दिल कहे रुक जा रे रुक जा यही पे कहीं...! __ पर्यटन की दृष्टि से अनेक महत्वपूर्ण नयनाभिराम स्थल । _____ प्राकृतिक प्रपात , दुर्गम दुर्ग

भित्तिचित्र कर रहे इंतजार ।
भोलानाथ मिश्र ।
दिल कहे रुक जा रे रुकजा यही पे कहीं ,
जो बात इस जगहवो कही पे नहीं ..' ।
किसी मूवी के गीत की ये पंक्तियां सोनभद्र की जमीनी हकीकत बया करती प्रतीत होती हैं ।चहक रहे प्राकृतिक प्रपातों , दुर्गम दुर्गों , शैलाश्रित गुहा चित्रों , आस्था के स्थलों और अलौकिक नयनाभिराम प्राकृतिक सुषमा की अलौकिक छटाओं को निहारने पर मन प्रफुल्लित हो जाता है । बिहार, झारखंड , छत्तीसगढ़ , मध्यप्रदेश की सीमाओं से सटे उत्तर प्रदेश के 75 वे जिला सोनभद्र में ऐसे तमाम सुरम्य स्थलों की भरमार है जो किसी भी सैलानी को मंत्रमुग्ध कर सकते हैं ।
यदि पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए और जरूरी सुविधाएं विकसित कर दी जाए तो पर्यटन के विश्व मानचित्र में प्रदेश का सबसे न्यारा जनपद विश्व के पर्यटन मानचित्र पर कोहिनूर की तरह दैदीप्यमान होने लगेगा ।
कल _कल , छल छल बहते प्राकृतिक झरने जीवन का राग सुनाते हैं । मारकुंडी व ओम पर्वत से फिसलते झरने अलौकिक छटा बिखेरते हैं । सावन_ भादो में मच्छेंद्र नाथ , विजयगढ़ दुर्ग की यात्रा की जाय तो कही पहलगांव तो कही कश्मीर की हसीन वादियों की याद ताज़ा हो जाती है ।
खोढवा पहाड़ और नगवा डैम से झरते झरने मध्य प्रदेश के भेड़ा घाट की याद दिलाते हैं ।
आस्था के स्थल
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राबर्ट्सगंज , चतरा , घोरावल , करमा , नगवा , म्योरपुर , बभनी , कोन, चोपन और दुद्धी ब्लाकों
में अनेक ऐसे सुरम्य प्राकृतिक स्थल है जो चित्ताकर्षक हैं ।
उमा महेश्वर का अद्भुत कलात्मक विग्रह घोरावल के शिवद्वार में आस्था का ऐसा स्थल है जहां सावन के महीने में हर साल श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है ।
कण्व ऋषि की तपोस्थली कंडा कोट की पहाड़ी पर देवाधिदेव महादेव के अतिरिक्त ऐसा बहुत कुछ है जिसके कारण यह तीर्थ क्षेत्र हजारों प्रकृति प्रेमियों को भी आकर्षितकरता है । दक्षिण भारत के अनेक शोध करने वाले विश्व विद्यालय के
शोधार्थी आते हैं ।
किसी ने ठीक ही कहा है , काशी का हर कंकड़ शंकर के समान है तो सोनभद्र की हर शिला शिव की आधार शिला और आसान शिव के सिंहासन की भांति परिलक्षित होते हैं । तकरीबन सभी 637 ग्राम पंचायतों से अधिकांश में ऐसा बहुत कुछ है जो सैलानियों को मंत्र मुग्ध
कर सकता है ।
पर्यटन यात्रा पथ
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काशी से शक्तिनगर तक काली नागिन की तरह बलखाती पर्वतों की श्रृंखला लांघती सड़क अपने आप में प्राकृतिक सरोकार से जुड़ी हुई है । स्वीकृत से ही प्रकृति के नज़ारे नजर आते है कि आदमी कह उठता है _
' तेरे चेहरे से नजर नहीं हटती , नज़ारे हम क्या देखें ।' मधुपुर , राबर्ट्सगंज होते हुए सड़क जैसेराबर्ट्सगंज के संयुक्त चिकित्सालय से आगे बढ़ती है , प्राकृतिक छटा दर्शनीय रहती है । पंच मुखी पहाड़ी रौप , विजयगढ़ घाटी ,समेत 250 स्थानों पर आदि मानव द्वारा निर्मित भित्ति चित्र यहां की सभ्यता की सिंधु घाटी की सभ्यता से भी अधिक पहले की बताते है । सलखन का फॉसिल्स पार्क लगभग डेढ़ अरब वर्ष प्राचीन बताया जाता है । यहां का नटुआ नृत्य , करमा , कोल दहकी , विजयमल ,लोरिकायन , कजली संस्कार गीत , अरण्य और नगरीय सभ्यता के अनेक जीवित प्रमाण जनपद की पहचान की स्थापित करते है । मंजरी लोरिक से जुड़े प्रतीक मारकुंडी पर्वत भी इकोप्वाइंट के थोड़ी दूरी पर आज भी मौजूद हैं ।
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वाराणसी शक्तिनगर मार्ग के दोनों तरफ अनेक आकर्षण के केंद्र ----
पंचमुखी पहाड़ी , मारकुंडी पर्वतश्रृंखला , चोपन का पुल , सोन नद ,ओबरा का पावर प्लांट , 33 मेगा वाट की जल विद्युत परियोजना ,रेणुकूट का शिव मंदिर , बिड़ला जी का हिंडालको , रिंहद डैम जो मानव निर्मित सबसे बड़ी झील है जिसे गोविंद बल्लभ पंत सागर के नाम से जाना जाता है । बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना रिंहद डैम के उद्घाटन 1961 में प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने किया था । इस समय 300 मेगावाट पन बिजली की उत्पादन क्षमता है । जल से भरे बंधे का आकर्षण अपने आप में अद्वितीय है ।
सलखन के पास प्राचीन फॉसिल्स पार्क अमेरिका के यलो स्टोन पार्क से भी अधिक प्राचीन है और प्रचुर मात्रा में है ।
डाला के पहले मां वैष्णव धाम
श्रद्धा का केंद्र है । अनपरा , शक्तिनगर में मां ज्वालामुखी शक्तिपीठ , बिजपुर , खड़िया , ककरी समेत अनेक स्थल न केवल दर्शनीय है बल्कि लोगों को इनसे रोजी रोजगार भी मिल रहा है ।
सोनभद्र की लोक कला , लोक गीत , लोक परम्परा , जल , जन , जंगल जमीन जानवर , वन्य उपज सभी जनपद की अलग पहचान
स्थापित करने वाले हैं ।
पर्यटकों के लिए
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पर्यटकों के लिए वाराणसी , मिर्जापुर से सोनभद्र आने जाने के लिए पर्याप्त संख्या में उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की दिन रात बसे चलती रहती है । इनमें कुछ बसे वातानुकूलित है । प्राइवेट बसों
और टैक्सियों की पर्याप्त संख्या है । हाइवे से नगवा , घोरावल , बभनी , चोपन , म्योरपुर आदि स्थानों पर जाने के लिए अच्छी सड़के है । मिर्जापुर , चुनार से ट्रेन की भी सुविधा है । दिल्ली और लखनऊ से ट्रेन के माध्यम से सोनभद्र आया जा सकता है ।
म्योरपुर में हवाई पट्टी है ।
हरजगह होटल , लाज और अतिथि गृह मिल जाते हैं । भोजन जलपान की सुविधा कीमत चुका कर हर जगह उपलब्ध है । दूर संचार सुविधा ,चिकित्सा , सुरक्षा आदि का प्रबंधन स्तरीय हैं ।
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