दीदउ गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर के हिन्दी विभाग में मनाई गई प्रेमचंद जयंती

Jul 31, 2024 - 23:40
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दीदउ गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर के हिन्दी विभाग में मनाई गई प्रेमचंद जयंती

प्रेमचंद ने साहित्य के सौंदर्य शास्त्र के प्रस्थान बिंदु को बदल दिया।'- डॉ ० मधुप कुमार 

'प्रेमचंद ने साहित्य के सौंदर्य शास्त्र के प्रस्थान बिंदु को बदल दिया।' यह बात प्रख्यात आलोचक और जे.बी. महाजन डिग्री कॉलेज के प्राचार्य डॉ. मधुप कुमार ने कहा। वे दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी और पत्रकारिता विभाग में प्रेमचंद जयंती के अवसर पर आयोजित संगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। डॉ. मधुप ने प्रेमचंद के साहित्य की चर्चा करते हुए कहा कि लेखक किसी असुंदर चीज को सुंदर बनाने के लिए सीधे-सीधे बात नहीं करता है बल्कि वह प्रतीकों के माध्यम से बात करता है। प्रेमचंद ने अपने साहित्य के माध्यम से ऐसा ही किया है। प्रेमचंद में वह शक्ति है कि वह अपने पाठकों को एक तरफ आत्मोन्मुख भी करते हैं और दूसरी तरफ समाजोन्मुख भी करते हैं।

इससे पूर्व अपने स्वागत वक्तव्य में विभागाध्यक्ष प्रो. दीपक प्रकाश त्यागी ने प्रेमचंद के 'साहित्य का उद्देश्य' निबंध की व्याख्या करते हुए कहा कि प्रेमचंद ने साहित्य का नया उद्देश्य, नया आयाम, नई विचारयात्रा प्रस्तुत किया।

प्रो. राजेश कुमार मल्ल ने कहा कि प्रेमचंद अपने समय के अंतरविरोधों की व्याख्या करते हैं जिसमें वे आंतरिक उपनिवेशवाद का न सिर्फ चित्रण करते हैं बल्कि इसका विरोध भी करते हैं।

उन्होंने भारतीय समाज की आंतरिक समस्याओं को गहराई से व्याख्यायित किया।

प्रो. विमलेश कुमार मिश्रा ने कहा कि प्रेमचंद को खंड-खंड में न देखकर समग्रता में देखना होगा ऐसा करने से वे आधुनिक लेखक के रूप में सामने आते हैं। 'परीक्षा' कहानी के माध्यम से मनुष्य में संवेदनशीलता की महत्ता की चर्चा करते प्रो. मिश्र ने कहा कि विडंबना यह है कि आज का दौर में प्रेमचंद को भूलने का दौर है। 

प्रेमचंद ने कथा साहित्य के माध्यम से ऐसी राष्ट्रीयता का स्वप्न देखा जिसमें जन्मजात वर्णों की गंध न हो। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. अनिल कुमार राय ने कहा कि प्रगतिशीलता का मानदंड इससे भी निर्धारित होता है कि साहित्यकार स्वयं को उस तरफ विकसित करता है या नहीं। प्रो. राय ने आगे कहा कि प्रेमचंद कई बार अपनी सीमाओं को अतिक्रमिक करते हैं।

प्रेमचंद ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि विचारों में परिवर्तन व्यक्ति का गुण होना चाहिए। 

इसके पूर्व एमए के छात्र अनुराग यादव ने प्रेमचंद की कहानी 'ठाकुर का कुआं' का पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन एमए के छात्र प्रवीण तिवारी ने और धन्यवाद ज्ञापन अचिंत्य मिश्र ने किया। इस अवसर पर प्रो. कमलेश कुमार गुप्त, प्रो. प्रत्यूष दुबे, डॉ. अखिल मिश्र, डॉ. रामनरेश राम, डॉ. संदीप यादव, डॉ. नरेन्द्र कुमार, डॉ. अभिषेक शुक्ल, डॉ. रजनीश कुमार चतुर्वेदी, डॉ. नरगिस बानो, आयुष सेंगर और विभाग के सभी छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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