राजनीति के अपराजेय योद्धा नरेन्द्र मोदी
राजनीति के अपराजेय योद्धा नरेंद्र मोदी !
(भोलानाथ मिश्र- राजनीतिक समीक्षक एवं विश्लेषक)
'किसी के गुण भी फिरें ठोकरे खाते गलियों में,
कहां ये दोष भी मेरे अब किताबों में लिखे जाते है ..'
नीरज की ये पंक्तियां राजनीति के अपराजेय योद्धा नरेंद्र मोदी पर सटीक बैठती हैं।
नरेंद्र मोदी 7 अक्टूबर , 2001 से 20 मई 2014 तक गुजरात राज्य के मुख्य मंत्री रहे । 26 मई , 2014 में पहली बार सांसद बनकर सीधेप्रधानमंत्री बने । ये पहले गैर कांग्रेसी नेता थे जिनके नेतृत्व में बीजेपी 2014 में अकेले 282 सीट लेकर बहुमत की सरकार बनाई । 17 वीं लोकसभा का चुनाव भी मोदी के नेतृत्व में लड़ा गया तो 2019 में 282 से बढ़कर 303 सीट हो गई।
18 वीं लोकसभा का चुनाव तीसरी बार मोदी के नेतृत्व में लड़ा जा रहा है । 6 चरणों का मतदान पूरा हो चुका है । 7 वे और अंतिम चरण का मतदान 1 जून को होने जा रहा है । 4 जून को मतगणना होने वाली है । यदि बीजेपी तीसरी बार पूर्ण बहुमत पाने में सफल रहती है तो मोदी पहले गैर कांग्रेसी नेता बन जाएंगे जिनके नेतृत्व में यह ऐतिहासिक सफलता राजनीतिक के इतिहास के पन्ने पर स्वर्णाक्षरों में दर्ज की जाएगी ।
राजनीति का सफर
भाद्रपद , शुक्ल षष्ठी , 1872 तदनुसार 17 सितंबर , 1950 को गुजरात राज्य के वड नगर , मेहसाना के एक साधारण गुजराती परिवार में जन्मा बालक एक दिन असाधारण बन जाएगा यह भला कौन जानता था । पिता दामोदर मूलचंद दास और माता हीराबेन ने कभी सोचा भी नही होगा कि बडनगर के रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने में सहयोग करने वाला बालक एक दिन जन नायक बन जाएगा । बड़े भाई के साथ बस स्टैड के पास एक चाय स्टॉल चलाने वाला एक दिन भारत का प्रधानमंत्री बन जाएगा कौन जानता था ।
नमस्ते सदा वत्सले मातृ भूमे
" धन्य हे युग पुरुष केशव ,
धन्य तेरी साधना ,
कोटि कंठो में समाई ,
राष्ट्र की आराधना "
8 वर्ष की आयु का बालक नरेंद्र पहली बार संघ की शाखा में गया । उस दिन शाखा पर संघ की प्रार्थना ' नमस्ते सदा वत्सले मातृ भूमे , का अर्थ प्रचारक समझाया जा रहे थे ।बालक के मन में वत्सल मयी मातृभूमि की वन्दना का अर्थ मन के भीतर घर कर गया ।1970 में 20 वर्षीय के युवा नरेंद्र तन मन से समर्पित होकर संघ के प्रचारक बन गए । उन्हे सामाजिक कार्य के लिए 1975 में गुजरात लोक संघ समिति का महासचिव बनाया गया । संघ ने 1978 में विभाग प्रचारक की जिम्मेदारी सौंपी । संघ की शाखाओं का विस्तार हुआ । उनकी सक्रियता, लगन , निष्ठा , समर्पण को देख कर संभाग प्रचारक का दायित्व दिया गया ।
राजनीति में पदार्पण
बीजेपी की मांग पर संघ ने 1985 में मोदी को राजनीतिक क्षेत्र में काम करने के लिए भेज दिया ।1990 में लालकृष्ण आडवाणी के राम रथ यात्रा शुरू हुई तो मोदी उनके सारथी बने । 1991 में डा .मुरली मनोहर जोशी की एकता यात्रा निकाली तो मोदी को यात्रा प्रभारी बनाया गया । जम्मू कश्मीर के लाल चौक पर तिरंगा फहराया गया ।1995 में मोदी बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव बने । इस दौरान वे भारत का भ्रमण किए ।
सत्ता में प्रवेश
गुजरात राज्य के तत्कालीन मुख्य मंत्री केशू भाई पटेल अस्वस्थ हुए तो अटल बिहारी वाजपेई ने मोदी को गुजरात जाने को कहा । 7 अक्टूबर ,2001 को मोदी पहली बार गुजरात के मुख्य मंत्री बने । 24 फरवरी , 2002 को राजकोट द्वितीय निर्वाचन क्षेत्र के विधान सभा के उप चुनाव में कांग्रेस के अश्वनी को 14 हजार ,728 मतों से पराजित कर विधायक चुने गए । अपने मुख्य मंत्री के कार्यकाल के दौरान गोधरा , 2002 का दंगा , उसके पहले भूकंप से तबाही आदि जटिल समस्याओं का वे न केवल समाधान निकाले , बल्कि एक ऐसा माडल पेश किया जो गुजरात माडल के नाम से आज भी जाना जाता है ।
उपलब्धियां
जम्मू कश्मीर की धारा 370 और 35ए में संशोधन , अयोध्या में भव्य श्री राम मंदिर , ट्रिपल तलाक , सी ए ए ,निःशुल्क खाद्यान्न , कोरोना काल में वैक्सीन , हर घर नल से जल ,आयुष्मान भारत , उज्ज्वला , प्रधानमंत्री आवास , किसान सम्माननिधि , जन धन खाता , मुद्रा लोन ,समेत कई सफल योजनाएं वरदान साबित हो रही है । सफल विदेशनीति , पांचवे पायदान पर अर्थ व्यवस्था , अंतर्राष्ट्रीय संबंध ,सर्जिकल स्ट्राइक , आंतरिक औरवाह्य सुरक्षा आदि मोदी की सफलताके उदाहरण हैं ।
अभिमत
मोदी सनातन धर्म की कालजई मृतुंजई संस्कृति के संवाहक है ।अयोध्या में बना भव्य राम मंदिर भारत के स्वर्णिम भविष्य की आभा का दर्शन करा रहा है ।मोदी हिन्दुत्व के सभी मापदंडों पर खरे उतरने वालेराजनीतिज्ञ है । उनके प्रखर नेतृत्व का परिणाम है कि यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध के दौरान भारत का तिरंगा लेकर पाकिस्तान के भी युवा युद्ध क्षेत्र से सुरक्षित बाहर निकले थे । मोदी जी संघ की शाखा पर यह गीत दोहरा चुके है
" हम कंचन है , कांच नही है ,
ले लो अग्नि परीक्षा ,
सुख की नहीं , कष्ट सहने की ,
हमने ली है दीक्षा ,
चाहे ठोक बजाकर देखो
चटके पात्र नहीं है ,
अंगारों में तपे हुए हैं ,
मिट्टी मात्र नहीं है ।
मोदी के भाषणों का सार विपक्ष के लिए निकाला जाय तो कह सकते हैं -
मैं तो दीपक हूं , मेरी दुश्मनी तो अंधेरे से है , हवा तो बेवजह परेशान है , हवा से कह दो , अपने को आजमा के दिखाएं, दीपक बहुत बुझती है , एक जला के दिखाएं ।
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