उदंत मार्तण्ड से हिंदी पत्रकारिता का सफ़र

May 29, 2024 - 12:57
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उदंत मार्तण्ड से हिंदी पत्रकारिता का सफ़र

' उदंत मार्तण्ड ' से हिन्दी पत्रकारिता का सफर ।

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हिंदी पत्रकारिता दिवस पर विशेष रिपोर्ट

 मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी / भोलानाथ मिश्र वरिष्ठ पत्रकार 

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  ब्रिटिश भारत की राजधानी कलकत्ता में उत्तर प्रदेश के कानपुर निवासी पण्डित जुगुल किशोर शुक्ल एडवोकेट ने हिन्दी पत्रकारिता की बुनियाद रखी थी । उस समय अंग्रेजी , बंगला , उर्दू , आदि भाषाओं में समाचार पत्र तो प्रकाशित होते थे लेकिन हिन्दी समाचार पत्र का प्रकाशन करने का साहस किसी में नही था । उस विषम परिस्थिति में पंडित जुगुल किशोर शुक्ल ने अंग्रजों की नाक के नीचे हिन्दी पत्रकारिता की आधार शिला रखी , जिस पर आज आजादी के अमृत काल 2024 में 198 वर्ष में अब भव्य भवन खड़ा हो गया है ‌‌। उस आधार शिला का नाम था ' उदंत मार्तंड ' अर्थात बिना दांत का बाल सूर्य ' द राइजिंग सन ' । इस हिंदी साप्ताहिक का प्रकाशन सप्ताह में प्रत्येक मंगलवार को होता था । कुल 500 प्रतियां छपती थी । इस साप्ताहिक का पहला अंक 30 मई , 1826 को

प्रकाशित हुआ । इसी लिए 30 मई को हिन्दी पत्रकारिता दिवस मनाया जाता है ।

     बृज और अवधी भाषा के मिश्रण से प्रकाशित साप्ताहिक को अंग्रेज टेढ़ी आंख से देखते थे । पत्र दूर दूर तक भेजने की व्यवस्था में डॉक टिकट जरूरी था । अंग्रजों ने डॉक टिकट के मूल्य में छूट नहीं दिया जबकि अन्य भाषा में प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों को अंग्रेज डॉक टिकट के मूल्य में छूट देते थे । 79 वा और आख़िरी अंक दिसंबर 1827 में प्रकाशित हुआ था ।

       हिन्दी पत्रकारिता की कहानी भारतीय राष्ट्रीयता की कहानी है ।1826 से 1873 तक हिन्दी पत्रकारिता का प्रथम चरण था ।1873 में भारतेंदु ने ' हरिश्चंद्र मैगजीन ' की स्थापना की । एक वर्ष के बाद यह पत्र ' हरिश्चंद्र चंद्रिका के नाम से प्रसिद्ध हुआ । 1867 में भारतेंदु का ' कवि वचन सुधा ' का प्रकाशन हुआ । 1845 में बनार से अखबार सामने आया । 1850 में तारा मोहन मैत्र ने काशी से साप्ताहिक ' सुधाकर ' और 1855 में राजा लक्ष्मण सिंह ने आगरा में ' प्रजा हितैषी ' का प्रकाशन आरंभ किया । राजा शिवप्रसाद का ' बनारस अखबार ' उर्दू भाषा शैली का अपनाया था । बाद में इसकी भाषा हिंदुस्तानी हो गई ।

        हिन्दी पत्रकारिता का दूसरा युग आरंभ हुआ 1877 में जब पंडित रुद्र दत्त शर्मा ने ' भारत मित्र ' का प्रकाशन किया ।

      20 वीं शताब्दी की पत्रकारिता का तीसरा चरण आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी से शुरू होता है । 1903 से 1918 तक ' सरस्वती ' का प्रकाशन हुआ ।

     1921 से पत्रकारिता का समसामयिक युग आरंभ हुआ । इसमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी , भारत रत्न महामना मदन मोहन मालवीय , शिव प्रसाद गुप्त , बाल गंगाधर तिलक , समेत अनेक महापुरुषों ने समाचार पत्र निकाल कर पत्रकारिता से जनजागरण किए और अंग्रजी हुकूमत की चूलेँ हिला दी ।

       1947 के बाद पत्रकारिता का अलग स्वरूप निखर कर आया ।

धर्मयुग , नवनीत , कादम्बिनी , सरिता , भू भारती , माया , इंडिया टुडे , मनोरमा , अवकाश आदि पत्रिकाएं समाचार साहित्य एक साथ देने लगी । खेल और फिल्मी पत्रिकाएं हिन्दी जगत को समृद्धि की ।

       आजादी के 77 साल बाद अमृतकाल 2024 में जबकि 18वीं लोकसभा आम चुनाव का अंतिम चरण 1 जून को है ऐसे में हिन्दी के सैंकड़ों समाचार पत्र 97 करोड़ मतदाताओं को मतदान के लिए प्रेरित कर रहे हैं ।

        समाचार पत्र , पत्रिकाएं , हिंदी टीवी चैनल , सोसल मीडिया , ऑन लाइन समेत विविध रूप से हिंदी पत्रकारिता लगभग डेढ़ अरब आबादी के प्रति सजग है । हिंदी पत्रकारिता आज अपने उच्च मुकाम पर विराजमान है ।

   हिन्दी पत्रकारिता में टीवी और रेडियो , प्रिंट मीडिया , सोशल मीडिया , स्मार्ट फोन आदि के जरिए अपने लक्ष को हासिल कर रही है।

     क्या है पत्रकारिता

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ज्ञान और विचारों को समीक्षात्मक टिप्पणियों के साथ शब्द , ध्वनि तथा चित्रों के माध्यम से जन जन तक पहुंचाना ही पत्रकारिता है । यह वह विद्या है जिसमें सभी प्रकार के पत्रकारों के कार्यों , कर्तव्यों , और लक्ष्यों का विवेचन होता है । पत्रकारिता समय के साथ समाज की दिग्दर्शिका और नियामिका है ।

      पत्रकारिता का कार्य सूचना देना , शिक्षित करना , मार्गदर्शन करना तथा दिशा निर्देश देना है ।

    ऐसे धुरंधर रहे पत्रकार

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विष्णु प्रभाकर पराड़कर , गणेश शंकर विद्यार्थी , मोहन दास करमचंद गांधी , पंडित जवाहर लाल नेहरू गोखले जी , बाबा साहब भीम राव अंबेडकर जी , पंडित दीनदयाल पाध्याय , अटल बिहारी वाजपेई , बाला साहब ठाकरे , आदि ।

         आज की पीढ़ी में ध्वनि पत्रकार बीबीसी के रेहान फ़ज़ल , इंदु पाण्डेय , सुरसारी ,, टीवी की चित्रा त्रिपाठी , अंजना ओम कश्यप , रुबिका लियाकत , रजत शर्मा , अमन चोपड़ा , अमीश देवगन , रवीश कुमार आदि अनेक पत्रकार सामाजिक चेतना के प्रेरक बने हुए हैं । बावजूद इसके आज की हिन्दी पत्रकारिता के युवा पत्रकारों को यही कहना है कि __

   " आप के हौसलों की उड़ान अभी बाकी है , आप के इरादों का इम्तिहान अभी बाकी है , अभी तो नापी है बाद दो मुट्ठी जमीन , सारा आसमान तो अभी बाकी है ।

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