पर्यावरण के अनुकूल हमें रहने ,सहज अपनी जड़ों की ओर लौटने की जरूरत-भारत सिंह

प्रो. सिद्धार्थ सिंह EFSLE के उत्तर पूर्व जोन का प्रमुख बनाये गये।
हिन्द भास्कर: लखनऊ।
इकोसॉफिकल फाउंडेशन फॉर द स्टडी ऑफ लिटरेचर एंड एनवायरनमेंट (EFSLE), नई दिल्ली, तथा नेशनल पी जी कॉलेज, लखनऊ, उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में 10 मार्च दिन सोमवार को एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला "इकोक्रिटीसिज्म एंड द सोशियो-इकोलिटररी कांशियसनेश: ऐन इंटरडिसिप्लिनरी/मल्टीडिसिप्लिनरी एप्रोच" का आयोजन किया गया।
LUATA उपाध्यक्ष तथा कार्यशाला के संयोजक प्रो सिद्धार्थ सिंह ने आम जनमानस के जीवन में प्रकृति के महत्व तथा इस विषय के साहित्य चिंतन के विषय में अपने विचार रखे।
अंतष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त पर्यावरणविद् एवं साहित्यकार डा. ऋषिकेश सिंह कार्यशाला सत्र के प्रशिक्षक के तौर पर उपस्थित रहे। उन्होंने ecociticism (पर्यालोचन) को एक बहुआयामी विषय के तौर पर स्थापित करते हुए इसके तमाम पहलुओं पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम के मुख्य अथिति उत्तर प्रदेश राज्य मान्यता समिति के सचिव भारत सिंह ने ग्रामीण जीवन में पर्यावरण के सहज संबंध को रेखांकित करते हुए पुनः अपनी जड़ों की ओर लौटने का आह्वाहन किया।
इस अवसर पर प्राचार्य प्रो देवेंद्र कुमार सिंह ने शुभकामनाएं देते हुए गंभीर रिसर्च के तरह उन्मुख होने की तरफ बल दिया और नई शोध पत्रिका के लिए बधाई दी। कार्यक्रम का स्वागत भाषण प्रोफेसर पीके सिंह ने रामचरितमानस के चौपाईयों के साथ किया।
कार्यशाला उपरांत डा भारती राय ने फाउंडेशन के भविष्य से संबंधित महत्वपूर्ण घोषणाएं की।
प्रो सिद्धार्थ सिंह को EFSLE के उत्तर पूर्व जोन (बिहार, उत्तर प्रदेश, तथा झारखंड) का प्रमुख बनाया गया है।
इस अवसर पर "पर्यलोचन" नामक अर्धवार्षिक द्विभाषीय समकक्ष-समीक्षित मानविकी पत्रिका के संचालन की घोषणा की गई।
साथ ही नेशनल पी जी कॉलेज और इकोसोफिकल की मध्य समझौता ज्ञापन पत्र पर हस्ताक्षर किए गए।
डा राय ने इस विषय पर भविष्य की कुछ आने वाली परियोजनाओं की भी घोषणा की जो भारत के पारिस्थितिकी इतिहास, पर्यावरण-आलोचनात्मक ग्रंथों का अनुवाद, इकोम्यूजिकोलॉजी, जनजातीय और स्वदेशी संस्कृति, तथा पारिस्थितिक भाषाविज्ञान और संज्ञानात्मक अभिग्रहण आदि विषयों को केंद्र में रख कर शोध कार्य किए जायेंगे।
कार्यक्रम का अध्यक्षीय संभाषण नेशनल पी जी कॉलेज के प्राचार्य प्रो डी के सिंह ने किया।
कार्यक्रम का समापन डा बीनू सिंह धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
मंच का संचालन डा ऋतु जैन ने किया।
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