कला या संस्कृति की अभिव्यक्ति भाषा के बिना असम्भव : प्रो. प्रयाग नारायण मिश्र

डीडीयू में एनईपी ओरिएंटेशन और सेंसिटाइजेशन कार्यक्रम का तीसरा दिन

Sep 5, 2025 - 12:28
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कला या संस्कृति की अभिव्यक्ति भाषा के बिना असम्भव : प्रो. प्रयाग नारायण मिश्र

आभासी दुनिया में संवाद के नए आयाम हुए स्थापित” – डॉ. धनन्जय चोपड़ा,

भाषा भावनाओं की अभिव्यक्ति और समाज को जोड़ने वाला सेतु है – प्रो. अजय कुमार शुक्ला

हिन्द भास्कर, गोरखपुर।

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के यूजीसी मालवीय मिशन टीचर ट्रेनिंग सेंटर (MMTTC) द्वारा आयोजित 11वें ऑनलाइन “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: ओरिएंटेशन एवं सेंसिटाइजेशन” कार्यक्रम के तीसरे दिन दिनांक 04 सितंबर 2025को दो सत्रों का आयोजन हुआ, जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. प्रयाग नारायण मिश्र, अध्यक्ष, संस्कृत विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रयागराज एवं डॉ. धनन्जय चोपड़ा, कोर्स कोऑर्डिनेटर, सेंटर ऑफ मीडिया, इलाहाबाद विश्वविद्यालय की गरिमामयी उपस्थिति रही।

प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए प्रो. प्रयाग नारायण मिश्र ने कहा कि भाषा का कला या संस्कृति के साथ अन्योन्याश्रित सम्बन्ध है, कला या संस्कृति की अभिव्यक्ति भाषा के बिना असंभव है। उन्होंने आगे बताया कि संस्कृति एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक हस्तांतरित होती रहती है, और हमें अपनी पीढ़ी के समक्ष एक आदर्श प्रतिमान स्थापित करना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी परंपरा और आधुनिकता का संतुलन स्थापित कर सके।

द्वितीय सत्र में मुख्य वक्ता डॉ. धनन्जय चोपड़ा, कोर्स कोऑर्डिनेटर, सेंटर ऑफ मीडिया, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, ने “नयी संप्रेषण तकनीक और मीडिया” पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि आज तकनीक और नवाचार पूरी दुनिया को बदल रहे हैं। आभासी दुनिया ने संवाद के नए आयाम खोले हैं। भारत पॉडकास्ट इंडस्ट्री का तीसरा सबसे बड़ा हब बन चुका है। जनसंचार के इस युग में ‘जन ही संचार है’। उन्होंने यह भी बताया कि NEP 2020 डिजिटल और AI सक्षम शिक्षा, मीडिया साक्षरता और बहुविषयक कौशलों पर विशेष बल देती है।

कार्यक्रम संयोजक प्रो. अजय कुमार शुक्ला, पूर्व विभागाध्यक्ष, अंग्रेजी विभाग, ने अपने उद्बोधन में कहा कि भाषा केवल संप्रेषण का साधन ही नहीं, बल्कि भावनाओं और विचारों की जीवंत अभिव्यक्ति है। सम्पूर्ण विश्व एक परिवार के समान है, और भाषा ही वह सेतु है जो विविधताओं को जोड़कर एकता का स्वरूप देती है। उन्होंने आगे कहा कि पुस्तक में लिखी हुई विद्या तभी सार्थक होती है जब वह समाज के कल्याण और मानवीय उत्थान में योगदान दे। साथ ही उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य शिक्षा को केवल सूचनामूलक न बनाकर उसे जीवनमूलक, मूल्यपरक और सर्वांगीण विकास का साधन बनाना है।

सह-संयोजक डॉ. मनीष पांडेय, सहायक आचार्य, अंग्रेजी विभाग, ने दोनों सत्रों की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस प्रकार के विमर्श NEP की उस भावना को साकार करते हैं जिसमें शिक्षा को व्यावहारिक, बहुविषयक और मूल्यपरक बनाने पर बल दिया गया है।

कार्यक्रम में स्वागत एवं आभार ज्ञापन क्रमशः अरुण कुमार मिश्र, प्रीति कुमारी और अंकित पाठक ने किया। तकनीकी सहयोग नितेश सिंह और विशाल मिश्रा द्वारा प्रदान किया गया। देशभर के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों से बड़ी संख्या में शिक्षक एवं शोधार्थियों ने सहभागिता की।

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