आज का विचार
सतां प्रीतिकरी विद्या सतां विद्योपकारिणी।
धूर्ताणां ज्ञानमन्येषां व्ययं यात्यवमानने।। (शान्तेयशतकम्)
भावार्थ:- सज्जनों की विद्या स्नेह और उपकार करने वाली होती है, किन्तु धूर्त लोगों का ज्ञान निरन्तर दूसरों को अपमानित करने में खर्च होता है।
प्रवीणमणित्रिपाठी शान्तेय
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