राज्यपाल ने किया 'हिन्दी का गद्य साहित्य' के सोलहवें संस्करण का लोर्कापण

आचार्य रामचंद्र तिवारी और हिन्दी का गद्य साहित्य एक दूसरे के पर्याय हैं - शिव प्रताप शुक्ल

Sep 3, 2025 - 20:25
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राज्यपाल ने किया 'हिन्दी का गद्य साहित्य' के सोलहवें संस्करण का  लोर्कापण

राज्यपाल  शिव प्रताप शुक्ल ने दिनांक 03 सितंबर 2025  दिन बुधवार को शिमला राजभवन में  ‘‘हिंदी का गद्य साहित्य’’ के 16वें संस्करण का लोकार्पण किया। यह कृति सुप्रसिद्ध साहित्यकार, आलोचक और उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ के हिंदी गौरव सम्मान (2006) से अलंकृत, गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष, दिवंगत आचार्य  रामचन्द्र तिवारी की अमूल्य धरोहर है। इस पुस्तक के संशोधन एवं परिवर्धन का कार्य स्व० रामचन्द्र तिवारी के पुत्र डॉ. प्रेमव्रत तिवारी ने किया है। 

इस अवसर पर, राज्यपाल ने कहा कि साहित्य जगत में यह ग्रंथ हिंदी गद्य साहित्य के इतिहास को प्रामाणिकता, गहन शोध और आलोचनात्मक दृष्टि से प्रस्तुत करने वाला अद्वितीय संदर्भ ग्रंथ माना जाता है। उन्होंने कहा कि इसका प्रथम संस्करण आज से लगभग 70 वर्ष पूर्व, वर्ष 1955 में प्रकाशित हुआ था। और आज 16वाँ संस्करण, का सूत्रपात हुआ है। उनका लेखन हिंदी साहित्य-जगत के लिए दिशा-निर्देशक और प्रेरणास्रोत रहा है।

श्री शुक्ल ने कहा कि यह पुस्तक हिन्दी साहित्य के विद्यार्थियों, शोध अध्येताओं, शिक्षकों एवं साहित्यकारों के लिए बेहद उपयोगी सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में भारतेन्दु से लेकर फणीश्वर नाथ रेणु तक के हिन्दी के महत्वपूर्ण गद्यकारों का मूल्यांकन किया गया है। उन्होंने कहा कि आचार्य तिवारी और हिन्दी का गद्य साहित्य आज एक दूसरे के पर्यायवाची हैं। उन्होंने कहा कि यह कृति एक तरह से हिन्दी गद्य का कोष है।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र) के पूर्व प्रति कुलपति तथा दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. चित्तरंजन मिश्र ने पुस्तक को हिन्दी गद्य का कोष बताया। उन्होंने कहा कि स्व० तिवारी की आलोचना का विवेक किसी से प्रभावित नहीं था बल्कि अपने भावों से पढ़े साहित्य और आत्मविवेचन से प्रेरित था। वह आजीवन साहित्य के सत्य के अनुसंधान में लगे रहे। 

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में निदेशक प्रो. हिमांशु चतुर्वेदी ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि हिन्दी साहित्य की विधा में उनका उच्च स्थान रहा है। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक साहित्य के लिए अमूल्य निधि है, जिसका लाभ शोधार्थियों से लेकर साहित्य के जानकारों के लिए उपयोगी है।

कार्यक्रम के संयोजक डॉ धर्मव्रत तिवारी ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।

राज्यपाल के सचिव श्री सी.पी. वर्मा, साहित्यकार और भारतीय अध्ययन संस्थान के फैलो भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

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KeshavShukla विभिन्न राष्ट्रीय साहित्यिक-सांस्कृतिक मंचों पर साहित्य विमर्श, कविता, कहानी लेखन ,स्क्रिप्ट लेखन, नाटकों का मंचन, रेडियो स्क्रिप्ट लेखन, उद्घोषणा कार्य एवं पुस्तक समीक्षा।