शिक्षा का उद्देश्य स्व से सर्वस्व तक- प्रो0राजशरण शाही

Sep 4, 2025 - 00:40
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शिक्षा का उद्देश्य स्व से सर्वस्व तक- प्रो0राजशरण शाही

पर्यावरण हमारे जीवन का आधार स्तम्भ है – प्रो. शरद कुमार मिश्र

शिक्षा मनुष्य का सर्वांगीण विकास है – प्रो. अजय कुमार शुक्ला

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के यूजीसी–मालवीय मिशन टीचर ट्रेनिंग सेंटर (MMTTC) द्वारा आयोजित 11वें ऑनलाइन “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: ओरिएंटेशन एवं सेंसिटाइजेशन कार्यक्रम” के दूसरे दिन दो सत्रों का आयोजन हुआ, जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. राजशरण शाही, शिक्षाशास्त्र विभाग, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ एवं प्रो. शरद कुमार मिश्र , बायोटेक्नोलॉजी विभाग, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की गरिमामयी उपस्थिति रही।

प्रथम सत्र में अपना वक्तव्य देते हुए प्रो. राजशरण शाही ने कहा, “शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो चरित्र, मस्तिष्क और हृदय—तीनों का समवेत विकास करे। तैत्तिरीय उपनिषद में वर्णित ‘पंचमहाकोष’ के अनुसार शिक्षा का उद्देश्य शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, आध्यात्मिक एवं सामाजिक विकास होना चाहिए। उन्होंने उल्लेख किया कि दीनदयाल उपाध्याय जी ने कहा था कि शिक्षा का लक्ष्य ‘व्यष्टि से समष्टि’ तथा ‘स्व से सर्वस्व’ तक की यात्रा होना चाहिए।”

उन्होंने यह भी बताया कि डॉ. भीमराव अंबेडकर ने शिक्षा को “सामाजिक विकास का सबसे सशक्त माध्यम” बताया है. 

द्वितीय सत्र में प्रो. शरद कुमार मिश्र ने पर्यावरणीय चेतना विषय पर एक सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कहा कि “आज अंधाधुंध वृक्षों की कटाई और प्रदूषण मानव के अस्तित्व के लिए गंभीर संकट बन चुके हैं। अथर्ववेद में कहा गया है – ‘माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः’, अर्थात् पृथ्वी हमारी माता है और हम उसके पुत्र हैं। भारतीय संस्कृति में प्रकृति की पूजा आदि काल से होती आई है। नीम, तुलसी, पीपल, बरगद आदि वृक्ष न केवल पूजनीय हैं, बल्कि औषधीय गुणों से भी परिपूर्ण हैं।

इसी कारण हमारे अनेक पर्व और उत्सव पर्यावरण तथा इकोसिस्टम से गहरे रूप से जुड़े हुए हैं।

कार्यक्रम संयोजक प्रो. अजय कुमार शुक्ला, पूर्व विभागाध्यक्ष, अंग्रेज़ी विभाग, ने कहा कि शिक्षा मनुष्य के सर्वांगीण विकास और व्यवहार का परिष्कार करती है। यह व्यक्ति की उन समस्त क्षमताओं को विकसित करती है, जो उसे अपने वातावरण को नियंत्रित करने और अपनी संभावनाओं को पूर्ण करने में सक्षम बनाती है.

कार्यक्रम में सह-संयोजक डॉ. मनीष पांडेय ने विषयों की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला

कार्यक्रम में अलग अलग सत्रों में स्वागत एवं आभार ज्ञापन ऋचा पल्लवी , प्रीति कुमारी एवं अमृत तिवारी ने किया . तकनीकी सहयोग नितेश सिंह एवं विशाल मिश्रा द्वारा दिया गया .इस अवसर पर देशभर के विभिन्न विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों से पाँच दर्जन से अधिक शिक्षक एवं शोधार्थी सहभागी बने।

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KeshavShukla विभिन्न राष्ट्रीय साहित्यिक-सांस्कृतिक मंचों पर साहित्य विमर्श, कविता, कहानी लेखन ,स्क्रिप्ट लेखन, नाटकों का मंचन, रेडियो स्क्रिप्ट लेखन, उद्घोषणा कार्य एवं पुस्तक समीक्षा।