दिनांक 28 अगस्त 2025 गुरुवार का पंचांग
ऋषि पंचमी व्रत पर विशेष जानकारी के साथ देखिए आज का पंचांग

28 अगस्त 2025 का पंचांग
तिथि: पंचमी दिन में 3 बजकर 53 मिनट तक तत्पश्चात षष्ठी
आज सूर्योदय-सूर्यास्त और चंद्रास्त का समय
सूर्योदय का समय : 05: 41 ए एम
सूर्यास्त का समय : 06: 19पी एम
चंद्रास्त का समय: 09:08 पी एम
नक्षत्र : चित्रा प्रातः 08 बजकर 17 मिनट तक तत्पश्चात स्वाती
आज का योग: शुक्ल -01:56 पी एम तक
आज का वार : गुरुवार
आज का पक्ष : शुक्ल पक्ष
शक सम्वत:1947 विश्वावसु
राष्ट्रीय भाद्रपद मास की छठी तिथि
विक्रम सम्वत:2082 कालयुक्त
आज 28 अगस्त 2025 गुरुवार को ऋषि पंचमी है
29 अगस्त 2025 शुक्रवार लोलार्क षष्ठी
31 अगस्त 2025 रविवार को महारविवार व्रत
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ऋषिपंचमी :
यह त्यौहार हिन्दू पंचांग के भाद्रपद महीने में शुक्ल पक्ष पंचमी को मनाया जाता है।यह त्यौहार गणेश चतुर्थी के अगले दिन होता है। इस त्यौहार में सप्त ऋषियों (कश्यप,अत्रि,भारद्वाज,विश्वामित्र,गौतम
जमदग्नि,वशिष्ठ) के प्रति श्रद्धा भाव व्यक्त किया जाता है।
किसे करना चाहिए
यह व्रत सभी महिलाओं को करना चाहिए। यह व्रत जाने -अनजाने में हुए पापों को नष्ट करने वाला है। इस दिन गंगा स्नान का भी महत्त्व है।
पूजा विधि
भाद्रपद शुक्ल पंचमी यानी ऋषि पंचमी का व्रत सभी वर्ग की महिलाओं को करना चाहिए।
प्रातःकाल नदी आदि में अथवा घर पर ही स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहन कर अपने घर में भूमि पर चौक बना कर सप्त ऋषियों की स्थापना करनी चाहिए। श्रद्धा पूर्वक सुगंध , पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से सप्तर्षियों का पूजन करें।
पूजन करके निम्न मंत्र से सप्तऋषियों को अर्घ्य दें।अकृष्ट भूमि (बिना जुती हुई भूमि ) से उत्पन्न फल आदि का शाकाहारी भोजन करना चाहिए।
सप्तऋषि पूजन का मंत्र -
'कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोथ गौतमः।
जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः॥
दहन्तु पापं सर्व गृह्नन्त्वर्ध्यं नमो नमः'॥
समापन
लगतार सात वर्ष तक ऋषि पंचमी के दिन व्रत रख कर आठवें वर्ष में सात सोने की मूर्तियां (श्रद्धानुसार ) बनवाकर एवम उनका पूजन कर सात गोदान तथा सात युग्मक-ब्राह्मण को भोजन करा कर सप्त ऋषियों की प्रतिमाओं का विसर्जन करना चाहिए।
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शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि में भगवान शिव का वास कैलाश पर होने से सौख्य होता है।
आज चित्रा नक्षत्र में प्रसूति स्नान, जातकर्म ,नामकरण, अन्नप्राशन, विद्यारंभ, सेवारंभ आदि मुहूर्त हैं।
आज दक्षिण दिशा तथा ईशान कोण में यात्रा का निषेध है। तथापि आवश्यक होने पर दधि खाकर या धारण कर यात्रा की जा सकती है।
-केशव शुक्ल
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