अनुयायियों ने विरोध जताया।

इस अवसर पर विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि तिब्बत भारत का शीश है। चीन तिब्बत की प्रकृति संस्कृति व स्वभाव को नष्ट कर रहा है। तिब्बत की स्वायत्तता को अलग बनाए रखने के लिए विश्व के जनमत को काम करना होगा। उन्होंने कहा कि तत्कालीन भारत सरकार ने यदि चीन का विरोध किया होता तो आज तिब्बत चीन के कब्जे में नहीं होता।

आलोक कुमार ने कहा की हमारी परंपरा में समानता के बिंदु है। तथागत बुद्ध ने जात-पांत व छोटे-बड़े की कारा को तोड़ा। भारत को अब  समरसता प्राप्त करनी है, सब मे ईश्वरत्व दर्शन करना है हमें बुद्ध के जीवन का अनुकरण करना होगा।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने बौद्ध महाकुंभ यात्रा को संबोधित करते हुए कहा तिब्बत स्वतंत्र होगा तो कैलाश मानसरोवर अपने आप मुक्त होगा।  भारत की सुरक्षा की गारंटी होगी। उन्होंने कहा भारत में जन्मे धर्म और पंथ में जो शांति व तेज है वह विश्व में कहीं नहीं है। प्रत्येक कुंभ में हम मिलेंगे तो मानवता को संदेश देने में सुविधा होगी। इंद्रेश कुमार ने कहा कि बौद्ध सनातन एकता में किसी प्रकार का शक नही होना चाहिए। हम अपने यश के लिए काम करेंगे। छुआछूत का दंश अभी भी जिंदा है मन, बुद्धि ,कर्म और आचरण से इसे निकालना है। सबके अंदर परमपिता परमेश्वर का वास है।

म्यांमार से आए जोड़ा डोलो ने कहा कि बौद्ध व सनातन की एकता से हम पूरे विश्व को करुणा व मैत्री सिखाएंगे।

भंते शील रतन ने कहा कि बुद्ध की विचारधारा ही सनातन है। बुद्ध भी सनातनी है।

इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक अनिल  जी प्रांत प्रचारक रमेश जी, विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री अशोक तिवारी, भंते देवानंद वर्धन, जगतपाल बौद्ध, अरुण सिंह बौद्ध आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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