श्री हनुमान जयंती

श्री हनुमान जयंती

⚜️ जयंती विशेष ⚜️-

⚜️ श्री हनुमान जयंती⚜️

⚜️ चैत्र शुक्ल पूर्णिमा⚜️ 

     आज चैत्र शुक्ल पूर्णिमा है, आज के दिन भगवान श्री रामचंद्र जी के अनन्य भक्त, सेवक श्री हनुमान जी की जयंती मनाई जाती है । अतःआज के दिन हनुमान जी की भक्ति पूर्वक आराधना करनी चाहिए । जो लोग व्रत करते हैं, उन्हें चाहिए कि ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए पृथ्वी पर शयन करें, और प्रातः काल उठकर श्री राम और माता सीता के साथ- साथ हनुमान जी का स्मरण करें । हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित कर ॐ हनुमते नमः, मंत्र से उनकी विधिवत पूजन अर्चना करें।

   आज के दिन बाल्मीकि रामायण अथवा गोस्वामी तुलसीदास रचित श्री रामचरितमानस से सुंदरकांड का पाठ अथवा श्री हनुमान चालीसा के पाठ का आयोजन करना चाहिए । हनुमान जी के विग्रह का सिंदूर के साथ श्रृंगार करना चाहिए । इसे चोला चढ़ाना कहते हैं । नैवेद्य के रूप में , गुड़ भीगा चना या भुना चना अथवा बेसन का लड्डू चढ़ाना चाहिए । तत्पश्चात्

 प्रसाद ग्रहण करना चाहिए।

        कथा के अनुसार वायु के अंश के रूप में स्वयं रुद्रावतार , महावीर हनुमान ने जन्म लिया था । इनका मुख्य उद्देश्य भगवान श्री राम जी और माता जानकी जी की सेवा करना था । इनके पिता वानर राज केसरी और माता अंजना देवी थीं । जन्म के समय ही इन्हें भूख लग गई । यह देखकर माता अंजना वन से फल लाने चली गईं । उधर बालक हनुमान ने सूर्योदय के समय के सूर्य को लाल फल समझकर छलांग लगाई , और वायु वेग से सूर्य मंडल जा पहुंचे, इसी समय राहु भी सूर्य को ग्रसने के लिए समीप पहुंचा था । बाल रूप श्री हनुमान जी ने राहु को अवरोध समझकर उसे धक्का दे दिया, इस पर राहु घबराकर इंद्र के पास पहुंचा। इंद्र ने सृष्टि की व्यवस्था में विघ्न समझकर बालक हनुमान पर वज्र का प्रहार किया , जिससे हनुमान जी की बाईं और की ठुड्डी टूट गई।

  इस स्थिति में पुत्र पर वज्र के प्रहार से वायु देव अत्यंत क्रुद्ध हो गए और उन्होंने वायु संचार बंद कर दिया । समस्त संसार का प्राण आधार हवा है । इस स्थिति को देखकर ब्रह्मा जी सभी देवताओं को लेकर उस स्थान पर पंहुचे जहां मूर्छित शिशु हनुमान को लेकर वायु देव बैठे थे । ब्रह्मा जी ने अपने हाथ के स्पर्श से शिशु हनुमान को सचेत किया।

 उसी समय सभी देवताओं ने उन्हें अपने अस्त्र - शस्त्रों से सुसज्जित कर दिया । ब्रह्मा जी ने वरदान देते हुए कहा हे मारुति नंदन , तुम्हारा यह पुत्र शत्रुओं के लिए भयंकर होगा , और युद्ध में इसे कोई जीत नहीं सकेगा । यह बालक बडा़ होकर, रावण के साथ युद्ध में अद्भुत पराक्रम दिखाकर ,भगवान श्री रामचंद्र जी की प्रसन्नता को प्राप्त करेगा ।

मनोजवम् मारुत तुल्य वेगम् जितेंद्रियम् बुद्धिमताम् वरिष्ठम् ।

वातात्मजम् वानर यूथ मुख्यम् श्री राम दूतम् शरणं प्रपद्ये ।।

  ⚜️ हं हनुमते नमः ⚜️

डॉ. ए. के. पाण्डेय