भगवान शिव व सप्तऋषियों ने इसी धाम में की थी घोर तपस्या, यहीं से शुरू हुई थी शिवलिंग पूजा की शुरुआत

भगवान शिव व सप्तऋषियों ने इसी धाम में की थी घोर तपस्या, यहीं से शुरू हुई थी शिवलिंग पूजा की शुरुआत

May 11, 2025 - 17:53
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भगवान शिव व सप्तऋषियों ने इसी धाम में की थी घोर तपस्या, यहीं से शुरू हुई थी शिवलिंग पूजा की शुरुआत

उत्तराखंड(हिन्द भास्कर):- उत्तराखंड को देवभूमि भी कहा जाता है क्योंकि प्राचीन काल में यहां पर बड़े-बड़े ऋषि मुनियों ने तब किया था। इसी कड़ी में आज हम आपको उत्तराखंड के प्राचीन शिवालय के बारे में बता रहे है। उत्तराखंड में बहुत से शिवालय हैं, जहां भक्तों का अटूट आस्था है और वह यहां पूजा पाठ करने आते हैं। उन्हीं में से एक जागेश्वर धाम है, जहां शिवत्व का अहसास होता है।

जागेश्वर धाम को भगवान भोलेनाथ की तपोस्थली भी माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान शिव व सप्तऋषियों ने यहां पर घोर तपस्या की थी माना जाता है कि सबसे पहले लिंग के रूप में महादेव की पूजा की परंपरा यहीं से शुरू हुई थी। यहां स्थित भगवान शिव के पुराने मंदिर का पौराणिक महत्व होने के कारण लोगों के श्रद्धा का केंद्र है।

बाबा जागेश्वर धाम में सावन माह में पूजा-अर्चना करने श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते है। यहां के मुख्य मंदिरों में योगेश्वर मंदिर, चंडी का मंदिर,कुबेर मंदिर,मृत्युंजय मंदिर,नव दुर्गा मंदिर नवग्रह मंदिर, पिरामिड मंदिर, पुष्टि देवी मंदिर, लकुलीश मंदिर, बालेश्वर मंदिर, केदारेश्वर मंदिर शामिल हैं। यहां यह भी मानना है कि भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र का जाप अगर इस मंदिर में किया जाए तो उस का कई गुना फल भगवान शिव अपने भक्तों को देते हैं।

जागेश्वर धाम अल्मोड़ा जिला मुख्यालय से लगभग करीब 40 किमी की दूरी पर है। जागेश्वर धाम देवदार के घने जंगलों के बीच स्थित हैं जिस वजह से यहां श्रद्धालुओं को शांति और अलौकिक शक्ति का अहसास होता है। जागेश्वर धाम में 124 छोटे और बड़े मंदिरों का समूह है। जिस कारण अल्मोड़ा स्थित जागेश्वर मंदिर समूह अपनी वास्तुकला के लिए देश- विदेश में प्रसिद्ध है और देश विदेश से लोग यहां पूजा और दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में हर साल आते है।

मंदिर के बारे में कहा जाता है कि कत्यूरी शासकों ने मंदिर का निर्माण कराया था। आप को बता दें कि पिछले साल 12 अक्टूबर को इस मंदिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी विशेष पूजा अर्चना की थी। जिससे कुमाऊं मंडल में पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है।

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