राजनीति का नया अध्याय

Jun 7, 2024 - 08:35
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राजनीति का नया अध्याय

राजनीति का नया अध्याय

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   मिथिलेश द्विवेदी / भोलानाथ मिश्र

     राजनीतिक समीक्षक

लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम ने भारतीय राजनीति में एक नया अध्याय लिखा है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाला एनडीए गठबंधन 292 सीटों पर जीत हासिल कर सत्ता में आया है। भाजपा ने 240 सीटों के साथ सबसे बड़े दल के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत किया है, जो मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के 99 सीटों से ढाई गुना अधिक है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार तीसरी बार ऐतिहासिक जीत अर्जित की है। यह भारतीय लोकतंत्र में दूसरी घटना है जब किसी प्रधानमंत्री को लगातार तीसरी बार स्पष्ट बहुमत मिला है। इससे पहले, केवल जवाहरलाल नेहरू ने इस उपलब्धि को हासिल किया था। 

कांग्रेस पार्टी ने कुछ राज्यों में अपने प्रदर्शन में सुधार किया है, लेकिन वे सत्ता हासिल करने में असफल रहे हैं। क्षेत्रीय दलों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विशेष रूप से पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और दक्षिण भारत में डीएमके और टीआरएस ने अपनी पकड़ मजबूत की है।

चुनाव परिणामों से यह स्पष्ट हुआ है कि आर्थिक सुधार, राष्ट्रीय सुरक्षा, और विकास के मुद्दों पर जनता ने भाजपा की नीतियों को समर्थन दिया है। यह चुनाव भारतीय लोकतंत्र की मजबूती और जनता के विश्वास का प्रतीक है, जो हर पांच साल में नई सरकार को चुनने का अधिकार देता है।

    उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सीटें कम हुई है । लेकिन जो सीटें मिली हैं उसे बहुत कम नहीं कह सकते ।

दरअसल हम 2014 और 2019 के आधार पर आंकलन करेंगे तो हमे बीजेपी की यूपी में निराशा जनक स्थिति लगती है । लेकिन 1990 के दशक की गठबंधन की राजनीतिक स्थिति को देखें तो इंडी गठबंधन के खिलाफ लड़ कर बीजेपी 33 , आरएल डी 2 और अपना दल यस की एक सीट बहुत निराशा जनक नहीं लगती ।

  1962 में पंडित जवाहर लाल नेहरू के बाद 2024 में मोदी ऐसे अकेले नेता बन जाएंगे जो लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे ।

  एन डी ए की सरकार यह करिश्मा 60 साल के बाद करने में कामयाब हुई है । उत्तर प्रदेश में गुड गवर्नेंस की जगह आम जनता बैड गवर्नेंस से परेशान थी । एक आम आदमी का काम थाने , तहसील ,और जिले स्तर के अधिकारियों तक ही रहता है जहां उन्हें कीमत चुकाने की मजबूरी थी । उज्ज्वला योजना ,प्रधानमंत्री आवास आदि में प्रधान और सचिव खेला करते थे । जन प्रतिनिधि क्षेत्र में इस लिए नहीं आते थे क्योंकि अधिकारी उनकी सुनते ही नही थे । बेरोजगार युवाओं के लिए जब भी वांट निकली पर्चा लीक होता रहा । बीजेपी कार्यकर्ताओं में उत्साह का अभाव था । तपती दोपहरी के कारण मध्यमवर्गीय मतदाताओं का मत प्रतिशत प्रभावित हुआ ।

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