देश रत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद की 140वीं जयंती : अधिवक्ताओं ने दी श्रद्धांजलि
सादगी की मूर्ति थे डॉ राजेंद्र प्रसाद - एसडीएम न्यायिक राजेश अग्रवाल
हिन्द भास्कर
घोसी।
भारत के प्रथम राष्ट्रपति देश रत्न डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की जयंती तहसील बार भवन में मंगलवार को मनाई गई। इस कार्यक्रम में घोसी के उपजिलाधिकारी न्यायिक राजेश कुमार अग्रवाल बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए।
उपजिलाधिकारी न्यायिक राजेश कुमार अग्रवाल ने कहा कि स्वाधीनता आंदोलन के दौरान डॉ. राजेन्द्र प्रसाद एक सशक्त सेनानी व नेता के रूप में उभरे थे। वे अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ निरंतर लड़ते रहे। वर्ष 1931 के नमक सत्याग्रह और 1941 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्हें कई बार जेल की यातनाएं झेलनी पड़ी। उन्होंने कहा कि डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का सादा जीवन उच्च विचार लोगों के लिए प्रेरणादायक साबित होता है।
वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश राय ने कहा कि हिंदुस्तान एक ऐसी धरती है जहां वक्ता, अधिवक्ता, योगी, कर्म योगी, दानी, महादानी हुए हैं। इसी हिन्दुस्तान में बिहार मेधाओं की जननी है और बिहार की उर्वरा भूमि पर पैदा हुए भारत रत्न डा. राजेंद्र प्रसाद उन्होंने अधिवक्ताओं के लिए अधिवक्ता एक्ट का निर्माण किया। उन्हीं की देन है कि हम अधिवक्ता दिवस मना रहे हैं।
वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद सिंह ने कहा कि डॉ.राजेन्द्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष के रूप में सामाजिक प्रगति के प्रतीक डॉ. प्रसाद संविधान के मूल अधिकार, मूल कर्तव्य राज्य के नीति निदेशक और गरीबों के उत्थान के प्रति सदैव चिंतित रहा करते थे।
वरिष्ठ अधिवक्ता कालिकादत्त पाण्डेय ने कहा कि अधिवक्ता समुदाय वादकारियों को न्याय दिलाने में अहम भूमिका निभाता है।
कार्यक्रम का संचालन भुवेश श्रीवास्तव ने किया।
इस मौके पर वरिष्ठ अधिवक्ता शमसाद अहमद, भुवेंद्र कृष्ण, रफ़ीउल्लाह खान, प्रेम चंद्र राय, जनार्दन यादव, अखिलेश सिंह, रमेश श्रीवास्तव, ब्रह्मदेव उपाध्याय, रत्नेश श्रीवास्तव, सर्वेश सिंह, सतीश पाण्डेय, सुतीक्ष्ण मिश्र, उमाशंकर उपाध्याय समेत मऊ कलेक्ट्रेट बार के अधिवक्ता मौजूद रहे।
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