अमृतवाणी

अमृतवाणी

अमृतवाणी

अमृतवाणी

न तेन वृद्धो भवति येनास्य पलितं शिरः।
यो वै युवाप्यधीयानस्तं देवाः स्थविरं विदुः।।
(मनुस्मृति - २/१५६)

अर्थात् - केशों के श्वेत होने से कोई वृद्ध (बड़ा) नहीं कहलाता, वरन् जो कोई युवा भी है और विद्वान् है उसी को देवताओं ने वृद्ध (बड़ा) कहा है।