शारदीय नवरात्रि: देवी चंद्रघंटा

Oct 4, 2024 - 23:55
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शारदीय नवरात्रि: देवी चंद्रघंटा

शारदीय नवरात्रि  

 देवी चंद्रघंटा 

पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता ।

प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता ॥

   आज आश्विन शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि है । तीसरा दिन यानि मां दुर्गा के तीसरी शक्ति की आराधना का दिन । इस दिन दुर्गा के स्वरूप , मां चंद्रघंटा की आराधना की जायेगी । 

      देवी मां के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित होने के कारण ही इन्हें चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है । 

  मां चंद्रघंटा, जिनका वाहन सिंह है । जिनके दस हाथों में से चार दायें हाथों में कमल का फूल, धनुष, जप माला और तीर है , और पांचवां हाथ अभय मुद्रा में रहता है। जबकि चार बाएं हाथों में त्रिशूल, गदा, कमंडल और तलवार है , और पांचवा हाथ वरद मुद्रा में रहता है । यह रूप बड़ा ही कल्याणकारी माना जाता है ।

     माता भक्तों की रक्षा के लिये तैयार रहती हैं। इनके घंटे की ध्वनि के आगे शत्रु नष्ट हो जाता है । अतः देवी चंद्रघंटा समस्त कष्टों से मुक्ति दिलाती हैं। आज मां चंद्रघंटा के मंत्र का जप किया जाये तो, साधक को शुक्र ग्रह के अनुकूल परिणाम मिलते हैं। क्योंकि शुक्र ग्रह पर मां चंद्रघंटा का आधिपत्य है । अतः आज मां चंद्रघंटा के मंत्र का जप करना चाहिए। 

मंत्र है-

पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता ।

प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता ॥

  

   इस मंत्र का ग्यारह बार जप करने से शुक्र संम्बन्धित कष्ट दूर होते हैं , जीवन में भौतिक सुख समृद्धि मिलती है। 

    मां चंद्रघंटा के भोग में

कन्याओं को खीर, हलवा एवं मिठाई खिलाने से माता प्रसन्न होती हैं | प्रसाद के रूप में गाय के दूध से बनी खीर का भोग लगाने से साधक को सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है|

 पूजा विधि -

    एक चौकी पर माता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें । गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें। चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उपर नारियल रखकर कलश स्थापित करें । संकल्प के साथ वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा मां चंद्रघंटा सहित समस्त आवाहित देवताओं का षोडशोपचार पूजन करें। इसमें आसन, पाद्य, अर्ध्य , आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दूर्वा, बेलपत्र, आभूषण, पुष्प-माला , सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्रपुष्पांजलि आदि करें। तत्पश्चात् प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें।

ध्यान -

वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम् ।

सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम्॥

मणिपुर स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम् ।

खंग, गदा, त्रिशूल,चापशर,पद्म कमण्डलु माला वराभीतकराम् ॥

पटाम्बर परिधानां मृदुहास्य नानालंकार भूषिताम् ।

मंजीर हार केयूर,किंकिणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम् ॥

प्रफुल्लवदना बिंबाधारा कांत कपोलां तुगं कुचाम् ।

कमनीयां लावाण्याम् क्षीणकटि नितम्बनीम् ॥

स्तोत्र पाठ -

आपदुध्दारिणी त्वंहि आद्या शक्तिः शुभपराम् ।

अणिमादि सिध्दिदात्री चंद्रघटा प्रणमाम्यहम् ॥

चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्ट मन्त्र स्वरूपिणीम् ।

धनदात्री, आनन्ददात्री चन्द्रघंटे प्रणमाम्यहम् ॥

नानारूपधारिणी इच्छानयी ऐश्वर्यदायनीम् ।

सौभाग्यारोग्यदायिनी चंद्रघंटेप्रणमाम्यहम् ।। 

शुभम् भवतु 

डॉ. ए. के. पाण्डेय

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