कथा मानव जीवन को संस्कारित करती है, ईश्वर की कृपा लाती है- श्रीलक्ष्मीप्रपन्न जीयर स्वामी 

कथा मानव जीवन को संस्कारित करती है, ईश्वर की कृपा लाती है- श्रीलक्ष्मीप्रपन्न जीयर स्वामी 

कथा मानव जीवन को संस्कारित करती है, ईश्वर की कृपा लाती है- श्रीलक्ष्मीप्रपन्न जीयर स्वामी 

कथा मानव जीवन को संस्कारित करती है, ईश्वर की कृपा लाती है- श्रीलक्ष्मीप्रपन्न जीयर स्वामी 

हरला।कैमूर-बिहार।।प्रख्यात श्रीवैष्णव परिव्राजक संत श्रीलक्ष्मीप्रपन्न जीयर स्वामी जी ने कैमूर के हरला में आयोजित श्रीलक्ष्मीनारायण महायज्ञ में श्रद्धालुओं को संबोधित अपने प्रवचन में कहा कि कथा जीवन को संस्कारित करती है, व्यक्ति को ईश्वर की प्राप्ति कराती है। प्रवचन के प्रथम दिन मानव जीवन और कथा की आवश्यकता पर बोलते हुए पूज्य स्वामी जी ने कहा कि कथा कुमार्ग पर भटके या भटकने को प्रस्तुत मनुष्य को सत्पथ पर लाती है।
उन्होंने कहा कि एक दुर्दांत अपराधी को नियंत्रण में लाने के लिए व्यवस्था और समाज अनेक प्रयत्न करते हैं करोड़ों रुपए खर्च करते हैं। लेकिन कथा में, सत्संग में,  यज्ञ में शामिल कर यदि उसका हृदय परिवर्तन कर दिया जाय तो समाज का कितना भला होगा। कथा संसाधनों के सदुपयोग की प्रेरणा देती है। 
क्रूर डाकू रत्नाकर के महर्षि वाल्मीकि बनने की कथा के माध्यम से स्वामी जी ने बताया कि सप्त ऋषियों के सत्संग, प्रेरणा और राम मंत्र नै रत्नाकर डाकू को महर्षि वाल्मीकि बना दिया। वे अनंतकाल तक भगवान राम की संतति के शिक्षक और आदि कवि के रुप में अनंतकाल तक के लिए प्रतिष्ठित हो गए।
यज्ञ, तप, दान यह सब समाधान की प्रक्रिया हैं। जब हम अपने मन, वाणी, इन्द्रियों और आत्मा सै किए गए कर्मों को परमात्मा को अर्पित कर देते हैं तब कल्याण हीं कल्याण होता है।
स्वामी जी ने श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए ज्ञान का विस्तार से उल्लेख करते हुए समझाया कि कर्म हीं व्यक्ति की उन्नति का आधार है। कठिन परिश्रम से हीं लक्ष्य की प्राप्ति संभव है। किन्तु कर्म विवेक पूर्ण होना चाहिए। बिना विवेक का कर्म फलदायी नहीं होता। 
स्वामी जी के पूर्व काशी पीठाधीश्वर जगद्गुरू रामानुजाचार्य श्रीशिवपूजन शास्त्री जी ने सद्गुरु का महत्व प्रतिपादित करते हुए स्वामी जी की अपार कृपा प्रभाव का वर्णन किया। उन्होंने भगवान सत्यनारायण की कथा का वास्तविक मर्म स्पष्ट करते हुए भगवान की भक्ति को कल्याण का कारक बताया।
नृसिंह मंदिर पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानुजाचार्य मुक्तिनाथ स्वामी जी ने भगवत्कृपा और गुरु के प्रभाव की व्याख्या की। उन्होंने गुरु के प्रति समर्पित हो सत्कर्म की प्रेरणा दी।
 
प्रवचन में आयोजन समिति अध्यक्ष बलदाऊ जी पाठक, सचिव मदन उपाध्याय, कोषाध्यक्ष बाल मुकुंद पाठक, स्वयंसेवक कुंदन पाठक, सुनील पाठक, चंद्रेश्वर पाठक, संदीप पाठक, रेडक्रास सचिव प्रसून कुमार मिश्र, जितेन्द्र उपाध्याय, पं. गिरीश दूबे, हरेराम ओझा आदि श्रद्धालु भक्त उपस्थित थे।