भगवान की कृपा के लिए भक्ति के साथ ज्ञान एवं वैराग्य का होना जरूरी: डॉ ब्रह्मानन्द शुक्ल

Apr 13, 2025 - 21:37
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भगवान की कृपा के लिए भक्ति के साथ ज्ञान एवं वैराग्य का होना जरूरी: डॉ ब्रह्मानन्द शुक्ल

भागवत कथा हर जाति एवं धर्म के लोगों को सुननी चाहिए

श्रीमद्भागवत सप्ताह के प्रथम दिन कथा वाचक डॉ ब्रह्मानन्द शुक्ल ने कहा कि उनकी कथा सुनने मुस्लिम भी आते हैं।

घर के आंगन में भागवत सप्ताह का आयोजन कई गुना अधिक है

हिन्द भास्कर 

मिर्जापुर। 

श्रीमद्भागवत सप्ताह के प्रथम दिन व्यासपीठ से बोलते हुए कथावाचक डॉ ब्रह्मानन्द शुक्ल ने भागवत महात्म्य पर प्रकाश डाला। डॉ शुक्ल ने कहा कि श्रीकृष्ण की बहन योगमाया के धाम विंन्ध्य क्षेत्र में भागवत कथा सुनने का पुण्य अन्य क्षेत्रों में होने वाली कथा से कई गुना अधिक है। डॉक्टर शुक्ल ने कहा कि भगवान श्रीराम का धाम साकेत नगरी है तो श्रीकृष्ण का धाम वृंदावन है लेकिन भक्तिभाव का क्षेत्र मां विंध्यवासिनी का क्षेत्र मणिपुर है। यहां भागवत कथा का आयोजन माँ विंध्यवासिनी की कृपा से ही संभव है।

    डॉक्टर शुक्ल नगर के तिवराने टोला मुहल्ले में स्थित डॉ भवदेव पाण्डेय शोध संस्थान में आयोजित सप्ताह के अवसर पर पहले दिन कहा कि यह कथा जाति-धर्म से निरपेक्ष कथा है। इसे छोटे-बड़े, सभी जातियों ही नहीं बल्कि मुसलमानों को भी यह कथा सुननी चाहिए। उन्होंने कहा कि अनेक स्थलों में उनके प्रवचनों को सुनने के लिए मुस्लिम समुदाय के लोग आते हैं और कथा सुनकर हर्षित होते हैं। 

    डॉक्टर शुक्ल ने भागवत कथा की शुरुआत करते हुए देवर्षि नारद की महिमा का बखान की तथा कहा कि नारद के पास वीटो पॉवर था। वे साक्षात नारायण, ब्रह्मा एवं भोलेनाथ तक के यहां निर्बाध गति से पहुंच जाते है जबकि दूसरे देवताओं एवं ऋषियों को परमिशन की जरूरत पड़ती है। देवर्षि नारद ने वृंदावन में जब एक विलाप करती युवती के पास दो वृद्ध लोगों को अचेतावस्था में देखा तो उस युवती से विलाप का कारण पूछा तो युवती ने अपना परिचय भक्ति तथा अचेत दोनों वृद्धों का परिचय अपने ज्ञान तथा वैराग्य पुत्र के रूप में दिया। डॉक्टर शुक्ल ने कहा कि सिर्फ भक्ति से नहीं बल्कि ज्ञान एवं वैराग्य के साथ ईश्वर की भक्ति की जाती है तब वह सार्थक होती है। डॉक्टर शुक्ल ने कहा कि भागवत कथा सुनी नहीं बल्कि पी जाती है।

    डॉक्टर शुक्ल ने गृहस्थ जनों से कहा कि उन्हें अपने घर के आंगन में कथा सुननी चाहिए। इससे आने वाली पीढ़ी यशस्वी होती है। 

     कथा की शुरुआत के पूर्व डॉक्टर शुक्ल की अगुवाई में कलश-यात्रा निकाली गई। जिसमें भारी संख्या में नर-नारी उपस्थित थे। अचानक आई आंधी-तूफान एवं वर्षा को प्रकृति देवी की कृपा मानते हुए कलश यात्रा सम्पन्न हुई।

डॉ शुक्ल का स्वागत जेआरडी राज्य विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रो शिशिर पाण्डेय ने किया।

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