पंचम स्कंदमाता 

पंचम स्कंदमाता 

  ⚜️चैत्र नवरात्रि⚜️       

⚜️पंचम स्कंदमाता⚜️ 

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया | शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ||

          आज का दिन स्कंदमाता की उपासना का दिन होता है । मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता परम सुखदायी हैं,और अपने भक्तों की समस्त कामना पूर्ति करती हैं।

    भगवान स्कंद 'कुमार कार्तिकेय' नाम से भी जाने जाते हैं। ये प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति बने थे। पुराणों में इन्हें कुमार और शक्तिधर कहकर इनकी महिमा का वर्णन किया गया है। भगवान स्कंद की माता होने के कारण माँ दुर्गाजी के इस पंचम स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है।

स्वरूप-

स्कंदमाता की चार भुजाएँ हैं। इनके दाहिनी तरफ की नीचे वाली भुजा, जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें कमल पुष्प है । बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा वरमुद्रा में तथा नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी है उसमें भी कमल पुष्प है। मां का वर्ण पूर्णतः शुभ्र है । ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसी कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। सिंह इनका वाहन है ।

नवरात्रि-पूजन के पाँचवें दिन का शास्त्रों में पुष्कल महत्व बताया गया है। इस चक्र में अवस्थित मन वाले साधक की समस्त बाह्य क्रियाओं एवं चित्तवृत्तियों का लोप हो जाता है। वह विशुद्ध चैतन्य स्वरूप की ओर जाने लगता है।

        साधक समस्त लौकिक, सांसारिक, बंधनों से विमुक्त होकर पद्मासना माँ स्कंदमाता के स्वरूप में पूर्णतः तल्लीन होता है । इस समय साधक को पूर्ण सावधानी के साथ उपासना की ओर अग्रसर होना चाहिए । उसे अपनी समस्त ध्यान-वृत्तियों को एकाग्र रखते हुए साधना के पथ पर आगे बढ़ना चाहिए ।

    माँ स्कंदमाता की आराधना से भक्त की समस्त इच्छाएँ पूर्ण होती हैं। उसे परम शांति और सुख का अनुभव होने लगता है। उसके लिए मोक्ष का द्वार स्वमेव सुलभ हो जाता है। 

  माता की आराधना से बालरूप स्कंद भगवान की उपासना भी हो जाती है। यह विशेषता केवल इन्हीं को प्राप्त है, अतः साधक को स्कंदमाता की उपासना की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।

     सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक अलौकिक तेज एवं कांति से संपन्न हो जाता है। एक अलौकिक प्रभामंडल अदृश्य भाव से उसके चारों ओर रहता है। यह आभा उसके योगक्षेम का निर्वहन करता रहता है ।

   हमें एकाग्रभाव से मन को पवित्र रखकर माँ की शरण में आने का प्रयत्न करना चाहिए। इस घोर भवसागर के दुःखों से मुक्ति पाकर मोक्ष का मार्ग सुलभ बनाने का इससे उत्तम उपाय दूसरा नहीं है ।

     आराधना के लिए श्लोक इस प्रकार है। माँ जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए आज के दिन इसका जप करना चाहिए ।

   या देवी सर्वभू‍तेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।

   - हे माँ ! सर्वत्र विराजमान और स्कंदमाता के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। हे माँ, मुझे सब पापों से मुक्ति प्रदान करें। इस दिन साधक का मन 'विशुद्धि' चक्र में अवस्थित होता है। इनके विग्रह में भगवान स्कंदजी बालरूप में इनकी गोद में बैठे होते हैं।

उनकी पूजा से मोक्ष का मार्ग सुलभ होता है। यह देवी चेतना का निर्माण करती है । 

 शुभम् भवतु ????

डॉ. ए. के. पाण्डेय