मोदी दशक: विकसित भारत की आधारशिला
पुस्तक समीक्षा
मोदी दशक: विकसित भारत की आधारशिला
— बृजनन्दन राजू
दस वर्षों के मोदी सरकार के कार्यकाल में राष्ट्र निर्माण के साथ—साथ गरीब कल्याण के अनेक कार्य हुए हैं। इन दस वर्षों में जितना काम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया है उतना काम आजादी के बाद अब तक किसी प्रधानमंत्री के कार्यकाल में नहीं हुआ। मोदी ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने गरीबों,किसानों,युवाओं व महिलाओं के कल्याण की अनेक योजनाएं लेकर आये। मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल पर लेखक शिवेश प्रताप ने मोदी दशक: विकसित भारत की आधारशिला नामक पुस्तक लिखी है। यह पुस्तक मोदी सरकार के दौरान लागू हुई जनकल्याणकारी नीतियों एवं उनसे हुए सकारात्मक परिवर्तनों पर एक सार्थक चर्चा करती है। शिवेश प्रताप एक इलेक्ट्रानिक इंजीनियर हैं। उन्होंने आईआईएम कलकत्ता से प्रबंधन की शिक्षा प्राप्त की है। वह एक मैनेजमेंट कंसलटेंट के रूप में कार्य करने के साथ ही देशभर के समाचार पत्रों में विविध विषयों पर सतत लेखन कार्य करते हैं। उनके लेखन में राष्ट्रबोध झलकता है। वह भारत की संस्कृति व परम्पराओं को पुष्ट करने के लिए लेखन करते हैं। वह हिन्दुत्व से जुड़े विषयों के साथ —साथ पर भी लिखते हैं। वह हिन्दी,अंग्रेजी और संस्कृत के जानकार हैं। वह रहते दिल्ली में जरूर हैं लेकिन ग्रामीण परिवेश में पले बढ़े हैं। वह लेखन के माध्यम से सनातन संस्कृति की पताका को फहराना चाहते हैं।
मोदी दशक: विकसित भारत की आधारशिला पुस्तक का लोकार्पण कान्सीट्यूशन क्लब नई दिल्ली में 14 मई को संपन्न हुआ। लेखक ने इस पुस्तक में मोदी सरकार की सामाजिक एवं कल्याणकारी नीतियों की उनकी पूर्ववर्ती सरकारों से तुलना करते हुए उसके प्रभावों तथा परिणामों पर चर्चा की है।
शिवेश प्रताप अपनी पुस्तक में लिखते हैं कि भारत की प्रगति अनायास नहीं हुई है यह पिछले दस वर्षों में हुए सुधारों, प्रदर्शनों एवं बदलावों की एक स्पष्ट और कार्योन्मुख रुपरेखा का परिणाम है। अर्थव्यवस्था, शिक्षा, वित्तीय क्षेत्र, बैंक, डिजिटलीकरण, समाज कल्याण, समावेशन एवं सामाजिक क्षेत्र से संबंधित क्रांतिकारी सुधारों ने एक मजबूत एवं विकसित भारत की आधारशिला रखी है। लेखक ने बहुत गहराई और अपनी पेशेवर दक्षता से सरकार की योजनाओं को इस पुस्तक में परखा है।
वे मानते हैं कि मोदी सरकार ने पूर्ववर्ती गैर भाजपा सरकारों की भाँति भारत को मात्र एक भूमि का टुकड़ा मानते हुए अपने राजनैतिक उद्धेश्यों की पूर्ति के लिए शासन नहीं किया है। मोदी सरकार की विभिन्न नीतियों, योजनाओं तथा उनकी सही क्रियान्विति हेतु लिए गए निर्णयों की समीक्षा करते हुए लेखक ने अपनी पुस्तक के विषय की सार्थकता को समझाने की पूर्ण प्रयास किया है।
पुस्तक में भारत का राजनैतिक विमर्श बनती वैश्विक कूटनीति, जनप्रियता के शिखर नरेन्द्र मोदी, लघु उद्योगः सामाजिक आर्थिक स्वावलंबन के मेरुदंड, आधारः अंत्योदय का सबसे शक्तिशाली हथियार, कृषि क्रांति से विकसित बनेगा भारत, चिकित्सा सेवा में अभूतपूर्व क्रांति, स्वतंत्र भारत का सबसे बड़ा कर सुधार है जीएसटी, बाजार से विनिर्माण (मार्केट से फैक्टरी) बनता भारत, सौर ऊर्जाः आत्मनिर्भर भारत, अंतरिक्ष का निर्णायक अगुवा बनात भारत, हमारे द्वीपः सबसे मूल्यवान सामरिक संपतियां, बदलते वैश्विक क्रम में उभरता भारत, शुद्ध ऊर्जा की महाशक्ति बनता भारत, अर्थव्यवस्था का स्थायी संकटमोचक है ई-वाहन, अन्तरिक्ष का निर्णायक अगुवा बनता भारत जैसे विषयों को बहुत सटीकता से परिभाषित किया है।
बदलते वैश्विक क्रम में उभरता भारत में वे कहते हैं कि भारत की द्रुतगति से होती विकास यात्रा ने उसे वैश्विक अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख खिलाड़ी बना दिया है। कोविड-19 के बाद जी-20 के माध्यम से मिली चुनौतियों को भारत ने बड़ी सुन्दरता के साथ निभाया। जी-20 की अध्यक्षता करते हुुए भारत ने उत्कुष्ट नीतियाँ बनाकर नए वैश्विक क्रम हेतु स्वयं को श्रेष्ठतर ढंग से प्रस्तुत किया। साथ ही उन्होंने चुनौतियाँ भी प्रस्तुत की हैं जिन पर ध्यान देकर भारत अपनी छवि को सदृढ़ बना सकता है। इसी प्रकार अन्तरिक्ष का अगुवा बनता भारत में वे लिखते हैं कि पिछले कुछ वर्षों से भारत स्पेस हब बना हुआ है, 23 अगस्त को चन्द्रयान-3 की चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर साफ्ट लैंडिग की सफलता को चिन्हित करने के लिए प्रतिवर्ष राष्ट्रीय अंतरिक्ष मनाया जाएगा। भारत के पहले मानवयुक्त यान गगनयान के बारे में वे लिखते हैं इसकी सफलता के साथ भारत अंतरिक्ष विज्ञान एवं तकनीकी के क्षेत्र में एक अजेय बढ़़त के साथ चंद देशों वाली अग्रिम पंक्ति में सम्मिलित हो जाएगा। इसी प्रकार पर्यटन तथा अन्य विषयों पर मोदी सरकार की योजनाओं, नीतियों तथा चुनौतियों पर चर्चा करते हुए लेखक ने अपनी पुस्तक के शीर्षक तथा विषय को सार्थक बनाने का पूरा प्रयास किया है।
पुस्तक की प्रस्तावना प्रख्यात पत्रकार बलबीर पुंज ने लिखी है। प्रस्तावना में प्रख्यात पत्रकार बलबीर पुंज लिखते हैं कि हैं भारतमाता अपने अमृतकाल में उसी लोककल्याण के बोध को पुनः जागृत कर विश्वगुरुता की गद्दी पर पुनः पदस्थ हो रही है। सहस्र वर्षों की लंबी परतंत्रता एवं देश की स्वतंत्रता के बाद शासन में विकास की सम्यक चेतना का अभाव था उसे 2014 में लोककल्याण एवं अंत्योदय के लक्ष्य के प्राप्ति के रुप में देश के विकास के केन्द्रीय विमर्श में स्थान मिला। बलबीर पुंज कहते हैं भारत की जिस आभा से समस्त विश्व आभाषित हो रहा है, यह भारत के विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में आधारशिला है। इस परिवर्तन को लाने वाले कई अभूतपूर्व विकासपरक कार्यक्रमों के माध्यम से केन्द्र सरकार का वही पुरुषार्थ लेखक द्वारा मोदी दशक विकसित भारत की आधारशिला पुस्तक में वर्णित है। प्रधानमंत्री द्वारा जिस विकास को जिस प्रकार से विकास को सुशासन एवं राजनीति के मेरुदंड के रुप में स्थापित किया गया है, उस विकासपरक एवं कल्याणकारी नीतियों को आम जन मानस तक पहुंचाने का कार्य यह पुस्तक कर रही है।
केंद्र की मोदी सरकार ने पूर्ववर्ती गैर-भाजपा सरकारों की तरह भारत को केवल एक भूमि का टुकड़ा समझकर अपने राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए शासन नहीं किया है, अपितु भावनात्मक स्तर पर जाकर भारत को सत्यस्वरूप भारतमाता मानकर उसकी देहात्मा के रक्षण, पोषण और संवर्धन का कार्य किया है, जिसकी चर्चा इस पुस्तक में विस्तार से की गई है।
पुस्तक का नाम : मोदी दशक विकसित भारत की आधारशिला
लेखक का नाम : शिवेश प्रताप
प्रकाशक का नाम : प्रभात प्रकाशन,नई दिल्ली
समीक्षक- बृजनन्दन राजू
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