कांग्रेस शासन की संचालित योजना के साथ भाजपा का सौतेला रवैया : राघवेंद्र नारायण

Apr 17, 2025 - 12:06
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कांग्रेस शासन की संचालित योजना के साथ भाजपा का सौतेला रवैया : राघवेंद्र नारायण

मनरेगा मजदूर भुखमरी के कगार पर।

तत्काल भुगतान की मांग ।

हिन्द भास्कर 

सोनभद्र।

 एनएसयूआई कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राष्ट्रीय सचिव राघवेंद्र नारायण ने सोनभद्र जनपद में हजारों मनरेगा मजदूरों के दिसंबर माह से लंबित भुगतान और भुखमरी के कगार पर पहुंचने पर गहरा छोभ व्यक्त किया है। उन्होंने राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा की हजारों मजदूरों का पिछले 150 दिनों से अपनी मजदूरी के लिए तरस रहे हैं। ये हमारे गांवों के गौरव हैं, लेकिन सरकार की बेरुखी ने इन्हें भूख और बेबसी के मुहाने पर ला खड़ा किया है। 

राघवेंद्र नारायण ने बताया कि मनरेगा मजदूरी 237 रुपये प्रतिदिन है, और हर परिवार को सालाना 100 दिन काम की गारंटी कांग्रेस शासन काल की योजना है । मगर 2024-25 में अब तक महज सिर्फ 40% मजदूरों को ही औसतन 50 दिन का काम मिल सका है , वह भी बिना भुगतान के, सोनभद्र जनपद में 32 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया 5 माह से मजदूरी का भुगतान रुका हुआ है । मजदूरों के घरों में चूल्हे नहीं जल रहे, बच्चे भूख से तड़प रहे हैं, और परिवार कर्ज के जाल में फंसते जा रहे हैं, यह सरकार की संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है ।

उन्होंने सरकार की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि कर्मचारियों और प्रधानों की मजबूरी है एक तरफ सरकार का काम पूरा कराने का दबाव दूसरी तरफ मजदूरों का विरोध इसी के बीच फंस कर वो पीस रहे है। रोजगार सेवक, सेक्रेटरी, तकनीकी सहायक और प्रधानों की भी तकलीफ को उन्होंने बयां किया। और कहा की आवास आवंटन का सर्वे चल रहा है, लेकिन मजदूरी न मिलने से मजदूरों का आक्रोश बढ़ गया है। पिछले 3 माह में 70 से ज्यादा गांवों में काम रुके हुए है। प्रशासन दबाव डाल रहा है, और मजदूर सवाल पूछ रहे हैं ? कर्मचारियों और प्रधानो का गांव में घूमना मोहाल हो गया है गांवों में मजदूर अक्सर घेर ले रहें हैं , और किसी के पास सरकार के नकारेपन का कोई जवाब नहीं है।

'राघवेंद्र नारायण ने खुलासा किया कि 2024-25 में सोनभद्र के लिए 150 से अधिक मनरेगा परियोजनाएं स्वीकृत हुईं, जिनमें राशन दुकानें, आंगनबाड़ी भवन और तालाब जैसे तमाम काम शामिल हैं। "लेकिन भुगतान न होने से 50% से ज्यादे कार्य ठप पड़े हैं। मजदूर कहते हैं, 'पैसा दो, तभी काम करेंगे।' यह हाल सरकार की नाकामी का आईना है।

राघवेंद्र नारायण ने सरकार पर तंज कसा और कहा कि भाजपा का मनरेगा विरोधी, मज़दूर विरोधी, और रोज़गार विरोधी चेहरा बेनकाब हो गया है । कांग्रेस ने मनरेगा के तहत 14.28 करोड़ ग्रामीण मजदूरों को रोजगार का हक दिया था। मगर भाजपा इसे खत्म करने पर तुली है। 2023-24 में उत्तर प्रदेश का मनरेगा बजट सिर्फ 3.04% बढ़ा, जो देश में सबसे कम है, जबकि तमिलनाडु में यह 7.89% था। 2022-23 में 5.53 करोड़ जॉब कार्ड हटाए गए, जिसमें गरीबों का हक छीना गया। यह मजदूरों के साथ विश्वासघात है।15 दिन में भुगतान देने की मांग की है , वरना सड़कों पर परिणाम भुगतने को तैयार रहें ।

राघवेंद्र ने प्रदेश की योगी सरकार और आयुक्त से मांग की, सोनभद्र के मजदूरों का 32 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया 15 दिनों में चुकाएं। हमारे मेहनतकश भाई-बहनों और उनके बच्चों का भविष्य खतरे में है।

अगर सरकार चुप रही, तो हमारी पार्टी मजदूरों और कर्मचारियों के साथ मिलकर सड़कों पर उतरेगी और इस अन्याय के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ेगी।

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