नाविक नदी के नाविक नहीं, बल्की हमारी विरासत के संरक्षक और प्रदेश की मेहमाननवाज़ी के पहले प्रतिनिधि हैं:- जयवीर सिंह
नाविक नदी के नाविक नहीं, बल्की हमारी विरासत के संरक्षक और प्रदेश की मेहमाननवाज़ी के पहले प्रतिनिधि हैं:- जयवीर सिंह

लखनऊ(हिन्द भास्कर):- पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि पर्यटन विभाग द्वारा संचालित मान्यवर कांशीराम इंस्टीट्यूट ऑफ टूरिज्म मैनेजमेंट (एमकेआईटीएम) की ओर से आज मिर्जापुर में स्थानीय नाविकों के लिए एक विशेष प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य गंगा पट्टी में स्थायी, सुरक्षित और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध नदी पर्यटन को बढ़ावा देना है।
उन्होंने कहा कि गंगा पट्टी में पर्यावरण-संवेदनशील, सुरक्षित और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध पर्यटन अनुभव को बढ़ावा दिया जा रहा है। जिस से स्थानीय नाविकों को सुरक्षा, स्टोरीटेलिंग और मेहमाननवाज़ी जैसे महत्वपूर्ण कौशल प्रदान किए गए, जिससे वे न सिर्फ पर्यटकों को सुरक्षित अनुभव दे सकें, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था में भी सशक्त भागीदार बन सकें। इस प्रशिक्षण का सबसे महत्त्वपूर्ण पहलू था।
हेरिटेज स्टोरीटेलिंग मॉड्यूल, जिसमें नाविकों को मिर्जापुर एवं बनारस की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पौराणिक कहानियों को रोचक अंदाज़ में सुनाने का प्रशिक्षण दिया गया। इस पहल का उद्देश्य पारंपरिक नाव यात्रा को एक सांस्कृतिक अनुभूति में बदलना है, जिससे नाविक पर्यटकों के लिए केवल नाविक नहीं, बल्कि गाइड और संस्कृति के संवाहक बन सकें। इसके अलावा, प्रतिभागियों को खोज, बचाव और आपदा प्रतिक्रिया (एसडीआरएफ) का प्रशिक्षण भी दिया गया, ताकि वे नदी में किसी भी आपात स्थिति से प्रभावी ढंग से निपट सकें।
शिष्टाचार और संवाद कौशल पर भी विशेष ध्यान दिया गया ताकि पर्यटकों के साथ उनके व्यवहार में सकारात्मक बदलाव आए और समग्र अनुभव बेहतर हो। जयवीर सिंह ने बताया कि हमारे नाविक केवल नदी के नाविक नहीं हैं, वे हमारी विरासत के संरक्षक और उत्तर प्रदेश की मेहमाननवाज़ी के पहले प्रतिनिधि हैं। इस प्रशिक्षण के माध्यम से हम उन्हें और अधिक सक्षम बना रहे हैं ताकि वे हर पर्यटक को एक यादगार, सुरक्षित और भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ अनुभव दे सकें।
यह हमारी समावेशी पर्यटन की सोच का उदाहरण है, जिसमें स्थानीय समुदाय को विकास की धुरी में रखा गया है। एमकेआईटीएम इस क्षेत्र में व्यावहारिक और स्थल-आधारित पर्यटन प्रशिक्षण देने वाला अग्रणी संस्थान बनकर उभरा है, जो जमीनी सहभागिता और वैश्विक स्तर की पर्यटन सेवाओं के बीच की दूरी को पाट रहा है। यह पहल राज्य सरकार की उस प्रतिबद्धता को दर्शाती है जिसमें स्थानीय ज्ञान, सांस्कृतिक गौरव और सुरक्षा को पर्यटन विकास का मूल आधार माना गया है।
मिर्जापुर में सफल प्रशिक्षण के बाद अगला सत्र 26 जुलाई 2025 को चुनार में आयोजित किया जाएगा, जिसमें मिर्जापुर में दिए गए प्रशिक्षण के साथ-साथ नाविकों को राज्य आपदा मोचन बल (एस0डी0आर0एफ0) द्वारा विशेष आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। ऐसी पहलों के माध्यम से उत्तर प्रदेश सतत और समुदाय-आधारित पर्यटन विकास की दिशा में एक नई राह बना रहा है, और गंगा पट्टी सुरक्षा, सांस्कृतिक विरासत और स्थानीय गर्व का प्रतीक बनकर उभर रही है।
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