भारत व गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुंडली बना रहा है संस्कृत विभाग

Dec 31, 2024 - 08:57
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भारत व गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुंडली बना रहा है संस्कृत विभाग

विश्वविद्यालय ज्ञान, पराक्रम और आय तीनों स्थितियों में स्थापित करेगा नवीन कीर्तिमान

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के संस्कृत एवं प्राकृत भाषा विभाग द्वारा संचालित पीजी डिप्लोमा ज्योतिष वास्तु एवं कर्मकांड के तत्वावधान में परिसंवाद का आयोजन हुआ. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. राजवंत राव ने ज्योतिष को वेदांग में सर्वश्रेष्ठ बतलाया। तथा कहा कि प्राकृतिक नियमों के रहस्यों को जानना ही ज्योतिष का प्रयोजन है, समय संदर्भ ज्योतिष मेें आवश्यक है। उन्होंने कहा की राशि की तुलना में लग्न महत्वपूर्ण है। 

इस अवसर पर विश्वविद्यालय की गत वर्ष एवं आगामी वर्ष के हानि-लाभ पर ज्योतिषीय गणना की गई। विभागीय शिक्षिका डॉ. अर्चना शुक्ला ने गोरखपुर विश्वविद्यालय की ज्योतिषीय गणना चार आधार पर की :

प्रथम गोचर कुण्डली 3.00 बजे अपराह्न की बनाई गई जिसमें विश्वविद्यालय की वर्तमान स्थिति की गणना की गई. इस गणना के अनुसार मीन लग्न उद्घाटित हो रहा है, जिसमें गुरु लग्नेश और कर्मेश होकर तृतीय भाव में विद्यमान है, जिसकी पांचवी दृष्टि सप्तम भाव -व्यापार भाव, सप्तम दृष्टि नवम भाव - धर्म ज्ञान भाव, नवम दृष्टि एकादश भाव - लाभभाव पर पड़ रही है, जो विश्वविद्यालय की उन्नति का संकेत दे रहा है।

 

दूसरी भारतवर्ष की कुंडली पर चर्चा हुई। उसके आधार पर भी विश्वविद्यालय समृद्धि की ओर अग्रसर होगा।

तीसरी कुंडली विश्वविद्यालय की 2025 के आधार पर बनाई गई. 

चतुर्थ कुंडली में 12 राशियों एवं लग्नों के फलागम पर विस्तार से विचार प्रस्तुत किया। 

 संपूर्ण विश्लेषण में यह पाया गया कि 2025 के आरंभिक समय में वित्तीय स्थिति मजबूत होगी। मध्य में जब गुरु केंद्र मे संचरण करेगा उसका प्रभाव यह होगा कि उचित विवेक सम्मत निर्णय से विश्वविद्यालय द्वारा सुन्दरीकरण एवं आधारभूत संरचनाओं पर भी व्यय होगा। समग्रतः निष्कर्ष यह प्राप्त हुआ कि आगामी वर्ष में विश्वविद्यालय ज्ञान , पराक्रम और आय तीनों स्थितियों में नवीन कीर्तिमान स्थापित करेगा ।

2025 के प्रथम सप्ताह में व्याख्यान श्रृंखला में विस्तार से कुंडली का उद्घाटन होगा. हानि - लाभ, वित्तीय स्थितियों पर विमर्श किया जाएगा.

इस अवसर पर विभागीय शिक्षक डॉ देवेंद्र पाल डॉ सूर्यकांत त्रिपाठी डॉ कुलदीपक शुक्ल डॉ धर्मेंद्र कुमार सिंह डॉ रंजन लता डॉ स्मिता द्विवेदी डॉ ज्ञानधर भारती सहित विभाग के शोधार्थी एवं अन्य ज्योतिष आदि विषयों के छात्र उपस्थित रहे.

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