अंतर विश्वविद्यालय शिक्षक शिक्षा केन्द्र (IUCTE): राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020
प्रो. आशीष श्रीवास्तव
भारत में उच्च शिक्षा कई चुनौतियों का सामना कर रही है, जो इसकी गुणवत्ता, पहुंच, और प्रभावशीलता को प्रभावित करती हैं। गुणवत्तापूर्ण शिक्षण और शोध का अभाव, आधुनिक शिक्षण तकनीकों और आधारभूत संरचना की कमी के कारण, छात्रों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करने में असमर्थ बनाता है। वित्तीय सहायता की कमी और शिक्षा का तेजी से निजीकरण इसे आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए महंगा और कम सुलभ बना रहा है। इसके अतिरिक्त, डिजिटल और तकनीकी संसाधनों की असमानता, विशेष रूप से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच, ऑनलाइन शिक्षा और तकनीकी कौशल विकास में बाधा उत्पन्न करती है। सामाजिक और आर्थिक असमानता के कारण अनुसूचित जाति, जनजाति, और अन्य पिछड़े वर्गों के साथ-साथ महिलाओं के लिए उच्च शिक्षा तक पहुंच सीमित हो जाती है। रोजगारपरकता का अभाव, सैद्धांतिक शिक्षा पर अत्यधिक निर्भरता, और "सॉफ्ट स्किल्स" की कमी छात्रों को उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार नहीं करती। शोध और नवाचार के क्षेत्र में भी भारत पीछे है, क्योंकि पर्याप्त वित्तीय सहायता और संसाधन उपलब्ध नहीं हैं। अंतरराष्ट्रीयकरण की कमी, विदेशी छात्रों और वैश्विक साझेदारियों की न्यूनता, और नीतिगत और प्रशासनिक समस्याएं, जैसे स्वायत्तता की कमी और भ्रष्टाचार, उच्च शिक्षा की प्रगति में बाधक बन रही हैं। इन सभी समस्याओं के बीच, सतत विकास और सामाजिक जिम्मेदारी पर ध्यान देने की भी कमी है, जिससे शिक्षा प्रणाली के सामाजिक योगदान की संभावना सीमित हो जाती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) इन सभी चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करती है और उच्च शिक्षा प्रणाली को समग्र रूप से बदलने का लक्ष्य रखती है। यह नीति शिक्षण और शोध की गुणवत्ता सुधारने, वित्तीय समस्याओं को दूर करने, और समावेशी एवं सुलभ शिक्षा प्रदान करने पर केंद्रित है। शिक्षकों के प्रशिक्षण, संस्थानों की स्वायत्तता, और अकादमिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देकर यह उच्च शिक्षा को अधिक प्रभावशाली बनाने का प्रयास करती है। डिजिटल शिक्षा और प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग के लिए "नेशनल एजुकेशनल टेक्नोलॉजी फोरम" (NETF) जैसे प्रावधान डिजिटल और ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को शिक्षा से जोड़ने में सहायक हैं। समाज के वंचित वर्गों और महिलाओं के लिए छात्रवृत्ति योजनाओं के माध्यम से समान अवसर सुनिश्चित किए गए हैं। रोजगारपरकता को बढ़ावा देने के लिए पाठ्यक्रम को लचीला और व्यावसायिक प्रशिक्षण, इंटर्नशिप, तथा कौशल विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया गया है। नीति "राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन" (NRF) के माध्यम से शोध और नवाचार को प्रोत्साहित करती है, जबकि अंतरराष्ट्रीयकरण के माध्यम से विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में आने और भारतीय संस्थानों को वैश्विक साझेदारी बनाने के लिए प्रोत्साहित करती है। "हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया" (HECI) के तहत प्रशासनिक सुधार और पारदर्शिता को प्राथमिकता दी गई है। साथ ही, सतत विकास और सामाजिक जिम्मेदारी को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाकर पर्यावरणीय शिक्षा और नैतिक मूल्यों को बढ़ावा दिया गया है। समग्र रूप से, NEP 2020 उच्च शिक्षा प्रणाली को अधिक समावेशी, रोजगारपरक, और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने का खाका पेश करती है, जिससे भारत की शिक्षा प्रणाली की दक्षता और प्रभावशीलता में बड़ा सुधार होगा। इस दिशा में अंतर-विश्वविद्यालय शिक्षक शिक्षा केंद्र (IUCTE), वाराणसी, शिक्षक शिक्षा में सुधार, शोध और नवाचार को बढ़ावा, डिजिटल शिक्षा को सुलभ बनाने, और समावेशी व रोजगारपरक शिक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह शिक्षकों के पेशेवर विकास, स्थानीय जरूरतों के अनुसार पाठ्यक्रम निर्माण, और सतत विकास लक्ष्यों को शिक्षा में शामिल कर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के उद्देश्यों को साकार करने में योगदान दे रहा है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अंतर-विश्वविद्यालय शिक्षक शिक्षा केंद्र शिक्षक-प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रभावी रूप में शिरकत करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन में प्रभावी भूमिका का निर्वहन कर रहा है। ज़रूरत है सभी उच्च शिक्षा संस्थाओं को आगे आने की और यूजीसी द्वारा स्थापित अंतर-विश्वविद्यालय शिक्षक शिक्षा केंद्र, वाराणसी के साथ मिलकर, गुणवत्तापूर्ण शिक्षकों के माध्यम से भारत की शिक्षा को नई दिशा वा दशा देने की।
(लेखक महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी, चम्पारण के पूर्व आचार्य तथा वर्तमान में यूजीसी के अंतर-विश्वविद्यालय अध्यापक शिक्षा केंद्र, वाराणसी में आचार्य, शिक्षा/उच्च शिक्षा नीति तथा संकायाध्यक्ष, शैक्षणिक और शोध हैं)
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