सार्थक बदलाव ही असली उपलब्धि है - कुलपति प्रो. पूनम टंडन

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय: कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने पूरे किए दो वर्ष, कहा — सार्थक बदलाव ही असली उपलब्धि है -
– आशा FM 89.6 पर विशेष साक्षात्कार में साझा किए अनुभव
गोरखपुर।
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर श्रीमती पूनम टंडन ने अपने दो वर्ष के कार्यकाल को “नवाचार, पारदर्शिता और संवाद” का कालखंड बताया। उन्होंने कहा कि “विश्वविद्यालय की हर उपलब्धि एक सामूहिक प्रयास का परिणाम है, और आज मुझे गर्व है कि DDU न केवल पूर्वांचल बल्कि देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों की श्रेणी में अपनी पहचान स्थापित कर चुका है।”
यह विचार उन्होंने आशा FM 89.6 पर दिए गए विशेष साक्षात्कार में व्यक्त किए। बातचीत में उनके साथ विश्वविद्यालय के अंग्रेज़ी विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर अजय कुमार शुक्ल और आशा FM 89.6 के निदेशक नवीन पाण्डेय शामिल रहे।
प्रो. टंडन ने बताया कि NAAC A++ ग्रेड और UGC Category–1 मान्यता प्राप्त करना विश्वविद्यालय के इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है। “यह उपलब्धि हमारे शिक्षकों, शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों के अथक प्रयासों की देन है,” उन्होंने कहा।
उन्होंने कहा कि NIRF Ranking 2024 में DDU का “101–150” श्रेणी में स्थान और Nature Index में उत्तर प्रदेश में प्रथम स्थान प्राप्त करना, विश्वविद्यालय की शोध संस्कृति के उच्च स्तर को दर्शाता है। “हमारे कई वैज्ञानिक विश्व के शीर्ष 2% वैज्ञानिकों की सूची में शामिल हुए हैं — यह पूर्वांचल के लिए भी गर्व की बात है,” कुलपति ने जोड़ा।
छात्रों के लिए हर शाम “4 से 5 बजे संवाद का समय” निर्धारित करने की पहल पर उन्होंने कहा,
“मैं चाहती थी कि विद्यार्थी सीधे अपने सवाल मेरे सामने रख सकें। यह समय संवाद, विश्वास और समाधान का प्रतीक बन गया है।”
शोध की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हाल के दीक्षांत समारोह में 301 पीएचडी शोधार्थियों को उपाधि दी गई, जो विश्वविद्यालय के इतिहास में अब तक की सर्वाधिक संख्या है।
प्लेसमेंट रिकॉर्ड पर उन्होंने बताया कि पिछले एक वर्ष में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों में छात्रों का चयन नई ऊँचाइयों पर पहुँचा है। “यह हमारे करियर काउंसलिंग सेल, उद्योग–सहयोग और कौशल–आधारित शिक्षा का परिणाम है,” उन्होंने कहा।
कुलपति टंडन ने विश्वविद्यालय के ग्रीन कैंपस मिशन का भी ज़िक्र किया — “हमने प्लास्टिक–फ्री जोन, सोलर प्लांट, वर्षा जल संग्रहण और हरित–ऊर्जा के अनेक मॉडल स्थापित किए हैं, ताकि परिसर एक प्रेरक उदाहरण बने।”
उन्होंने बताया कि SUDHAR Portal और अन्य डिजिटल सेवाओं ने विद्यार्थियों के लिए दस्तावेज़ी सुधार और शिकायत निवारण को सरल बनाया है। “अब छात्रों को दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ते,” उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा।
कृषि संकाय की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने जैविक खेती, फसल विविधीकरण और मृदा स्वास्थ्य पर अनेक शोध परियोजनाएँ शुरू की हैं। “हमारा ‘लैब टू लैंड’ मॉडल किसानों और छात्रों दोनों के लिए लाभकारी सिद्ध हो रहा है।”
भविष्य की दिशा पर बोलते हुए प्रो. टंडन ने कहा
“हमारा लक्ष्य है कि DDU को एक राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर का अग्रणी विश्वविद्यालय बनाया जाए, जहाँ शिक्षा केवल पाठ्यक्रम नहीं, बल्कि संस्कारों की भी यात्रा बने।”
अंत में उन्होंने कहा, “मैं अपने भीतर पहले एक शिक्षक को महसूस करती हूँ। विद्यार्थी से संवाद के क्षण मुझे सबसे अधिक ऊर्जा देते हैं — वही विश्वविद्यालय की आत्मा है।”
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