बीते 100 वर्षों से हो रहे हैं समाज जागरण के प्रयास, उन्हीं में एक था राम मंदिर आंदोलन : स्वान्त रंजन
हिन्द भास्कर
लखनऊ।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख स्वान्त रंजन जी ने कैसरबाग स्थित कला मण्डपम् में आयोजित राष्ट्रधर्म मासिक पत्रिका के विशेषांक 'विकसित भारत' के विमोचन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में कहा कि सभी को साथ लेकर चलने से ही विकसित भारत का निर्माण होगा। विकसित भारत बनाने में समाज को भी लगना होगा। जो आक्रमणकारी ताकतें बाहर से आईं, उन्होंने देश पर कुठाराघात किया। ऐसे में हम अपने 'स्व' को ही भूल गए। समाज आत्मकेंद्रित हो गया, असंगठित हो गया। आज धीरे-धीरे समाज संगठित हो रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 वर्ष के लगातार प्रयासों से समाज जागरण हुआ है। इसी में एक प्रयत्न था राम मंदिर आंदोलन।
स्वान्त रंजन जी ने कहा कि 2013-14 से 2022-23 के मध्य 25 करोड़ भारतीय गरीबी रेखा से बाहर आये हैं। राष्ट्र जागरण का आंदोलन बीते 100 वर्षों से चल रहा है। इस आंदोलन की परिणिति मात्र राम मंदिर बनाने की नहीं थी। इससे समाज का जागरण करना आवश्यक था। प्रारम्भ से ही संघ ने कहा कि जन्मभूमि स्थान यहीं है। मंदिर यहीं होना चाहिये। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 का हटना भी ऐसा ही प्रयत्न है। उन्होंने कहा कि हम दूसरों को पीछे करके आगे नहीं बढ़ते, हम सबको साथ लेकर चलते हैं।
विकसित भारत के लिए "पंच परिवर्तन" की अहम भूमिका
स्वान्तरंजन ने भारत को विकसित करने में पंच परिवर्तनों की भूमिका को भी स्पष्ट किया। उन्होंने स्व पर बल देते हुए कहा कि हमें अपने मूल को पहचानना होगा। उन्होंने दूसरे विषय 'नागरिक कर्तव्य' के बारे में कहा कि हमें आत्मानुशासन का पालन करते हुये समाज निर्माण करने में सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिये। वहीं, तीसरे विषय 'कुटुम्ब प्रबोधन' पर उन्होंने कहा कि परिवार में मिल-जुलकर रहना, एक-दूसरे के साथ बांटकर खाना बहुत आवश्यक है। यह प्रथा आज खत्म होती जा रही है। ऐसा करके हम अपनी परम्परा और संस्कृति को बरकरार रख सकते हैं। उन्होंने पर्यावरण के विषय पर जोर देते हुये कहा कि प्रकृति के साथ ही हम सबको चलना होगा। हमें सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग छोड़ना होगा। कुम्भ में इस बार पॉलीथीन का प्रयोग न हो, इसके प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने सामाजिक समरसता को भी विकसित भारत के लिए आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि संघ इन विषयों को लेकर गॉंव-गॉंव में जायेगा।
पत्रिका जन-जन तक पहुंचनी चाहिये।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सभापति कुँवर मानवेन्द्र सिंह ने कहा कि विकसित भारत ज्ञान का भारत, ध्यान भारत, सुरक्षित भारत और स्वच्छ भारत होगा। "राष्ट्रधर्म" का यह अंक इस दिशा में मार्गदर्शन करेगा। आज भारत की प्रतिष्ठा सर्वव्यापी है। हमारे देश में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। हम सभी देशवासियों को लैंगिक एवं जातीय भेदभाव के विरूद्ध कार्य करते हुये इसे समाप्त करना होगा। हम सबको ऐसा प्रयास करना चाहिये जिससे सभी को गुणवत्तापरक ज्ञान प्राप्त हो सके। ऐसा करके ही एक भारत, श्रेष्ठ भारत की संकल्पना को साकार करना होगा। भारत अमृतकाल के दौर से गुजर रहा है। आशा है कि यह विशेषांक पूर्व की भांति ही अमृतकाल के दायित्वों का पालन करते हुये राष्ट्रवासियों को राह दिखायेगी। उन्होंने कहा कि यह पत्रिका जन-जन तक पहुंचनी चाहिये।
वहीं, राष्ट्रधर्म पत्रिका के सम्पादक प्रो. ओमप्रकाश पाण्डेय जी ने कहा कि "राष्ट्रधर्म" का दायित्व है कि वह समाज का जो घटनाक्रम है, उसे सबके समक्ष प्रस्तुत करें। राष्ट्र के प्रति इस धर्म का पालन सतत प्रकार से निभाया जा रहा है। यह विशेषांक अपने उसी दायित्व को पूरा कर रहा है। इसके अतिरिक्त राष्ट्रधर्म प्रकाशन लिमिटेड के प्रबंधक डॉ. पवनपुत्र बादल ने कहा कि राष्ट्रधर्म प्रकाशन भारत के मान, स्वाभिमान के विषयों पर जो देशहित के विमर्श हैं, उस पर कार्य करता आया है। वर्ष 1947 से लेकर अब तक राष्ट्रप्रेम में अपना कर्तव्य निभाता आ रहा है। कार्यक्रम में सम्पादक मंडल के सदस्य गण डॉ. राजशरण शाही, डॉ. अमित कुशवाहा, डॉ. अनुज मिश्र, डॉ. अमित उपाध्याय और मानवेंद्र पंकज सहित कहानीकार नीलम राकेश और मदनमोहन पाण्डेय तथा सभी अभिकर्ताओं को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन निदेशक डॉ. ओमप्रकाश सिंह ने किया।
इस कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्यों सहित राष्ट्रधर्म पत्रिका के निदेशक मनोजकांत, प्रभारी निदेशक सर्वेशचन्द्र द्विवेदी, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. राजशरण शाही, डॉ. अशोक दुबे, अभिनव भार्गव, रामजी भाई, विश्व हिन्दू परिषद के प्रांत संगठन मंत्री विजय प्रताप सहित साहित्यकार, पत्रकार एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
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