'नरेन्द्र भदौरिया की 'अमिय' में प्रकट होता है विचारों की शुद्धता का भाव

Oct 16, 2025 - 22:03
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'नरेन्द्र भदौरिया की 'अमिय' में प्रकट होता है विचारों की शुद्धता का भाव

*अमिय के विमोचन समारोह में बोले अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख स्वान्त रंजन*

*लखनऊ।* 'भारत, दुनिया का इकलौता धर्मप्राण देश है। साम्यवादियों ने सबसे अधिक नुकसान भारत का किया। 'धर्म' का स्थान 'रिलीजन' या 'मजहब' कभी नहीं ले सकता। नरेन्द्र भदौरिया जैसे लेखकों की कृतियों में अमृत कलश के रूप में विचारों की शुद्धता का भाव प्रकट होता है। उक्त बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख स्वान्त रंजन जी ने गुरुवार को कहीं। वह गोमतीनगर के सीएमएस सभागार में हुए वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक नरेन्द्र भदौरिया की सद्य प्रकाशित 16वीं पुस्तक 'अमिय' के विमोचन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।

अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख स्वान्त रंजन जी ने आगे कहा, 'हमने वसुधा को ही अपना कुटुम्ब माना और उसकी हमेशा चिंता की। विमर्श ही हमारे विचारों की शुद्धता है। कोविड का टीका दुनिया के सौ देशों को भारत ने निःशुल्क में दिया, यह हमारा परिवार भाव ही था। भारत के ऋषियों का उदार विचार इतना घनीभूत है।' इस दौरान अवध प्रान्त के प्रान्त प्रचारक कौशल जी की विशेष उपस्थित रही।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संयुक्त क्षेत्र प्रचार प्रमुख (उत्तर प्रदेश-उत्तराखण्ड) कृपा शंकर ने कहा, 'नरेंद्र भदौरिया लेखन के लिए न थके, न रुके फिर चाहे आपातकाल हो या कोई और काल लेखनी से अपना पक्ष अवश्य प्रस्तुत किया। आपकी पुस्तकों में अपार अनुभूव का खजाना है।' उन्होंने आगे कहा, 'देश, समाज और वातावरण सुंदर हो इसके लिए पंच परिवर्तन' का पालन करना होगा।' पंच प्रण का संकल्प दोहराना होगा। न्याय पंचायत स्तर पर पथ संचलन निकले हैं, यह संघ संस्थापक की भविष्यवाणी का सुफल है।'

दिव्य प्रेम सेवा मिशन हरिद्वार के संस्थापक डॉ. आशीष गौतम ने कहा, 'नरेन्द्र भदौरिया ने अपनी अमिय पुस्तक से सच को सच कहने का साहस किया है। संविधान संशोधन और उसके पीछे की वास्तविकता को आपने प्रखरता से उजागर किया है। देश, धर्म, समाज, संस्कृति का रक्षण अमिय किस प्रकार करती है यह आपको पुस्तक पढ़कर आसानी से हो सकेगा।'

*राष्ट्रीय ज्ञान से युक्त साहित्य से ही होता है समाज जागरण का कार्य : शशि दीदी*

राष्ट्र सेविका समिति की क्षेत्र प्रचारिका सुश्री शशि दीदी ने कहा, 'साहित्य का सृजन ज्ञान की परंपरा को बढ़ाने का हेतु है। राष्ट्रीय ज्ञान से युक्त साहित्य से ही समाज जागरण का कार्य होता है। साहित्य का अमिय प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन के दौर से गुजरना होता है। पुस्तक को सिर्फ पढ़ना नहीं है उसे आत्मसात करना है। नरेन्द्र भदौरिया की कृति अमिय के शब्द बोलते हैं। भारत के भविष्य की लालिमा का भान भी इस अमिय से हो सकेगा।'

इतिहास शुद्धता , राष्ट्रीय चेतना और आत्म गौरव का बोध कराता है नरेन्द्र का लेखन*

राज्यसभा सांसद डॉ.दिनेश शर्मा ने कहा, 'नरेंद्र भदौरिया का लेखन ऐतिहासिक शुद्धता, राष्ट्रीय चेतना और आत्म गौरव का बोध कराता है। आपके लेखन में नारी गरिमा, प्राचीन गौरव और भारतीय अस्मिता को प्रखरता से स्पष्ट करता है।आपने लिखा कि भारत का इतिहास गुलामी का नहीं बल्कि संघर्ष का है। पुस्तक अमिय में भारतीय संस्कृति एवं हिन्दू दर्शन का शोध है। भारतीय परिवार, शाश्वत मूल्यों, आचार-विचार को लेखन का विषय बनाया। आपकी लेखनी का सबसे बड़ा बल यह है कि पाठक में नई उत्कंठा का भाव जाग्रत होता है। भारत की संस्कृति, संस्कार, परम्परा एवं मूल्य पर केंद्रित लेखन निश्चित रूप से कालजयी होना है।'

पुस्तक के लेखक एवं वरिष्ठ पत्रकार नरेन्द्र भदौरिया ने अतिथियों का परिचय कराते हुए कहा, लेखन तो आदिकाल से होता रहा है, लेकिन अब आवश्यकता है तथ्यों के पुर्नलेखन की है। तथ्य एवं कथ्य की सत्यता को प्रमाणित करने वाला लेखन हो। लेखन ऐसा हो जिससे समाज प्रेरणा ले सके।' 

दिल्ली से पधारी प्रो.प्रियंका सिंह ने पुस्तक परिचय पदेते हुए अमिय की पठनीयता पर विस्तार से प्रकाश डाला। घनानन्द पाण्डेय 'मेघ' की वाणी वन्दना से कर्यक्रम का औपचारिक श्रीगणेश हुआ। संस्कार भारती की प्रान्त उपाध्यक्ष एवं भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय की प्रो. पूनम श्रीवास्तव के वन्दे मातरम प्रस्तुति से समापन हुआ। डॉ. आंबेडकर उच्च न्यायालय अधिवक्ता मिलन के प्रमुख मृतुन्जय कुमार सिंह ने संचालन किया। 

इस दौरान क्षेत्र प्रचार प्रमुख सुभाष कुमार, कैंसर संस्थान के निदेशक प्रो.एलएमएल भट्ट, बीकापुर के विधायक डॉ.अमित सिंह चौहान, हरैया के विधायक अजय कुमार सिंह, पूर्व सूचना आयुक्त सुभाष चन्द्र सिंह, पूर्व अपर महाधिवक्ता शैलेन्द्र सिंह, अवध प्रान्त के विशेष सम्पर्क प्रमुख प्रशान्त भाटिया एवं रेशु भाटिया, राज्य महिला आयोग की सदस्य अंजू प्रजापति, प्रधान संघ की अध्यक्ष संयोगिता सिंह चौहान, पूर्व पार्षद सविता सिंह, अर्चना भदौरिया, अधिवक्ता मिलन के सह प्रमुख अंबरीश वर्मा, अधिवक्ता श्रेणी के प्रान्त प्रमुख शैलेन्द्र सिंह राजावत, वरिष्ठ पत्रकार डॉ. अतुल मोहन सिंह के साथ बड़ी संख्या में विधि, शिक्षा, पत्रकारिता, राजनीति एवं समाजसेवा आदि क्षेत्रों के वरेण्य गणमान्य महानुभाव मौजूद रहे।

*48 वर्षों की लेखकीय यात्रा में 16 पुस्तकों का सृजन :* ज्ञात हो कि नरेन्द्र भदौरिया ख्यातिलब्ध पत्रकार, लेखक एवं प्रखर वक्ता हैं। वर्ष 1977 में 2013 तक मुख्यधारा के समाचार पत्रों में आपने सक्रिय भूमिका का निर्वहन किया। इसके बाद से स्वतंत्र पत्रकारिता और लेखन में सक्रिय श्री भदौरिया अपनी पत्रकारिता के 48 वर्ष पूर्ण कर चुके हैं। आपकी अब तक श्री भदौरिया ने अब तक 16 पुस्तकों का सृजन किया है। इसमें अन्तहीन, अचिन्त्य, अकथ, अतुल्य, अनादि, अमोघ, अनघ, मेरी बातें भाग-1, मेरी बातें भाग-2, तानाशाही भाग-1, तानाशाही भाग-2, अनन्त, नायिमा, अमेय, अज्ञेय, अनन्य और सद्य प्रकाशित अमिय शामिल हैं।

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