दिनांक 07 सितम्बर 2025 दिन रविवार का पंचांग

पितृपक्ष 08 सितंबर सोमवार से प्रारंभ होगा। भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक 16 दिन पितरों का तर्पण और विशेष तिथि को श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।

Sep 6, 2025 - 22:24
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दिनांक 07 सितम्बर 2025 दिन रविवार का पंचांग

07 सितंबर 2025 दिन रविवार का पंचांग 

विक्रम सम्वत:2082 कालयुक्त

मास एवं पक्ष :भाद्रपद शुक्ल पक्ष 

तिथि:  पूर्णिमा रात्रि 11 बजकर 48मिनट तक तत्पश्चात आश्विन कृष्ण प्रतिपदा 

नक्षत्र: शतभिषा रात में 10 बजकर 51मिनट तक तत्पश्चात पूर्वाभाद्रपद।

योग: सुकर्मा दिन में 11 बजकर 5 मिनट तक तत्पश्चात धृति

शक सम्वत:1947 विश्वावसु 

राष्ट्रीय भाद्रपद मास की 16वीं तिथि 

आज सूर्योदय-सूर्यास्त और चंद्रास्त का समय

सूर्योदय का समय : 05: 48 ए एम

सूर्यास्त का समय : 06: 12पी एम

चंद्रास्त का समय: नहीं 

व्रत एवं त्यौहार:

 

07 सितंबर 2025 रविवार को पूर्णिमा , महालयारम्भ,

पूर्णिमा तिथि की श्राद्ध,नान्दी मातामह श्राद्ध।

पितृपक्ष 08 सितंबर सोमवार से प्रारंभ होगा। 

भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक 16 दिन पितरों का तर्पण और विशेष तिथि को श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।

(१) पितृव्रत (कर्मकाण्डमार्गप्रदीप) - शास्त्रोंमें मनुष्योंके लिये देव-ऋण, ऋषि ऋण और पित-ऋण - ये तीन ऋण बतलाये गये हैं। इनमे श्राद्धके द्वारा पितृ ऋणका उतारना आवश्यक है: क्योंकि जिन माता-पिताने हमारी आयु, आरोग्य और सुख-सौभाग्यादिकी अभिवृद्धिके लिये अनेक यत्न या प्रयास किये उनके ऋणसे मुक्त न होनेपर हमारा जन्मग्रहण करना निरर्थक होता है। उनके ऋण उतारनेमें कोई ज्यादा खर्च हो, सो भी नहीं है, केवल वर्षभरमें उनकी मृत्यु-तिथिको सर्वसुलभ जल, तिल, यव, कुश और पुष्प आदिसे उनका श्राद्ध सम्पन्न करने और गोग्रास देकर एक या तीन, पाँच आदि ब्राह्मणोंको भोजन करा देनेमात्रसे ऋण उतर जाता है; अतः इस सरलतासे साध्य होनेवाले कार्यकी उपेक्षा नहीं करनी चाहिये । इसके लिये जिस मासकी जिस तिथिको माता-पिता आदिकी मृत्यु हुई हो उस तिथिको श्राद्धादि करनेके सिवा, आश्विन कृष्ण (महालय) पक्षमें भी उसी तिथिको श्राद्ध-तर्पण-गोग्रास और ब्राह्मण-भोजनादि करना-कराना आवश्यक है; इससे पितृगण प्रसन्न होते हैं और हमारा सौभाग्य बढ़ता है। पुत्रको चाहिये कि वह माता-पिताकी मरण-तिथिको मध्याह्नकालमें पुनः स्नान करके श्राद्धादि करे और ब्राह्मणोंको भोजन कराके स्वयं भोजन करे। जिस स्त्रीके कोई पुत्र न हो, वह स्वयं भी अपने पतिका श्राद्ध उसकी मृत्यु-तिथिको कर सकती है। भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमासे प्रारम्भ करके आश्विन कृष्ण अमावस्यातक सोलह दिन पितरोंका तर्पण और विशेष तिथिको श्राद्ध अवश्य करना चाहिये। इस प्रकार करनेसे 'पितृव्रत' यथोचितरूपमें पूर्ण होता है।

नोट - 07 सितंबर 2025 को खग्रास चंद्रग्रहण लगेगा जो सम्पूर्ण भारत में दिखाई देगा।

14 सितंबर 2025 को उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में सामान्य से अच्छी वर्षा के योग हैं।

                 

               -केशव शुक्ल 

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KeshavShukla विभिन्न राष्ट्रीय साहित्यिक-सांस्कृतिक मंचों पर साहित्य विमर्श, कविता, कहानी लेखन ,स्क्रिप्ट लेखन, नाटकों का मंचन, रेडियो स्क्रिप्ट लेखन, उद्घोषणा कार्य एवं पुस्तक समीक्षा।