“निराश्रित/अनाथ” की जगह अब विद्यार्थियों को मिलेगा “राज्याश्रित” का गौरव।

प्रमुख सचिव डॉ. एम. के. शन्मुगा सुन्दरम् की अध्यक्षता में हुई बैठक, शिक्षा, प्रबंधन एवं नवाचार पर लिए गए अहम निर्णय।
लखनऊ, 16 अक्टूबर 2025
उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड (BOCW) कार्यालय, लखनऊ में बृहस्पतिवार को अटल आवासीय विद्यालय समिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता श्रम एवं सेवायोजन विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. एम. के. शन्मुगा सुन्दरम् ने की। बैठक में श्रमायुक्त मार्कण्डेय शाही, अटल आवासीय विद्यालय की महानिदेशक श्रीमती पूजा यादव, नवोदय विद्यालय समिति के उप-आयुक्त बी० के० सिन्हा सहित वित्त, कार्मिक एवं शिक्षा विभागों के वरिष्ठ अधिकारी एवं शिक्षाविद् उपस्थित रहे।
बैठक में आगामी शैक्षणिक सत्र 2026-27 की रणनीति, विद्यालयों के शैक्षणिक, प्रशासनिक एवं प्रबंधन सुधारों पर विस्तृत चर्चा की गई। प्रमुख सचिव ने कहा कि अटल आवासीय विद्यालयों को देश के आदर्श रेजिडेंशियल स्कूल के रूप में विकसित किया जाएगा, जिससे वंचित एवं श्रमिक परिवारों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ सम्मानजनक वातावरण प्राप्त हो सके।
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि अब तक “निराश्रित/अनाथ” कहे जाने वाले विद्यार्थियों को आगे से “राज्याश्रित” कहा जाएगा, जिससे उन्हें सम्मानजनक सामाजिक पहचान प्राप्त हो। अटल आवासीय विद्यालयों में निर्माण श्रमिकों के बच्चों के साथ-साथ कोविड-19 में निराश्रित एवं मुख्यमंत्री बाल सेवायोजना (सामान्य) से आच्छादित बच्चों को शिक्षा प्रदान की जा रही है।
इसके अतिरिक्त, आगामी सत्र से अटल आवासीय विद्यालयों में प्रवेश परीक्षा केंद्रीकृत रूप से CBSE के माध्यम से आयोजित की जाएगी, ताकि सभी विद्यालयों में एकरूपता बनी रहे। प्रत्येक विद्यालय में “नवाचार प्रयोगशाला स्थापित करने का निर्णय लिया गया है, जिससे छात्रों में नवाचार, वैज्ञानिक दृष्टिकोण एवं तकनीकी दक्षता का विकास हो सके।
बैठक में सभी छात्र-छात्राओं को स्वास्थ्य बीमा योजना के अंतर्गत लाने के निर्देश दिए गए, ताकि हर विद्यार्थी स्वास्थ्य सुरक्षा के दायरे में आए। साथ ही, होस्टल व्यवस्था, पोषण, सह-पाठयक्रम गतिविधियों और खेलकूद से संबंधित कई अन्य महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए गए।
बैठक के समापन पर प्रमुख सचिव डॉ. शन्मुगा सुन्दरम् ने कहा कि सभी संबंधित विभाग समन्वय के साथ कार्य करें, ताकि अटल आवासीय विद्यालय देश के मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल के रूप में स्थापित हो सकें और वंचित वर्ग के बच्चों को बेहतर भविष्य की राह मिल सके।
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