जगद्गुरु साईं माँ लक्ष्मी देवी ने सैकड़ो विदेशी भक्तों के साथ मौनी अमावस्या पर महाकुंभ में किया अमृत स्नान
विदेशी महामंडलेश्वरों के साथ अमेरिका, जापान, फ्रांस, चिली, कनाडा सहित तमाम देशों के भक्त हुए शामिल
भगदड़ की वजह से अपनी जान गंवाने वाले लोगों के लिए दुख वक्त किया और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की
प्रयागराज, हिन्द भास्कर।
मौनी अमावस्या के अवसर पर जगद्गुरु साईं माँ लक्ष्मी देवी जी ने विभिन्न देशों से आए अपने सैकड़ों विदेशी भक्तों के साथ प्रयाग महाकुम्भ में अमृत स्नान किया।
कुंभ के सेक्टर 17 स्थित अपने शक्तिधाम आश्रम शिविर से परम्परागत रूप से जगद्गुरु साईं माँ एवं उनके 9 विदेशी मूल के महामंडलेश्वर संतों के साथ जापान के 50 से अधिक और अमेरिका, , फ्रांस, चिली, कनाडा सहित कई देशों के सनातन में विश्वास करने वाले अनुयायी काफी संख्या में शामिल हुए। इनमें महामंडलेश्वर अनंतदास महाराज, महामंडलेश्वर त्रिवेणी दास महाराज, महामंडलेश्वर श्रीदेवी मां , महामंडलेश्वर जीवन दास महाराज, महामंडलेश्वर ललिता श्री मां, महामंडलेश्वर आचार्य दयानंद दास महाराज, महामंडलेश्वर राजेश्वरी मां शामिल रहे। इसके अलावा - बेल्जियम से क्लेमेंट,आयरलैंड से थॉमस - स्विट्जरलैंड से क्रिश्चियन, यूएसए से एस्ट्रिड,जापान से सयाका, बेल्जियम से केली, कनाडा से एलोडी ने भी अमृत स्नान किया।
इस अवसर पर जगद्गुरु साईं माँ ने कहा कि "अद्भुत, अविस्मरणीय, दिव्य, भव्य और अलौकिक महाकुंभ मेला धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण आयोजन है। यह भावनाओं और आस्था का मेला है। मौनी अमावस्या के अवसर पर त्रिवेणी पर स्नान हमारे लिए सौभाग्य की बात है, उन्होंने भगदड़ की वजह से अपनी जान गंवाने वाले और घायल लोगों के लिए प्रार्थना की और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की, उन्होंने कहा कि शक्ति धाम आश्रम में हम उनके लिए यज्ञ का आयोजन भी करेंगे।"
गौरतलब है कि प्रयागराज में 2019 के कुंभ मेले में, साईं माँ के नौ ब्रह्मचारियों को विष्णुस्वामी वंश के अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़े में महामंडलेश्वर के रूप में दीक्षा दी गई, जो 2700 वर्ष से भी पुराना है। यह एक ऐसा सम्मान है जो ब्रह्मचारियों के ऐसे अंतरराष्ट्रीय समूह को पहले कभी नहीं दिया गया।
जगद्गुरु साईं माँ स्वामी बालानंदाचार्य द्वारा 1477 ईस्वी में स्थापित अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा से संबंधित हैं।
मॉरीशस में एक हिंदू ब्राह्मण परिवार में जन्मी साईं माँ ने अपना जीवन सनातन धर्म के शाश्वत ज्ञान को विश्व भर में फैलाने के लिए समर्पित कर दिया है। साईं माँ ने दिव्य प्रेम और सेवा के प्रतीक के रूप में काशी (वाराणसी), भारत में शक्तिधाम आश्रम की स्थापना की, जिसने विश्व भर से छात्रों को आकर्षित किया है।
साईं माँ ने अमेरिका, जापान, कनाडा, यूरोप, इज़राइल और दक्षिण अमेरिका में आध्यात्मिक केंद्रों के निर्माण को प्रेरित किया है, अपनी परिवर्तनकारी शिक्षाओं और प्रथाओं के माध्यम से लोगों को एकजुट किया है। इसके अलावा, साईं माँ शक्तिशाली यज्ञों और प्राचीन वैदिक अनुष्ठानों के माध्यम से ऊर्जावान रूप से काम करती हैं ताकि व्यक्तियों, समुदायों और मानवता को शुद्ध और उन्नत किया जा सके।
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