यह एक ऐतिहासिक सुधार है, जो हमारे शहरी प्रशासन की नींव को मजबूत करेगा:- ए.के. शर्मा
यह एक ऐतिहासिक सुधार है, जो हमारे शहरी प्रशासन की नींव को मजबूत करेगा:- ए.के. शर्मा

लखनऊ(हिन्द भास्कर):- ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा ने बताया कि सभी नगरीय निकायों में पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और वित्तीय मजबूती सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। प्रदेश के सभी नगर निगमों, नगर पालिका परिषदों और नगर पंचायतों में संपत्ति के हस्तांतरण एवं नामांतरण के कर निर्धारण प्रक्रिया को अब मानक उपविधि 2025 के तहत एकरूप और पारदर्शी बनाया जाएगा।
यह उपविधि उत्तर प्रदेश नगर पालिका वित्तीय संसाधन विकास बोर्ड द्वारा तैयार की गई हैं और इसे सभी नगरीय निकायों के बोर्ड अनुमोदन के पश्चात लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अब तक नगरीय निकायों में नामांतरण शुल्क एवं संपत्ति कर निर्धारण की कोई एक समान व्यवस्था नही थी। कही पर निश्चित शुल्क वसूला जाता था तो कही संपत्ति के विक्रय मूल्य पर एक से दो प्रतिशत तक शुल्क लगाया जाता था। नई मानक उपविधि के माध्यम से इन सभी विसंगतियों को समाप्त कर सभी निकायों में एक समान कर निर्धारण प्रक्रिया को लागू किया जाएगा।
इसके लिए नागरिकों से अब संपत्ति स्वामित्व परिवर्तन या संशोधन के लिए आवेदन ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से लिया जाएगा। विवाद रहित मामलों का निस्तारण अधिकतम 45 कार्य दिवसों के अंतर्गत किया जाएगा। उपविधि में शुल्क का निर्धारण स्पष्ट रूप से संपत्ति के क्षेत्रफल अथवा मूल्य के आधार पर किया गया है। प्रत्येक नामांतरण के लिए एक माह पूर्व सार्वजनिक सूचना/नोटिस जारी की जाएगी, जिससे कोई आपत्ति हो तो उसे सुना जा सके। यदि निर्धारित समय तक कोई आपत्ति प्राप्त नहीं होती है तो प्रविष्टि को अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
यदि कोई आपत्ति आती है तो संबंधित पक्षों को सुनवाई का अवसर दिया जाएगा और उसके बाद ही निर्णय लिया जाएगा। साथ ही, इस व्यवस्था के अंतर्गत 30 दिन के भीतर अपील का अधिकार भी प्रदान किया गया है। नगर विकास मंत्री ने कहा कि प्रदेश में पारदर्शी, डिजिटल और नागरिक-केंद्रित संपत्ति कर प्रणाली स्थापित करना हमारा लक्ष्य है। यह मानक उपविधि नगरीय निकायों में एकरूपता लाकर लंबित विवादों का समाधान करेंगी और राजस्व को बढ़ावा देगी।
नगरीय निकायों की कर प्रणाली में यह एक ऐतिहासिक सुधार है, जो हमारे शहरी प्रशासन की नींव को मजबूत करेगा। नगर विकास मंत्री ए.के. शर्मा ने बताया कि प्रदेश के नगर निगमों, नगर पालिका परिषदों व नगर पंचायतों में सम्पत्ति के हस्तांतरण/नामांतरण की प्रक्रिया एवं शुल्क की व्यवस्था में भिन्नता एवं अस्पष्टता के कारण नागरिकों को असुविधा का सामना करना पड़ता था। कर निर्धारण प्रकिया में सरलता लाने के लिए और निकायों में शुल्क में एकरूपता तथा मानक व्यवस्था लागू करने के मानक उपविधि, 2025 निर्गत की गई है।
इससे नागरिकों को संपत्ति कर निर्धारण में सुविधा एवं सरलता मिलेगी। इस उपविधि में नगरीय निकायों में संपत्ति के हस्तांतरण/नामांतरण शुल्क स्पष्ट रूप से निर्धारित किए गए है, जो सम्पत्ति के क्षेत्रफ़ल अथवा मूल्य पर आधारित है। उन्होंने सभी नगरवासियों को इसके लिए बधाई दी है। मानक उपविधि 2025 के तहत शहरी क्षेत्रों में विधिक उत्तराधिकारी या रजिस्ट्रीकृत वसीयत के मामलों में अब नगर निगमों में नामांतरण शुल्क की दरें संपत्ति के एक हजार वर्ग फीट पर 1000 रुपए, एक हजार से ज्यादा दो हजार वर्ग फीट में 2000 रुपए, दो हजार से ज्यादा तीन हजार वर्ग फीट में 3,000 रुपए, तीन हजार वर्ग फीट से ज्यादा पर 5,000 रुपए की दर निर्धारित की गई है।
इसी प्रकार नगर पालिका परिषदों एवं नगर पंचायतों में सम्पत्ति के एक हजार वर्ग फीट पर 500 रुपए, एक हजार से ज्यादा दो हजार वर्ग फीट में 1000 रुपए, दो हजार से ज्यादा तीन हजार वर्ग फीट में 1500 रुपए तथा तीन हजार वर्ग फीट से अधिक पर 2500 रुपए दर निर्धारित की गई है। अन्य सभी मामलों में नामांतरण शुल्क की दरें जिलाधिकारी द्वारा नियत सर्किल रेट या पंजीकरण अभिलेखों में अंकित धनराशि के आधार पर सुनिश्चित की गई है।
इसमें 05 लाख रुपए मूल्य की संपत्ति पर 1,000 रुपए, 5 लाख रुपए से 10 लाख रुपए की संपत्ति पर 2,000 रुपए, 10 लाख रुपए से 15 लाख रुपए की संपत्ति पर 3,000 रुपए, 15 लाख रुपए से 50 लाख रुपए की संपत्ति पर 5,000 रुपए तथा 50 लाख रुपए से अधिक मूल्य की संपत्ति पर 10,000 रुपए का शुल्क लगेगा।
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