प्रचंड गर्मी और संघ शिक्षा वर्ग / कार्यकर्ता विकास वर्ग में स्वयंसेवको की साधना- शुभम् मिश्र

May 17, 2025 - 23:23
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प्रचंड गर्मी और संघ शिक्षा वर्ग / कार्यकर्ता विकास वर्ग में स्वयंसेवको की साधना- शुभम् मिश्र

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) आज किसी पहचान का मोहताज नहीं। आज भारतवर्ष ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्वभर में जहां जहां हिन्दू जनमानस है, संघ अपनी अखण्ड साधना के बल पर वहाँ तक अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।

संघ ने अपने 100 वर्षो के शताब्दि वर्ष के इस अखण्ड यात्रा में ऐसे ऐसे देवदुर्लभ स्वयंसेवको का निर्माण किया है, जो अपने व अपने कुटुम्ब के लिये नहीं जीते, अपितु राष्ट्रधर्म को ही सर्वोपरि मानकर समाज मे अविचल चलती रहे भावना के साथ कार्य करते है।

जहां वैशाख, ज्येष्ठ मास के प्रचण्ड तपती गर्मी में जहाँ आम जनमानस गर्मी से राहत पाने हेतु वातानुकूलित में रहना पसंद करते है।

जहां सामान्य जन प्रचण्ड गर्मी में घरों से निकलने में संकोच करते हैं।

वही हमारे देवदुर्लभ संघ स्वयंसेवक एक तपस्वी की भाँति गर्मी की परवाह किये बिना, संघ शिक्षा वर्गों, में कार्यकर्ता विकास वर्गों में अपना पसीना बहाकर, विपरीत परिस्थितियों में रहकर स्वयं को समाज, राष्ट्रधर्म के कार्य करने हेतु अनुकूल, अपने व्यक्तिगत जीवन को गढ़ने हेतु स्वयंसेवक कंटकाकीर्ण साधना करते हैं।

संघ के शिक्षा वर्ग, 7 दिन से लेकर 25 दिनों की आयोजित किये जाते है।

यह वर्ग भौतिक सुख सुविधाओं से दूर किसी विद्यालय, महाविद्यालय परिसर में आयोजित किये जाते हैं।

संघ शिक्षा वर्ग, कार्यकर्ता विकास वर्ग की दिनचर्या प्रातः 4 बजे जागरण से आरम्भ होकर रात्रि 10 बजे दीप विसर्जन तक रहती है।

इसी दिनचर्या के आधार पर दिनभर के सभी कार्यक्रम समय सारणी के साथ, समयबद्ध ढंग से सम्पन्न कराये जाते हैं, जो दिनभर के व्यस्त कार्यक्रम होते है, इन वर्गों में स्वयंसेवको कार्यकर्ताओं के शारीरिक, बौद्धिक, व्यवहारिक, दक्ष किया जाता है।

वर्ग का आरम्भ नित्य प्रातः एकात्मता स्तोत्र, एकता मंत्र, माँ भारती के वंदना के साथ आरम्भ होती है।

पूरे दिन में प्रातः व सायं 4 घण्टे संघ स्थान पर परम् पवित्र भगवा ध्वज तले स्वयंसेवको द्वारा प्रचण्ड गर्मी में शारिरिक कार्यक्रम संचालित होते है जिसमें दण्ड, नियुद्ध, योग, समता, खेल, पदविन्यास जैसे कठिन शारीरिक कार्यक्रम होते हैं।

जहां स्वयंसेवक आत्मरक्षा के कौशल में पारंगत होने के साथ साथ स्वस्थ शरीर का निर्माण करते हैं, शेष समय के बौद्धिक व व्यवहारिक सत्र में समसामयिक विषयों, इतिहास, सनातन संस्कृति, सभ्यता, भारतीयता जैसे प्रमुख विषयों पर श्रेष्ठ संघ के वरिष्ठ विचारकों/अधिकारियों द्वारा चर्चा, संवाद, व्याख्यान सत्र आयोजित होते है।

जहां स्वयंसेवको के बौद्धिक स्तर का विकास अपने अधिष्ठान के प्रति निष्ठा और आत्मविश्वास का विकास होता है।

इन वर्गों में अधिकारी व सामान्य स्वयंसेवको के बीच कोई अंतर नहीं होता, सभी एक साथ, एक जैसे जमीन पर बैठकर भोजन मन्त्र करकर सामान्य भोजन करते है।

शिक्षार्थी व अधिकारी अपने भोजन के पात्र, वस्त्र, व अपने स्थान के स्वच्छता की चिंता स्वयं करते है।

साथ ही एक साथ सभी भूमि पर ही शयन भी करते है।

इन वर्गों में सभी अपना व्यय स्वयं करते है।

शिक्षक, अधिकारी, शिक्षार्थी, व्यवस्था में लगे कार्यकर्ता आदि का भी शुल्क लिया जाता है, उसी से वर्ग की सभी व्यवस्थाएं सम्पन्न होती है।

संघ शिक्षा वर्ग की अवधि भर सभी का सचल दूरभाष बंद रहता है, स्वयंसेवक अपना सचल दूरभाष घर पर ही रखकर वर्ग में जाते हैं अथवा वर्ग में पहुचते ही भंडार में जमा कर देते है।

इस प्रकार वर्ग में प्रशिक्षार्थी सभी देवदुर्लभ स्वयंसेवक समस्त भौतिक संसाधनो सुख सुविधाओं से दूर रहकर राष्ट्रभक्ति की साधना में स्वयं को इदम न मम् इदम राष्ट्राय स्वाहा की पवित्र भावना से स्वयं को समर्पित कर देते हैं।

वर्गों में कठिन तपस्चर्या के साथ प्रसन्नतापूर्वक सभी प्रशिक्षार्थी स्वयंसेवक भारत भक्ति की आराधना करते है।

माँ भारती को परम वैभव के सिंघासन पर आरूढ़ करने के लिये कटिबद्ध स्वयंसेवक कठिन तपस्या कर स्वयं को देश सेवा में समर्पित करते है।

वर्तमान समय में देशभर में कुल 43 प्रान्तों में संघ शिक्षा वर्ग (अवधि 20 दिन )

कुल 11 क्षेत्रों में कार्यकर्ता विकास वर्ग (अवधि 20 दिन)

एवं पूज्य डा.हेडगेवार व परम् पूज्य श्रीगुरुजी की तपस्थली रेशिमबाग नागपुर में कार्यकर्ता विकास वर्ग (द्वितीय)- (अवधि 25 दिन ) के वर्ग चल रहे हैं, जहां हजारो स्वयंसेवक भीषड़ गर्मी को दरकिनार कर तपस्या रूपी जीवन जी कर भारत माता की सेवा के लिये अपने को निर्माण कर रहे हैं।

वास्तव में यह संघ शिक्षा वर्ग, कार्यकर्ता विकास वर्ग एक साधना है, तपस्चर्या है, आचार्य चाणक्य ने अपने राजनीति शास्त्र में कहा था कि किसी भी देश में शांति काल में जितना पसीना बहेगा, उस देश में युद्ध काल मे उससे दूना रक्त बहने से बचेगा।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इन शिक्षा वर्गों में आये प्रशिक्षार्थी आचार्य चाणक्य की कल्पना पर ही राष्ट्र के शांति काल मे योजना-निर्माण रचना पर अथक परिश्रम करते हुए सतत कर्मशील रहने का व अपना पसीना बहाने का संकल्पित प्रशिक्षण लेते हैं।

जीवन की छोटी छोटी बातों से लेकर विश्वभर के विषयों में व्यक्ति किस प्रकार समग्र चिंतन के साथ आगे बढ़े, इसका प्रशिक्षण इन वर्गों में दिया जाता है।

वसुधैव कुटुम्बकम, सर्वे भवन्तु सुखिनः, धर्मो रक्षति रक्षितः, इदम न मम् इदम राष्ट्राय स्वाहा, मम् दिक्षा हिन्दू रक्षा, समरस हिन्दू समर्थ भारत, जैसे सर्वव्यापी सूक्तियों को हृदय में धारण कर, स्वयंसेवक के मानस में सहज स्थापित हो जाये यही लक्ष्य होता है, यह वर्ग व्यक्ति में केवल भाव परिवर्तन या भाव विकास में सहयोगी होते है।

सम्भवतः यही व्यक्ति विकास का सफल मार्ग भी है।

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