क्यों स्थापित हुआ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
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भोलानाथ मिश्र
पत्रकार / प्राध्यापक
2025 अब ज्यादा दूर नहीं रह गया है जब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को स्थापित हुए सौ वर्ष हो जाएंगे । स्थापना दिवस 1925 से लेकर आजादी के अमृतकाल 2024 तक संघ के बारे में विरोधी ऐसी ऐसी भ्रांतियां फैलाते रहते है जिसके कारण जो लोग संघ को निकट से नही जानते वे भी भ्रम के शिकार हो जाते हैं । तमाम पत्रकार , साहित्यकार पढ़े लिखे लोग सुनी सुनाई बातों के आधार पर प्रतिक्रिया देते रहते हैं । एक बड़े नेता ने तो संघ के लोगों को अनपढ़ तक कह दिया ।अब वक्त गया है कि युवाओं को सही जानकारी दी जाय ।
क्या अनपढ़ हैं संघ के लोग?
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संघ संस्थापक डा. हेडगेवार सन 1910 में कोलकाता के नेशनल मेडिकल कालेज से 1915 में एम बी बी यस की डिग्री लेकर डॉक्टर बन गए थे । संघ के द्वितीय सर संघचालक माधव सदाशिव राव गोलवरकर प्रणिशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएट थे । काशी हिन्दू विश्व विद्यालय में प्राध्यापक थे । तृतीय सर संघ चालक मधुकर दत्ता त्रेय बाला साहब देवरस भूगोल से पोस्ट ग्रेजुएट थे । चतुर्थ सरसंघ चालक प्रो. राजेंद्र सिंह रज्जूभैया इलाहाबाद विश्व विद्यालय में विज्ञान के प्रोफेसर थे । पंचम सरसंघचालक कुप्पहली सीता रमैया सुदर्शन जी जाने माने विद्वान और कई पुस्तकों के लेखक पोस्टग्रेजुएट थे । षष्ठम सर संघ चालक डॉक्टर मोहन राव भागवत पशु चिकित्सक की उच्च शिक्षा से अच्छादित हैं ।संघ के सभी नगर , खंड , जिला ,विभाग , प्रांत , क्षेत्र के हजारों प्रचारक उच्च शिक्षा प्राप्त है । इनमे
अनेकों डॉक्टर , इंजिनियर , प्रोफेसर समेत उच्च प्रशानिक और न्यायिक पदों को त्याग कर संघ के जीवन भर के लिए प्रचारक बन गए है । अन्य पदाधिकारी उच्च शिक्षा प्राप्त है ।
संघ की स्थापना क्यों ?
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डा. हेडगेवार सभाओं में लोगों से प्रश्न करते थे _" हमारा इतना प्राचीन और महान राष्ट्र उत्तम गुणों से संपन्न होते हुए भी बार_ बार पराधीन कैसे होता रहा ? मुठ्ठी भर विदेशी इतने बड़े देशपर अपनी सत्ता कैसे थोप पाए ?"
श्रोताओं को झकझोरते हुए वे कहते _" हमारे देश में बल , बुद्धि , धन , धर्म , संस्कृति , किसी बात की कमी नहीं थी , फिर भी देश पराधीन हुआ तो इस लिए कि हममें राष्ट्र भावना नहीं रह गई थी । हमारे आत्मा _ विस्मृत समाज के ही बल ,बुद्धि , धन और श्रम का उपयोग विदेशियों ने इसी समाज को अपना दास बनाने के लिए किया । आखिर भारत में अंग्रेजों के प्रशासन को चलाता कौन है ?" हमारे ही भाईयों के हाथों में लाठी देकर विदेशियों ने हमारे सिर फुड़वाए ।
क्यों हुआ ऐसा
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क्यों हुआ यह सब ?, कारण सीधा सा है__ हमारे समाज की असंगठित अवस्था । हमारे आपसी कलह का ही लाभ विदेशियों ने उठाया । अपनो काआपसी बैर ही हमारे पराभव का कारण बना । उसी के चलते हमारी दशा मेले के बीच में अकेले जैसी हो गई । करोड़ों शूरवीरों का महादेश विदेशी आक्रमण के समय एक बड़ी_ सी सुसंगठित सेना नही जुटा पाता था । अपने समाज अपने राष्ट्र में अपनापन और परस्पर बंधु भाव रक्खा नही , अतः जब भी आक्रमण हुआ , हमें कोई न दिखा जिसे अपना कह सके , जो संकट के समय हमारी सहायता के लिए आता । परिणाम यह हुआ कि बारी_, बारी से अलग _ अलग , प्रायः सभी पिटे । इन्ही सब बातो को देख कर 1925 में विजयादशमी के दिन डा.हेडगेवार ने संघ की स्थापना की ।
99 साल बेमिसाल
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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का नाम आज केवल भारत में ही नही , दुनियां भर में फैल चुका है । सभी मानते है कि संघ (आर यस यस) हिंदुओं का एकमात्र प्रभावी संगठन है । इसके कई आयाम है ।
राष्ट्र जीवन में संघ की भूमिका
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महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए आंदोलनों में संघ संस्थापक ने बढ़चढ़ कर भाग लिया । 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन में डॉक्टर साहब सहित अनेक स्वयं सेवक सत्याग्रह कर के जेल गए । 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में न केवल शामिल हुए बल्कि जय प्रकाश नारायण , अरूणा आसफ अली ,श्री साने गुरु जी जैसे बड़े _ बड़े भूमिगत नेताओं के गुप्त आवास की व्यवस्था भी किए ।
1947 में देश_ विभाजन के समय राष्ट्र _बांधवों की रक्षा की ।
कश्मीर की रक्षा में योगदान
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17 अक्टूबर , 1947 को श्रीनगर पहुंच कर महाराजा हरि सिंह को भारत के साथ विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए गुरु जी ने उन्हे मानसिक रूप से तैयार किया । 19 अक्टूबर को दिल्ली लौटकर गुरुजी ने सरदार पटेल को महाराज के स्वीकृति की सूचना दी ।27 अक्टूबर को विलय की प्रक्रिया पूरी हो गई । संघ के 200 स्वयं सेवक श्री नगर हवाई पट्टी पर दिन रात काम करके भारतीय सैनिकों की मदद किए । 29 अक्टूबर को भारतीय सैनिकों का प्रथम जत्था आया तो हवाई अड्डा अनुकूल मिला ।इसके अतिरिक्त संघ के स्वयं सेवकों ने राष्ट्र जीवन में अनेक महत्व पूर्ण भूमिका निभाते आए हैं___उदाहरण के लिए____ दादरा, नगर हवेली की मुक्ति और गोवा_ सत्याग्रह में भूमिका ऐतिहासिक है । 1962 में चीन के साथ युद्ध के समय । 1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध के समय महत्वपूर्ण भूमिका । आपातकाल में लोकतंत्र _ रक्षा का संघर्ष , प्राकृतिक अपड़ाओं में योगदान , 1977 और19 79 में राजस्था , 1978 दिल्ली में और 1987 में बंगाल में आई समस्याओं में स्वयं सेवकों का योगदान रहा । 1979 में गुजरात में मोरवी बाढ़ में , भोपाल गैस पीड़ितों की सहायता में , कोरोना काल में संघ की भूमिका महत्वपूर्ण थी ।
सामाजिक समरसता के लिए संघ सदैव योगदान देता रहता है ।
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