माता कात्यायनी

माता कात्यायनी

     चैत्र नवरात्रि        

माता कात्यायनी

चंद्रहासोज्जवलकरा शार्दूलवर वाहना।

कात्यायनी शुभं दद्याद्

देवी दानवघातिनि।|

  आज देवी दुर्गा की छठी शक्ति मां कात्यायनी की आराधना की जायेगी | 

   मां दुर्गा के छठे स्वरूप का कात्यायनी नाम क्यों पड़ा -- कथा के अनुसार माता ने ऋषि कात्यायन के यहां अश्विन मास कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को जन्म लेकर , शुक्ल पक्ष के सप्तमी अष्टमी और नवमी तक तीन दिन , ऋषि की पूजा ग्रहण कर दशमी के दिन महिषासुर का वध किया था । मां दुर्गा का यह स्वरूप अत्यन्त दिव्य है |

स्वरुप -

देवी का रंग सोने के समान चमकीला है | इनकी चार भुजाओं में से ऊपरी बायें हाथ में तलवार और नीचे बायें हाथ में कमल का पुष्प है। जबकि इनका ऊपर वाला दाहिना हाथ अभय मुद्रा में, और नीचे का दायां हाथ वरदमुद्रा में है | 

    कथा अनुसार - भगवान श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने यमुना के तट पर मां कात्यायनी की आराधना की थी | इसलिए देवी मां को ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में भी पूजा जाता है | इसके अतिरिक्त मां की आराधना से साधक निर्भय रहता है, तथा उसे किसी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता | 

        

     मां की आराधना से मनोनुकूल वैवाहिक संम्बंध होते हैं । ये बृहस्पति ग्रह की भी अधिष्ठात्री देवी हैं | अतः आज मां कात्यायनी की विधि-पूर्वक पूजा-अर्चना करने से गुरु संबंधी कष्टों और दोषों से भी मुक्ति मिलती है।

     पूजन विधि -

आज के दिन देवी पूजन में शहद का अधिक महत्व है। इस दिन प्रसाद में शहद का भोग करना चाहिए। इसके प्रभाव से सुंदर रूप प्राप्त होता है। सबसे पहले मां कत्यायनी के चित्र को लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित करें। तत्पश्चात् मां का पूजन पहले के दिनों की भांति करें । पुनः हाथों में लाल पुष्प लेकर मां की उपासना इस मंत्र के साथ करें ।

चंद्रहासोज्जवलकरा शार्दूलवर वाहना।

कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनि।|

मंत्र - ओउम् ऐम् ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ।

संख्या - 108 यानि एक माला ।

    इस दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित होता है । योग में इस आज्ञा चक्र को अत्यंत ही महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। आराधक अपने मन को आज्ञा चक्र में स्थित कर मां कात्यायनी के प्रति अपना सर्वस्व निवेदित करता है ।

 शुभम् भवतु !

डॉ. ए. के. पाण्डेय