मनुष्य ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में से एक है, इस लिए उसके प्रति सद्भाव और सहानुभूति रखें:- मुख्यमंत्री योगी

मनुष्य ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में से एक है, इस लिए उसके प्रति सद्भाव और सहानुभूति रखें:- मुख्यमंत्री योगी

Dec 4, 2025 - 01:53
Dec 4, 2025 - 02:10
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मनुष्य ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में से एक है, इस लिए उसके प्रति सद्भाव और सहानुभूति रखें:- मुख्यमंत्री योगी
  • भारतीय मनीषा का मानना है कि वास्तविक शक्ति मन, संकल्प और आत्मबल में है, हर व्यक्ति है ईश्वरीय कृति
  • आधुनिक सहायक सामग्रियों के लिए उपलब्ध कराया गया धन
  • 18 मंडलों में बचपन डे केयर केंद्र संचालित

लखनऊ(हिन्द भास्कर):- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विश्व दिव्यांग दिवस पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में सभी की मंगलकामना करते हुए कहा कि आज देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ0 राजेंद्र प्रसाद की भी पावन जयंती है। उनकी स्मृतियों को नमन करते हुए मैं विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

उन्होंने कहा कि हमारे यहां एक ग्रंथ है अष्टावक्र गीता जिसे ऋषि अष्टावक्र ने रचा था। उनके बारे में अनेक धारणाएं हैं, और कहते हैं कि विदेह जनक को भी आत्मज्ञान की प्रेरणा उन्होंने दी। मध्यकाल में संत सूरदास इसके उदाहरण हैं। दुनिया में भी अनेक ऐसे उदाहरण हैं जहां दिव्यांगजनों को थोड़ा भी संबल मिला तो उन्होंने अपने सामर्थ्य और अपनी शक्ति से समाज के लिए वह सब कुछ कर दिखाया जिस पर सामान्य जन को सहज विश्वास भी नहीं होता है।

उन्होंने कहा कि दिव्यांगजन के कल्याण के लिए केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा जो कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, वे एक प्लेटफॉर्म के रूप में आपके लिए अत्यंत उपयोगी हो सकते हैं। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि अगर किसी के परिवार में बच्चा दिव्यांगता का शिकार होता है तो स्वाभाविक रूप से परिवार और समाज उसे शक्तिहीन नजरों से देखती है और उन्हे सामाजिक बहिष्कार और अलगाव की ओर ले जाता है। जिस से वह अपने आप को समाज में पूरी तरह से लाचार महसूस करते हैं और अपने आप को हीन भावना से भी देखते हैं। अगर हम थोड़ा सा संबल दें तो बहुत अच्छे परिणाम सामने आ सकते हैं।

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार में हमारे खेल और युवा कल्याण विभाग के सचिव स्वयं पैरालंपिक मेडलिस्ट हैं तथा उस टीम का हिस्सा रहे हैं जिसने पैरा ओलंपिक में सर्वाधिक मेडल जीते। चित्रकूट के मंडलायुक्त दृष्टिबाधित हैं, लेकिन मंडलायुक्त के रूप में वहां अपनी पूरी क्षमता से कार्य कर रहे हैं। यह स्पष्ट संकेत है कि हमारी संकल्प शक्ति और आत्मबल ही हमारे सामर्थ्य का वास्तविक पैमाना है। इसी कारण भारत की मनीषा और ऋषि परंपरा ने कभी भी शारीरिक बनावट को व्यक्ति की क्षमता का आधार नहीं माना।

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि हर मनुष्य ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में से एक है। यदि हम हर मनुष्य के भीतर ईश्वर का वास मानकर उसके प्रति सद्भाव और सहानुभूति रखें तथा थोड़ा सा संबल दें तो उपेक्षा के भाव से उसे बाहर निकालकर समाज और राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ा जा सकता है। दिव्यांगजन की सामर्थ्य और उनकी प्रतिभा से समाज को लाभान्वित किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने दिव्यांगजनों के प्रति समाज की दृष्टि बदली है। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि शारीरिक रूप से कोई अंग कमजोर हो, लेकिन मानसिक रूप से वह अत्यंत परिपक्व हो। यदि संबल दिया जाए तो वह अपनी क्षमता, शक्ति और आत्मबल के आधार पर समाज और राष्ट्र के लिए अत्यंत उपयोगी बन सकता है।

उन्होंने कहा कि आज उत्तर प्रदेश सरकार ने पेंशन की राशि को 300 रुपये से बढ़ाकर 1000 रुपये कर दिया है। लाभार्थियों की संख्या भी 8 लाख से बढ़ाकर 11 लाख से अधिक कर दी गई है और तकनीक के उपयोग से पारदर्शी व सरल प्रक्रिया के जरिए उन्हें लाभान्वित किया जा रहा है। दिव्यांगजन के लिए अच्छे संस्थान स्थापित किए गए हैं और सहायक उपकरण वितरण की प्रक्रिया को भी व्यापक रूप से आगे बढ़ाया जा रहा है।

दिव्यांगजन कल्याण को 2014 के बाद नई गति मिली है। पहले व्हीलचेयर, ट्राईसाइकिल, ब्लाइंड स्टिक और हियरिंग एड प्राप्त करना अत्यंत कठिन था, परंतु एलिम्को, कानपुर और डी.डी.आर.सी. को सक्रिय कर स्थिति में सुधार किया गया। प्रदेश के सभी डी.डी.आर.सी. को पुनर्जीवित किया जा रहा है तथा प्रत्येक कमिश्नरी मुख्यालय पर नए केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए शब्द दिव्यांग ने सम्मान की नई भाषा और नई सोच को देश में स्थापित किया है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में यू.डी.आई.डी कार्ड के 16,23,000 से अधिक कार्ड निर्गत किए गए हैं और 19,74,000 से अधिक पंजीकृत हैं। कुष्ठावस्था पेंशन को 2,500 रुपये से बढ़ाकर 3,000 रुपये किया गया है तथा कृत्रिम अंगों के लिए अनुदान 10,000 रुपये से बढ़ाकर 15,000 रुपये किया गया है। स्मार्टफोन, टैबलेट और डेज़ी प्लेयर जैसी आधुनिक सहायक सामग्रियों के लिए भी धन उपलब्ध कराया गया है।

अब तक 3,84,000 से अधिक कृत्रिम उपकरण वितरित किए जा चुके हैं। शल्य चिकित्सा अनुदान 8,000 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये किया गया है और कॉक्लियर इम्प्लांट के लिए 6,00,000 रुपये की सहायता दी जा रही है। इस वर्ष 108 बच्चों का सफल इम्प्लांट कराया गया है। मानसिक दिव्यांगजन के लिए बरेली, मेरठ, गोरखपुर और लखनऊ में 50-50 क्षमता वाले आश्रय गृह संचालित हैं। चित्रकूट और बांदा में नए केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं तथा 16 जिलों में 24 संस्थान कार्यरत हैं।

लगभग 6,100 से अधिक दम्पत्तियों को विवाह प्रोत्साहन तथा लगभग 8,835 दिव्यांग व्यक्तियों को स्वरोजगार सहायता प्रदान की गई है। 18 मंडलों में बचपन डे केयर केंद्र संचालित हैं। प्रयास, संकल्प, ममता और स्पर्श नाम से संचालित 21 विशेष विद्यालयों में 1,488 बच्चे रहकर अध्ययन करते हैं। प्रदेश देश का एकमात्र राज्य है जहां दिव्यांगजन की उच्च शिक्षा के लिए दो विश्वविद्यालय संचालित हैं जिनमें डॉ0 शकुंतला मिश्रा दिव्यांगजन सशक्तिकरण विश्वविद्यालय और जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांगजन विश्वविद्यालय शामिल हैं।

यहां दिव्यांग बच्चों के लिए उच्च शिक्षा की व्यवस्था है तथा उनकी लॉजिंग और फूडिंग की संपूर्ण सुविधा उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि ओबीसी विद्यार्थियों को वित्तीय वर्ष 2024-25 में 3,124 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति प्रदान की गई है और 32,22,000 से अधिक छात्रों को इसका लाभ मिला है। कंप्यूटर प्रशिक्षण का बजट 11 करोड़ रुपये से बढ़कर 32 करोड़ 92 लाख रुपये हो गया है जिसके अंतर्गत 29,769 छात्रों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। विवाह अनुदान योजना में 2016-17 के 141 करोड़ रुपये की तुलना में 2024-25 में एक लाख गरीब पिछड़े वर्ग की बेटियों को सहायता उपलब्ध कराई गई है।

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