ओबी डंपिंग पहाड़ वॉरफॉल और बारिश के पानी के बीच घिरे गांव वालों का दर्द सुनो सरकार

आस्तित्व खोने के कगार पर खड़ा ‘खड़िया नाउ टोला बस्ती’।
परियोजना की बेरुखी और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता निराशाजनक।
हिन्द भास्कर, सोनभद्र।
सोनभद्र जिले के शक्तिनगर थाना क्षेत्र अंतर्गत खड़िया ग्राम पंचायत का ‘नाउ टोला बस्ती’ आज अपने अस्तित्व को बचाने की जंग लड़ रहा है। गांव के एक ओर एनसीएल खड़िया परियोजना का विशाल ओबी डंपिंग पहाड़ की तरह खड़ा है, जो लगातार धूल, पत्थर और प्रदूषण का कहर बरसा रहा है। दूसरी ओर कोयले की वॉरफॉल ने जीवन को और कठिन बना दिया है। गांव के समीप बना नाला, जिसे परियोजना के विस्तार के दौरान संकरा कर दिया गया था, हर बारिश में गांव के लिए काल बनकर टूट पड़ता है।
ग्रामवासियों का कहना है कि पिछले चार वर्षों से हर बारिश के मौसम में यही त्रासदी दोहराई जाती है। पानी के तेज बहाव से घरों में कीचड़ भर जाता है, मवेशी बह जाते हैं और बच्चों तक का स्कूल जाना दूभर हो जाता है। एनसीएल प्रशासन की ओर से हर बार “सहायता” के नाम पर केवल औपचारिकता निभाई जाती है, और स्थानीय जनप्रतिनिधि सहानुभूति जताकर चुप हो जाते हैं।
ग्रामवासियों का आरोप है कि न तो परियोजना प्रबंधन ने कोई स्थायी समाधान निकाला, न प्रशासन ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया। परिणामस्वरूप, नाउ टोला बस्ती के लोग अपने ही घरों में डर और निराशा के साये में जीने को मजबूर हैं।
अब सवाल यह है कि क्या ‘विकास’ के नाम पर लोगों का आस्तित्व मिटाना ही प्रगति की पहचान बन चुका है? खड़िया नाउ टोला के निवासियों की यह पुकार शायद अब भी किसी सुनने वाले कान की प्रतीक्षा कर रही है।
गुस्साए ग्रामीणों के साथ स्थानीय थाना प्रभारी की उपस्थिति में एनसीएल अधिकारियों से वार्ता की जिसके बाद मौके का निरीक्षण कर नुकसान की भरपाई और समस्या के ठोस निस्तारण की बात कही गई।
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