गोरखपुर विश्वविद्यालय में 600 से अधिक विद्यार्थी हुए फ्री हेल्थ चेकअप में शामिल; आंकड़े चौंकाने वाले

Jan 4, 2025 - 23:07
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गोरखपुर विश्वविद्यालय में 600 से अधिक विद्यार्थी हुए फ्री हेल्थ चेकअप में शामिल; आंकड़े चौंकाने वाले

एनीमिया, कम वजन, माइग्रेन, सर्वाइकल व सांसों की बीमारी से जूझ रहे ज्यादातर विद्यार्थी

हिन्द भास्कर, गोरखपुर।

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में आयोजित विशाल स्वास्थ्य जांच शिविर के अंतर्गत आईएमए की अध्यक्ष गाइनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर प्रतिभा गुप्ता ने बताया कि छात्राओं में ज्यादातर मेंसुरेशन जनित अनियमितता एवं समस्याएं देखने में आई हैं. अधिकांश छात्राओं ने इसे पहली बार एक समस्या के रूप में पहचाना है. इस स्तर पर छात्राओं के बीच व्यापक जागरूकता की आवश्यकता है.

शहर के प्रतिष्ठित न्यूरो सर्जन एवं एम सी एच डॉक्टर रणविजय दुबे ने बताया कि ज्यादातर बच्चों में माइग्रेन की समस्या देखने में आ रही है. खास तौर से छात्राओं में. इसका कारण हार्मोनल चेंज है. दूसरी बड़ी समस्या सर्वाइकल की है जो सिर के पोजीशन से जुड़ा हुआ है. युवाओं में फोन के आधिकाधिक इस्तेमाल की वजह से यह समस्या सर्वाइकल की उत्पन्न हो रही है. इसे पूर्वांचल की भी एक बड़ी समस्या के रूप में देखा जा सकता है. मोबाइल फोन का इस्तेमाल इसमें बड़ी भूमिका निभा रहा है.

 आईएमए के पूर्व अध्यक्ष एवं जनरल सर्जन डॉक्टर ए पी गुप्ता ने बताया कि उनके देखने में कब्ज, पाइल्स की सबसे ज्यादा समस्याएं सामने आई हैं. इसके लिए उन्होंने रोजमर्रा के जीवन में योग एवं एक्सरसाइज को शामिल करने की सलाह दी है.

 डेंटल सर्जन डॉक्टर रजनीश पाण्डेय ने बताया कि उनके देखने में तीन ऐसे मरीज सामने आए हैं जिनमें प्री कैंसरस लीजन पाए गए हैं. उनमें साथ ही अनियंत्रित डायबिटीज व तंबाकू का प्रयोग भी शामिल है. ऐसे मरीजों में कैंसर होने की संभावना सर्वाधिक होती है.

 उन्होंने अपने जांच में यह भी पाया कि छात्राओं में मसूड़े से खून आने की समस्या ज्यादा है. उन्होंने इसका कारण हार्मोनल परिवर्तन को बताया. उन्होंने कहा इसके लिए प्री प्यूबर्टी टेस्ट आवश्यक है. 

 इसी क्रम में डायबिटीज एक्सपर्ट एवं एमडी डॉक्टर अभिजीत गुप्ता ने बताया कि सर दर्द और सांस फूलने की समस्या ज्यादातर युवाओं में मिली है. उन्होंने इसका कारण हीमोग्लोबिन की कमी, बीपी, विजन प्रॉब्लम व प्रदूषण को बताया है. 

 उन्होंने बताया कि डायबिटीज के मामले में भारत डायबिटीज कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड है. यंग जनरेशन भी इसकी चपेट में आ रही है. 27, 28, और 32 की उम्र के लोग टाइप टू पेशेंट के रूप में सामने आ रहे हैं. विकसित भारत को यदि डायबिटीज से मुक्त करना है तो मौजूदा समय की पीढ़ी को डायबिटीज के प्रति जागरूक करना होगा. युवाओं की अनियमित जीवन शैली व फास्ट फूड, जंक फूड इत्यादि का खानपान में शामिल होना इसका बड़ा कारण है.

 अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रोफेसर अनुभूति दुबे ने चिकित्सकों से बातचीत के आधार पर बताया एनीमिया, कम वजन एवं सांस फूलने की समस्याओं से ज्यादातर विद्यार्थी पीड़ित हैं. उन्होंने कहा कि इस हेल्थ कैंप के माध्यम से विद्यार्थियों में व्यापक जागरूकता आई है. इसके साथ ही विद्यार्थियों ने अपनी समस्याओं को न सिर्फ चिन्हित किया बल्कि जांच एवं इलाज की दिशा में आगे बढ़े हैं. इस कार्यक्रम में मिशन शक्ति की नोडल ऑफिसर प्रोफेसर विनीता पाठक ने एनसीसी की एनसीसी की छात्राओं को जांच हेतु प्रेरित किया.

 कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने कहा कि पुरानी कहावत है प्रिवेंशन इज बेटर दैन क्योर. इस हेल्थ चेकअप कैंप का उद्देश्य सिर्फ यही नहीं था कि जो बीमार है उनका इलाज हो बल्कि इसके साथ ही जो बीमार नहीं है या बीमारी के प्राथमिक चरण में है वह जागरूक हो सके और अपना बचाव सुनिश्चित कर सकें. इस तरह के फ्री हेल्थ चेकअप कैंप को आगे भी महत्व दिया जाएगा. विकसित भारत की संकल्पना में स्वस्थ युवा की बुनियादी भूमिका है.

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