न्याय संहिता में भारत शब्द समागम और एकात्मकता का प्रतीक : प्रो. शाही 

आतंकवाद से संबंधित मामलों को भारतीय न्याय संहिता में अलग धाराओं के तौर पर जोड़ा गया है ।

न्याय संहिता में भारत शब्द समागम और एकात्मकता का प्रतीक : प्रो. शाही

- केविवि के मीडिया अध्ययन विभाग में व्याख्यान आयोजित 

मोतिहारी ।

मीडिया अध्ययन विभाग महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता -  2023 के विविध आयाम विषयक संगोष्ठी का आयोजन ऑनलाइन माध्यम से किया गया । 

कार्यक्रम के संरक्षक विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव रहे । वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता मीडिया अध्ययन विभाग के अध्यक्ष प्रो. अंजनी कुमार झा ने की । मुख्य वक्ता के तौर पर स्कूल ऑफ लॉ, केआईआईटी  विश्वविद्यालय भुवनेश्वर के वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक डॉ. सर्वेश कुमार शाही व विशिष्ट वक्ता स्कूल ऑफ स्कूल, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के डॉ. केशरीनंदन शर्मा उपस्थित रहे । 

स्वागत उद्बोधन देते हुए मीडिया अध्ययन विभाग के सहायक आचार्य एवं कार्यक्रम संयोजक डॉ. साकेत रमण ने कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 के माध्यम से भारतीयों पर अंग्रेजी हुकूमत द्वारा थोपे गए कानूनों से स्वतंत्रता प्रदान करती है। आईपीसी को न्याय संहिता से स्थानांतरित कर न्याय व्यवस्था को नया आयाम देने का काम किया गया है ।

कार्यक्रम के विशिष्ट वक्ता डॉ. केशरीनंदन शर्मा ने मीडिया और भारतीय नागरिक सुरक्षा अधिनियम 2023 पर प्रकाश डाला। डॉ. शर्मा ने अपने वक्तव्य की शुरुआत कम्यूनिटी सर्विस और दंड प्रावधानों से की ।उन्होंने कहा कि नए कानूनों और प्रावधानों के माध्यम से आईपीसी की कमियों में सुधार की सार्थक पहल की गई है । भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय दंड संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता पर प्रकाश डालते हुए न्यायिक पत्रकारिता के क्षेत्र में इसके लाभों को समझाया। आतंकवाद से संबंधित मामलों को भारतीय न्याय संहिता में अलग धाराओं के तौर पर जोड़ा गया है । आगे चलकर आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता ही प्रभाव में आएगा जिसमे आजीवन कारावास एवं अलगाववाद से जुड़े मामलों के लिए भी कानूनी व्यवस्थाएं की गई हैं । साथ ही उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल और प्रिंट पत्रकारिता से जुड़े दंड प्रावधानों को भी समझाया । 

मुख्य वक्ता डॉ. सर्वेश कुमार शाही ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की जगह भारतीय न्याय संहिता के शीर्षक का प्रयोग ही साफ नियत को दिखाती है । यह न्याय संहिता हमें 163 साल पुरानी दासता प्रभावित कानूनों से स्वतंत्रता दिलाएगी ।  उन्होंने कहा कि भारतीय न्याय संहिता में भारत शब्द समागम और एकात्मकता को परिभाषित करती है । भारतीय न्याय संहिता में संघीय अपराध को भी परिभाषित किया गया है । साथ ही इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन से जुड़े अपराधों को लेकर भी कानून बनाए गए हैं तथा न्यूनतम दंड/कारावास अवधि भी सुनिश्चित की गई है । प्रो. शाही ने भारतीय न्याय संहिता में मीडिया से संबंधित कानून तथा धाराओं को भी बताया ।

अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए विभागाध्यक्ष डॉ. अंजनी कुमार झा ने कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 के माध्यम से डीपफेक जैसे साइबर क्राइम में भी अपराधियों को दंडित किया जा सकता है । उन्होंने कहा कि पत्रकारिता के विद्यार्थियों को साइबर सुरक्षा तथा मीडिया कानूनों का ज्ञान होना आवश्यक है । उन्होंने भारतीय न्याय संहिता और साइबर क्राइम को लेकर विद्यार्थियों को संबोधित किया । 

आयोजन समिति में डॉ. परमात्मा कुमार मिश्रा, डॉ. सुनील दीपक घोड़के एवं डॉ. उमा यादव शामिल रहे । संचालन प्राची श्रीवास्तव, अतिथि परिचय खुशी पांडेय व आकाश अस्थाना जबकि धन्यवाद ज्ञापन आशीष कुमार ने दिया । 

कार्यक्रम में प्रतीक कुमार, आशीष कुमार, आकाश सिंह राठौर, लक्की कुमार, मुस्कान सिंह आदि ने अहम भूमिका निभाई ।

कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के विद्यार्थी, शोधार्थी तथा शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक  अधिकारी उपस्थित रहे ।