भगवती श्रीदुर्गा की महिमा
भगवती श्रीदुर्गा की महिमा
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भगवती श्रीदुर्गा की महिमा
गणेशमाता दुर्गा या शिवरूपा शिवप्रिया।
नारायणी विष्णुमाया पूर्णब्रह्मस्वरूपिणी॥
ब्रह्मादिदेवैर्मुनिभिर्मनुभिः पूजिता स्तुता।
सर्वाधिष्ठातृदेवी सा शर्वरूपा सनातनी।।
धर्मसत्यपुण्यकीर्तिर्यशोमङ्गलदायिनी।
सुखमोक्षहर्षदात्री शोकार्तिदुःखनाशिनी।।
शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणा। तेजः स्वरूपा परमा तदधिष्ठातृदेवता।।
सर्वशक्तिस्वरूपा च शक्तिरीशस्य सन्ततम्।
सिद्धेश्वरी सिद्धिरूपा सिद्धिदा सिद्धिरीश्वरी॥
बुद्धिर्निद्रा क्षुत्पिपासा छाया तन्द्रा दया स्मृतिः।
जातिः क्षान्तिश्च भ्रान्तिश्च शान्तिः कान्तिश्च चेतना॥
तुष्टिः पुष्टिस्तथा लक्ष्मीधृतिर्माया तथैव च।
सर्वशक्तिस्वरूपा सा कृष्णस्य परमात्मनः॥
(श्रीमद्देवी भा०९स्क०,अ०-१, १४-२०)
अर्थ-जो गणेशमाता दुर्गा शिवप्रिया तथा शिवरूपा हैं, वे ही विष्णुमाया नारायणी हैं तथा पूर्णब्रह्म स्वरूपा हैं। ब्रह्मादि देवता, मुनि तथा मनुगण सभी उनकी पूजा-स्तुति करते हैं। वे सबकी अधिष्ठात्रीदेवी हैं, सनातनी हैं तथा शिवस्वरूपा हैं।
वे धर्म,सत्य,पुण्य तथा कीर्तिस्वरूपा हैं; वे यश, कल्याण, सुख,प्रसन्नता और मोक्ष भी देती हैं तथा शोक, दुःख और संकटोंका नाश करनेवाली हैं। वे अपनी शरणमें आये हुए दीन और आर्तजनोंकी निरन्तर रक्षा करती हैं। वे ज्योतिस्वरूपा हैं, उनका विग्रह परम तेजस्वी है और वे भगवान् श्रीकृष्णके तेजकी अधिष्ठातृदेवता हैं।
वे सर्वशक्तिस्वरूपा हैं और महेश्वरकी शाश्वत शक्ति हैं। वे ही साधकोंको सिद्धि देनेवाली, सिद्धिरूपा, सिद्धेश्वरी, सिद्धि तथा ईश्वरी हैं। बुद्धि, निद्रा, क्षुधा, पिपासा, छाया, तन्द्रा, दया, स्मृति, जाति, क्षान्ति, भ्रान्ति, शान्ति, कान्ति, चेतना, तुष्टि, पुष्टि, लक्ष्मी, धृति तथा माया-ये इनके नाम हैं। वे परमात्मा श्रीकृष्णके पास सर्वशक्तिस्वरूपा होकर स्थित रहती हैं।