लोकगीत कार्यशाला में हुआ पारम्परिक लोकगीतों का अभ्यास
संस्कृति विभाग एवं दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर के ललित कला एवं संगीत विभाग के संयुक्त तत्वावधान मे महाकुंभ 2025 के उपलक्ष्य में आयोजित लोकगीत कार्यशाला में पारंपरिक लोकगीत के अन्य विधाओं के विषय में विस्तार से समझाया एवं बच्चों को छठ पूजा का गीत लिखवाया एवं उसका अभ्यास कराया गया।छठ गीत का बोल था...काँच ही बांस के बहंगिया,बहगी लचकत जाए।कार्यक्रम के मुख्य प्रशिक्षक एवं उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित अंतर्राष्ट्रीय लोकगायक राकेश उपाध्याय ने छठ गीत की महिमा को सूर्य पूजा जो विश्वविख्यात पर्व हो गया है की महिमा को भावपूर्ण प्रस्तुति से समझाया।कार्यक्रम में सहयोगी कलाकार गोपाल पांडेय,नमन उपाध्याय और सूरज उपस्थित थे।
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