आर्थिक व सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग को स्वावलंबी बनाने के लिए सहकार भारती कर रहा कार्य:- दीपक चौरसिया
आर्थिक व सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग को स्वावलंबी बनाने के लिए सहकार भारती कर रहा कार्य:- दीपक चौरसिया

लखनऊ(हिन्द भास्कर):- राष्ट्रीय मछुआरा दिवस पर सहकार भारती उत्तर प्रदेश का प्रादेशिक सम्मेलन चौधरी चरण सिंह सभागार सहकारिता भवन लखनऊ में दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया। राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस के अवसर पर सहकार भारती द्वारा रचित मछुआरा संगीतबद्ध गीत को मुख्यअतिथि द्वारा लांच किया गया। मुख्य अतिथि सहकार भारती के राष्ट्रीय महामंत्री दीपक चौरसिया ने कहा-जब कोई व्यक्ति स्वयं विकास करता है तो अपने लोगों को ही वह विकसित करता है।
जब वह सामूहिक प्रयास करके विकास करता है तो वह समाज का सर्वांगीण विकास करता है। सहकारिता एक ऐसा ही माध्यम है जो सामूहिक रूप से समाज को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने की दिशा में कार्य करता है। सहकार भारती एक ऐसा संगठन है जो सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े हुए वर्गों को स्वावलंबी बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है।’’ कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि जयंती भाई केवट राष्ट्रीय प्रमुख मत्स्य सहकारी प्रकोष्ठ सहकार भारती ने अपने उद्बोधन में कहा- कि जहां जल है वहां मछुआरा है, हमारा संबंध जल से है और जल-जीवन है।
मत्स्यक पूजक समाज के लोग स्वाभिमान के साथ अपने जीवन को समृद्धि बनाने के लिए अपने पारंपरिक व्यवसाय को सामूहिक रूप से संगठित होकर सहकारिता के माध्यम से कार्य करते हैं तो आर्थिक व सामाजिक रूप से मजबूत होंगे। सहकार भारती और देश के प्रधानमंत्री का एकमात्र सपना है कि देश का हर व्यक्ति सर्वांगीण विकास करें आर्थिक रूप से सक्षम हो।’’ कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रदेश अध्यक्ष डॉ0 अरुण कुमार सिंह ने कहा कि आर्थिक और सामाजिक रूप से जिनकी स्थिति ठीक नहीं है ऐसे लोगों को आर्थिक और सामाजिक स्वालंबी बनाने की दिशा में सन् 1978 में दूर दृष्टि रखने वाले लक्ष्मण राव इनामदार ने सहकारिता का गठन किया था।
आज देश भर में 28 राज्यों के 650 जिले में सहकार भारती कार्य कर रही है। उत्तर प्रदेश के लगभग डेढ़ लाख मत्स्य किसानों को रोजगार मिल रहा है यह सहकारिता का ही देन है।’प्रदेश महामंत्री अरविन्द दुबे ने कहा कि राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस हमें यह सिखाता है कि भारत की समृृद्वि केवल खेतों की हरियाली से नही, बल्कि जल की गहराईयों में हो रहे परिश्रम से भी बनती है। मछली केवल भोजन ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य, रोजगार और आत्मनिर्भरता का माध्यम है।’गुरूपूर्णिमा एवं वेदव्यास जी के जन्मदिवस के अवसर पर सभी को शुभकामनाएं देते हुए प्रदेश मंत्री कैलाश नाथ निषाद ने स्वागत भाषण देते हुए कहा-‘‘हर वर्ष 10 जुलाई को हम राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस मनाते हैं।
यह दिवस उस ऐतिहासिक उपलब्धि की याद में मनाया जाता है। जब वर्ष 1957 में भारत के दो महान वैज्ञानिकों, डॉ0 हिरालाल चौधरी और डॉ0 कुशाल चक्रवती ने कृत्रिम प्रजनन की तकनीक द्वारा भारत में पहली बार मछलियों का सफल प्रजनन किया। यह उपलब्धि भारत के मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए एक क्रांति साबित हुई जिससे मछली उत्पादन को नया जीवन मिला और लाखों लोगों के लिए आजीविका का स्रोत तैयार हुआ। ’कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में विशिष्ट अतिथि रमेश गौड़ सदस्य पिछड़ा वर्ग आयोग, वीरू साहनी अध्यक्ष मत्स्यजीवी सहकारी संघ लि0 उ0प्र0 उपस्थिति रहें।
कार्यक्रम के द्वितीय सत्र को प्रदेश उपाध्यक्ष सहकार भारती उा0प्र डी0पी0पाठक, नागेन्द्र सिंह, उप निदेशक, एन0सी0डी0सी0, राम अवध उप निदेशक मत्स्य विभाग मुख्यालय लखनऊ और डॉ0 ताराचंद कुमावत वैज्ञानिक आईसीएआर-एनबीएफजीआर आदि ने सम्बोधित किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय पदाधिकारी अनन्त कुमार मिश्रा, कृष्ण कुमार ओझा, कुलदीप पाण्डेय, तुषार श्रीवास्तव एवं प्रदेश पदाधिकारी कर्मवीर सिंह, विजय कुमार पाण्डेय, सतीश चन्द्र कठेरिया, अशोक कुमार शुक्ला, शिवेन्द्र प्रताप सिंह, सुरेन्द्र सिंह चौहान, शैलेश प्रताप सिंह विस्त्रास विश्वनोई आदि प्रदेश पदाधिकारी उपस्थिति रहे। मंच का संचालन अभिनव कश्यय एवं हरवंश सिंह द्वारा किया गया।
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